पिछले कुछ दिनों से Ivermectin दवा को लेकर काफी चर्चा चल रही है, गोवा सरकार ने तो इसे कोरोना से बचने के लिए 18 साल से अधिक उम्रवालों को देने का ऐलान भी किया था. तमिलनाडु में भी इस दवाई के इस्तेमाल की चर्चा थी, लेकिन कई एक्सपर्ट ने इस दवाई पर सवाल उठाया तो तमिलनाडु सरकार ने भी फिलहाल इस दवाई पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने शुक्रवार को अपने COVID-19 केस प्रबंधन प्रोटोकॉल को संशोधित किया, जिससे Ivermectin को लिस्ट से हटा दिया गया. स्वास्थ्य विभाग ने पहले तीन दिनों के लिए दवा निर्धारित की थी.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, एक्सपर्ट कमेटी के कुछ सदस्यों ने इस दवाई के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए दवा को लिस्ट से हटा दिया था. नई गाइडलाइंस सभी हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को भेजी गई हैं, जिसमें तमाम मेडिकल कॉलेज, सरकारी अस्पताल और कोविड अस्पताल शामिल हैं.
बता दें कि दुनिया के टॉप हेल्थ एक्सपर्ट और साइंटिस्ट्स भी इस ड्रग के कोविड के इलाज में इस्तेमाल पर सवाल उठा रहे हैं. WHO की टॉप साइंटिस्ट्स सौम्या स्वामीनाथन ने ट्विटर पर लिखा था कि 'WHO क्लीनिकल ट्रायल के अलावा कोविड में इवरमेक्टिन के इस्तेमाल की सलाह नहीं देता है.' इसी के बाद तमिलनाडु सरकार ने ये फैसला लिया है.
इवरमेक्टिन बनाने वाली फार्मा कंपनी मर्क ने 4 फरवरी 2021 को एक बयान जारी कर कोविड के इलाज में इस ड्रग की प्रभावकारिता पर स्पष्टीकरण दिया था. कंपनी ने कहा था कि ‘कोविड के खिलाफ ड्रग के असर का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है.’
बता दें कि गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने 10 मई को कहा था कि मृत्यु दर कम करने के लिए हर किसी को ये ड्रग दिया जाएगा. ये एंटी-पैरासिटिक ड्रग गोवा में अब कोई भी ले सकता है. मतलब कि इसके लिए कोरोना के लक्षण होना जरूरी नहीं है.
लेकिन अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर FDA ने इवरमेक्टिन को मंजूरी नहीं दी थी. हालांकि, राणे का कहना है कि यूके, इटली, स्पेन और जापान के एक्सपर्ट पैनल ने पाया है कि ये ड्रग कोविड मरीजों में मृत्यु दर, रिकवरी टाइम और वायरल क्लीयरेंस घटाता है.
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