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सऊदी अरब ने तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाया

इससे दुनिया के कई हिस्सों में जमात को नुकसान पहुंचेगा. इसके बाद कुछ सरकारें सऊदी के रास्ते पर भी चल सकती हैं

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भारत में कोरोना महमारी (Covid Pandemic) की पहली लहर के दौरान सुर्खियों में रहे तबलीगी जमात (Tablighi Jamat) पर सऊदी अरब ने प्रतिबंध लगा दिया है. सऊदी अरब (Saudi Arab) का मानना है कि तबलीगी जमात आतंकवाद का सबसे बड़ा एंट्री गेट है क्योंकि तबलीगी जमात को मिलने वाली सबसे ज्यादा फंडिंग सऊदी अरब से होती है.

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सऊदी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के पीछे का उद्देश्य है कि इससे दुनिया के कई हिस्सों में जमात को नुकसान पहुंचेगा. इसके बाद कुछ सरकारें सऊदी का अनुसरण भी कर सकती हैं, लेकिन मलेशिया और इंडोनेशिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों में जहां तबलीगी आबादी पर्याप्त मात्रा में है वहां ऐसा करना मुश्किल हो सकता है.

सरकार ने मस्जिद के प्रचारकों को लोगों को यह सूचित करने का निर्देश दिया है कि सऊदी अरब को तबलीगी जमात और अल-अहबाब जैसे समूहों के साथ पार्टनरशीप करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

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तबलीगी जमात की शुरुआत एक सदी पहले भारत में हुई थी, जिसका नेतृत्व मोहम्मद इलियास कांधलावी ने किया था. इलियास ने सबसे पहले उत्तर भारत में मेवात क्षेत्र में अपना अभियान शुरू किया था.

तबलीगी जमात को सऊदी अरब और खाड़ी देशों से करोड़ों रुपए की फंडिंग मिलती रही है. दुनिया के कई देशों में इस जमात का अस्तित्व है. वहां कई बार सम्मलेन भी कराए जाते हैं जहां पर खाड़ी देशों के मौलानाओं के साथ ही दूसरे देशों के मुल्ला- मौलवियों को भी बुलाया जाता है.

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