ADVERTISEMENTREMOVE AD

सऊदी अरब ने क्या वाकई भारतीय तबलीगी जमात पर बैन लगा दिया, क्या है सच्चाई?

सऊदी अरब में तबलीगी जमात का कोई मरकज ही नहीं है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पिछले कुछ दिनों में तबलीगी जमात (Tablighi jamaat) एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार कोरोना (Corona) नहीं वजह कुछ और है. भारतीय मीडिया में कई दिन तक ये खबर छाई रही कि सऊदी अरब (Saudi Arab) ने तबलीगी जमात पर बैन लगा दिया है, जो भारतीय संगठन है. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मांग कर दी कि भारत में तब्लीगी जमात पर पूरी तरह से बैन लगा देना चाहिए. लेकिन क्या ये शत प्रतिशत सत्य है कि जिस वहाबी विचारधारा को ओढे सऊदी प्रिंस अपनी पूरी किंगडम को चला रहे हैं उन्होंने उसी वहाबी विचारधारा को सींचने वाली सबसे बड़ी जमात को बैन कर दिया.

इस पर आंखे मूंदकर विश्वास नहीं किया जा सकता, क्योंकि तबलीगी जमात भारतीय संगठन जरूर है, लेकिन उनकी विचारधारा सऊदी से मेल खाती है. और तबलीगी जमात का कोई भी मरकज सऊदी अरब में है भी नहीं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पहले सऊदी अरब में जो आदेश दिया गया उसे समझने की कोशिश करते हैं. सऊदी अरब में मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स नाम का एक मंत्रालय है जो देश में इस्लाम से जुड़ी सभी गतिविधियों पर नियंत्रण रखता है. इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉ अब्दुल लतीफ अलशेख की तरफ से सारी मस्जिदों के इमाम या मौलवियों को कुछ निर्देश दिए थे जिन्हें अगले जुमे को खुत्बे (शुक्रवार को नमाज़ से पहले जो धर्मोपदेश मस्जिदों में दिए जाते हैं) में शामिल करना था. और निर्देश ये थे कि तबलीगी और दावा ग्रुप जिन्हें अल अहबाब भी कहा जाता है. इसको लेकर लोगों को चेतावनी देनी है.

क्या चेतावनी देनी है?

  • ऐलान किया जाये कि ये ग्रुप मिस गाइडडे है, भ्रमित है और खतरनाक है. ये आतंक के दरवाज़ों में से एक है, चाहे ये खुद से कुछ भी दावा करें.

  • दूसरा उनकी बड़ी गलतियों का ज़िक्र किया जाए.

  • समाज से उनको क्या खतरा है, ये बताया जाए.

  • और ये बताया जाए कि तबलीगी और दावा जैसे ग्रुप सऊदी अरब किंगडम में प्रतिबंधित हैं.

इस ट्वीट में कहीं भी भारतीय तबलीगी जमात का जिक्र नहीं था, बल्कि अल अहबाब का नाम लिया गया था. जिसने कन्फ्यूजन पैदा कर दिया, क्योंकि इस्लाम का प्रचार करने वाले सभी अपनी जमात को तबलीग का नाम देते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार असद मिर्जा ने अपने लेख में लिखा है कि, अल अहबाब एक नाइजीरियन टेररिस्ट ग्रुप है. तो हो सकता है कि ‘gates of terrorism’ शब्द का इस्तेमाल इस ग्रुप के लिए किया गया हो.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी कहा कि जिस संगठन पर सऊदी अरब ने बैन लगाया वो तब्लीगी जमात से अलग है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैसे अल अहबाब अरबी में दोस्तों के ग्रुप को भी कहते हैं, तो सऊदी मिनिस्ट्री ने किस संदर्भ में अल अहबाब लिखा है ये साफ नहीं किया है.

सऊदी अरब इस वक्त एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान(MBS) देश के अधिकांश कार्यों को संभालते हैं लेकिन ज्यादातर महत्वपूर्ण विभाग अभी भी किंग शाह सलमान के पास ही हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोहम्मद बिन सलमान के सऊदी में काम संभालने के बाद से देश में कई तरह के बदलाव आये हैं, जैसे अब वहां कई जगहों पर मूवी थियेटर खोल दिये गये हैं. महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत दे दी गई है. महिलाओं को अकेले बाजार जाने की अनुमति भी दे दी गई है. महिलाओ को बिना किसी मर्द के उमराह और हज करने की इजाजत भी दी गई है. इन सभी फैसलों का श्रेय क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान लेते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाराष्ट्र के पुणे में तबलीगी जमात के नेता मुफ्ती अकबर हाशमी ने कहा कि,

