ADVERTISEMENT
मेंबर्स के लिए

'फोटो वायरल होने से तकलीफ दूर न होगी'- स्विगी बैग लिए बुर्के वाली महिला की कहानी

रिजवाना ने बताया कि घर खर्च चलाने के लिए वो लोगों के घरों में बर्तन माजने और झाड़ू पोछा करने का काम करती है.

Updated
भारत
3 min read
Like

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक नकाब पहने और स्विगी (Swiggy) का बैग लिए महिला की फोटो तेजी से वायरल हो रही है. महिला का नाम रिजवाना है और लखनऊ चौक में जगत नारायण रोड पर बसी जनता नगरी कॉलोनी में रहती हैं.

वो अपने तीन बच्चों का पेट पालने के लिए कंधे पर स्विगी का बैग लिए हर रोज 25 से 30 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करती है. क्विंट ने इस महिला से बात की जिसमें उसने अपनी पूरी कहानी बताई.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

गरीबी से जूझ कर बच्चों का पालन पोषण

रिजवाना ने बातचीत के दौरान बताया कि घर खर्च चलाने के लिए वो सुबह और शाम लोगों के घरों में बर्तन मांजने और झाड़ू पोछा करने का काम करती है.

इस काम के बदले उसे 1500 रुपये मिलते हैं. उसके बाद दोपहर में वो अपने बैग में डिस्पोजेबल गिलास और कप बाजार की छोटी-छोटी दुकानों, ठेलों पर बेच कर फेरी का काम करती है. इसमें उसे प्रत्येक पैकेट पर 2 - 3 रुपए तक की बचत होती है और हर महीने 5 से 6 हजार तक का काम हो जाता है.

छोटे से घर में गरीबी में रह रही महिला

(फोटो: क्विंट हिदी)

जगह की कमी के चलते घर में अस्त व्यस्त पड़ा सामान

(फोटो: क्विंट हिदी)

23 साल पहले हुई थी शादी, अकेले ही संवार रही बच्चों का जीवन

कंधे पर स्विगी का बैग लिए संघर्षों और चुनौतियों से भरा सफर तय करने वाली महिला रिजवाना लखनऊ चौक में जगत नारायण रोड पर बसी जनता नगरी कॉलोनी में रहती है. रिजवाना लगातार आर्थिक तंगी की मार झेलते हुए अपने बच्चों का जीवन संवारने में लगी है.

रिजवाना नम आंखों से कहती है अपने पति को खोज रही हैं, लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चला.

23 साल पहले मेरी शादी हुई थी. मेरे पति रिक्शा चलाते थे. एक दिन रिक्शा चोरी हो गया और गरीबी का आलम इस कदर था की मेरे पति को सड़कों पर भीख मांगनी पड़ी, इसी दौरान उनका घर आना-जाना भी बहुत कम हो गया था. पिछले तीन साल से वो घर नहीं आए
ADVERTISEMENT

क्या है वायरल फोटो की हकीकत?

वायरल फोटो में रिजवाना स्विगी फूड डिलीवरी का बैग अपने कंधों पर ली हुई दिखती है. इस तस्वीर को देखने के बाद लोगों के मन में ये बात बैठ गई कि महिला स्विगी के लिए काम करती है, लेकिन रिजवाना ने इस बात को खारिज करते हुए कहा,

"डिस्पोजेबल ग्लास और कप रखने के लिए मुझे मजबूत बैग की जरूरत थी, डालीगंज पुल पर एक आदमी बैग 50 रुपए में बेच रहा था, मजबूती को देखते हुए मैंने इसे खरीद लिया. तब से इसी बैग में मैं अपना सामान रखकर बेचने जाती हूं. मैं स्विगी के लिए काम नहीं करती"

चार बच्चों के साथ 10x10 के कमरे में गुजारा

रिजवाना अपने चार बच्चों के साथ 10 बाई 10 के कमरे में रहती है. बड़ी बेटी का नाम लुबना है, जिसकी शादी दो साल पहले हो गई थी. वो अपने ससुराल में रहती है. इसके अलावा 19 साल की छोटी बेटी बुशरा, 7 साल की नशरा और 11 साल का बेटा यासीन है. रिजवाना कहती हैं कि जब मैं बाजार जाती हूं तो मुझे बच्चों की फिक्र लगी रहती है. छोटा बेटा थोड़ा नटखट है, बहुत शरारतें करता है, किसी तरह की कोई दुर्घटना न हो जाए बस यही सोचकर मन थोड़ा परेशान रहता है. काम के समय वो बाजार जाती है तो बेटी बुशरा छोटे भाई बहनों को संभालती है.

महिला अपनी छोटी बेटी नशरा के साथ

(फोटो: क्विंट हिदी)

ADVERTISEMENT

फोटो वायरल होने पर क्या बोली रिजवाना

रिजवाना ने बताया कि जब वो बाजार गई तो "एक मोबाइल की दुकान वाले ने उन्हें फोटो दिखाई और कहने लगा कि आपकी तस्वीर खूब वायरल हो रही है. 500 से ज्यादा लाइक आए हैं", लेकिन मेरी परेशानियां उससे कम नहीं होगी. बेटी बुशरा ने कहा, "मुझे अपनी अम्मी पर गर्व है, वह दिन रात हमारे लिए मेहनत कर रही हैं, मैं भी उनकी तरह खूब मेहनत करूंगी".

महिला स्विगी बैग टांगकर सामान बेचने के लिए जाती हुई 

(फोटो: क्विंट हिदी)

रिजवाना की गरीबी का आलम ये कि घर में पानी का कनेक्शन तक नहीं है. सार्वजनिक नल से पानी भरकर लाने की जिम्मेदारी भी रिजवाना पर ही है. इसके लिए उन्हें घर के बाहर सार्वजनिक नल तक जाना पड़ता है.

इनपुट- अशहर असरार

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
और खबरें
×
×