मसला यहां ये है कि सऊदी गवर्नमेंट को ये डर है कि इस जमात से जुड़े लोग कहीं गवर्नमेंट के खिलाफ ना खड़े हो जाएं. 2011 में जब मिस्र और लीबिया में तख्ता पलट हुआ, तब सऊदी गवर्नमेंट को भी ये डर था कि हमारे मुल्क का भी तख्ता ना पलट जाए, इसलिए अमेरिकन आर्मी को वहां बुलाया गया. सद्दाम हुसैन का जो तख्ता पलट गया उसके पीछे भी सबसे बड़ी ताकत सऊदी गवर्नमेंट ही थी, क्योंकि सद्दाम हुसैन पूरे इलाके के अंदर अपना दबदबा कायम कर चुके थे, इसलिए इनको डर लगा कि कहीं आगे चलकर ये सऊदी गवर्नमेंट को ही ना निगल जाए.
मुफ्ती अकबर हाशमी
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सऊदी सरकार के ट्वीट में तबलीगी और दावा (Da’wah) ग्रुप का जिक्र है, इन दोनों में बुनियादी फर्क है. तबलीगी जमात का काम है मुस्लिमों को इस्लाम के करीब रखना और दावा का काम है गैर मुस्लिमों के बीच इस्लाम की पहुंच बढ़ाना. जिसे सऊदी अरब डायरेक्ट करता है.

अब एक सवाल ये भी है कि पिछले 35 साल से सऊदी अरब में तब्लीगी जमात है ही नहीं तो बैन किस पर और क्यों लगाया?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सऊदी अरब में पहले से तब्लीगी जमात पर रोक

दरअसल तबलीगी जमात की शुरुआत भारत से हुई थी, कैसे और क्यों वो बाद में बताएंगे लेकिन यहां ये जान लीजिए कि सऊदी अरब पहले ही तब्लीगी जमात को अपने यहां से बैन कर चुका है. इस्लामिक स्कॉलर जफर सरेशवाला के मुताबाकि, सऊदी अरब में 1981 में तबलीग़ी जमात की गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई. पाबंदी की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई. लेकिन पाबंदी के बावजूद वहां गुपचुप तरीके से जमात का काम चलता रहा.

1987 में सऊदी अरब ने जमात के सभी मरकज़ों को पूरी तरह बंद कर दिया और जमात से जुड़े तमाम लोगों के देश छोड़ने का भी आदेश दिया. उस समय मौलाना सईद ख़ान मदीना मरकज़ के अमीर थे. मरकज बंद होने पर मौलाना ने अपना सऊदी अरब का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया. मौलाना को पाकिस्तान ने नगरिकता की पेशकश की और उन्होंने इसे क़बूल कर लिया. उसके बाद भी मौलाना सऊदी अरब जाते रहे लेकिन उन्होंने वहां फिर कभी तबलीग का काम नहीं किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तबलीगी जमात का इतिहास

तबलीगी जमात की शुरुआत भारत से एक सुधारादी धार्मिक आंदोलन से हुई थी. देवबंदी विचारधारा को मानने वाले मौलाना मोहम्मद इलियास कांधलवी ने इसकी शुरुआत की थी. इसीलिए ये धारमिक आंदोलन भी देवबंदी विचारधारा से प्रभावित औऱ प्रेरित है. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव कांधला में पैदा होने वाले मौलाना मोहम्मद इलियास ने तब्लीगी जमात की शुरुआत 1926 में हरियाणा के मेवात से की.

मेवात से इसकी शुरुआत के पीछे भी कारण था, क्योंकि मेवात में रहने वाले मुसलमानों में से ज्यादातर ने काफी बाद में इस्लाम कुबूल किया था. इनके यहां हिंदू रीति-रिवाज माने जाते थे. उनके नाम भी आधे हिंदू-आधे मुसलमान होते थे. इस्लाम की कोई खास जानकारी यहां के लोगों को नहीं थी और रोजे-नमाज से भी ये लोग दूर थे. इसलिए सबसे पहले मेवात को तब्लीग के लिए चुना गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दुनियाभर में तबलीगी जमात के मरकज

रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 190 देशों में तबलीगी जमात सक्रिय है, अकेले अमेरिका में तबलीगी जमात के 50 से ज्यादा मरकज हैं. यहां तक कि इजरायल में भी जमात का मरजक है, भारत में जमात के काम से पूरी के लोग औते हैं और यहां से भी सऊदी अरब और पाकिस्तान को छोड़कर सभी जगह जमात के काम से लोग जाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तबलीगी जमात और सऊदी की विचारधारा एक फिर भी बैन क्यों?

दरअसल इसके पीछे राजनीतिक वजह हो सकती है क्योंकि तबलीगी जमात की शुरुआत भारत से हुई और सऊदी अरब खुद को इस्लाम का सबसे बड़ा मरकज बताता है, जिससे उसे फायदा भी होता है. ऐसे में एक ऐसा संगठन जो इस्लाम के बारे में दुनिया को बता रहा है और 190 देशों में करीब 40 करोड़ जिसके सदस्य हैं. और वो सऊदी अरब से नहीं है तो आने वाली पीढ़ी ये जानेगी कि इस्लाम का जो सबसे बड़ा संगठन है वो सऊदी अरब नहीं बल्कि भारत से है तो क्या होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×