ADVERTISEMENTREMOVE AD

Chennai Caste Killing: दलित व्यक्ति की हत्या के 2 महीने बाद पत्नी की आत्महत्या से मौत

Chennai Caste Killing: चित्रा ने दावा किया था कि उनकी बहू ने आत्महत्या का प्रयास पुलिस के कथित लापरवाही से परेशान होकर किया.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

(ट्रिगर चेतावनी: आत्महत्या, जातिवादी हिंसा का उल्लेख. पाठक विवेक का इस्तेमाल करें)

22 साल के दलित व्यक्ति जी प्रवीण की उसके बहनोई और चार अन्य लोगों द्वारा कथित तौर जाति के कारण हत्या कर दी थी. इसके दो महीने बाद उसकी पत्नी शर्मिला की सोमवार, 22 अप्रैल को तमिलनाडु के चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में कथित आत्महत्या के प्रयास के बाद मौत हो गई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रवीण के परिवार के मुताबिक, कथित तौर पर शर्मिला (21) ने 14 अप्रैल को आत्महत्या का प्रयास किया था और चेन्नई के राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा था. सोमवार शाम करीब 7:10 बजे उसने अंतिम सांस ली.

प्रवीण की मां चित्रा (43) जो एक गृहिणी हैं, ने 23 अप्रैल को द क्विंट को टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि "प्रवीण की मौत के बाद से वह (शर्मिला) बेजान सी थी. हम इस हादसे से उबरने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि वह अपना जीवन खत्म कर लेगी. यह सब जाति के वजह से हुआ है. क्या हमारी जाति हमारे जिंदगी से ज्यादा मायने रखती है?"

शर्मिला की 22 अप्रैल को मौत से चंद घंटे पहले तांबरम कमिश्नर को दी गई लिखित शिकायत में चित्रा ने दावा किया था कि उनकी बहू ने आत्महत्या का प्रयास इसलिए किया क्योंकि उसने प्रवीण की मौत की सीबी-सीआईडी जांच की मांग की थी और पुलिस का रवैया इसके प्रति कथित तौर पर लापरवाही भरा था, जिससे शर्मिला 'परेशान' थी.

पुलिस अधिकारियों ने द क्विंट को बताया कि उन्होंने शिकायत का संज्ञान ले लिया है और शर्मिला की कथित आत्महत्या की कोशिश की परिस्थितियों की जांच कर रहे हैं.

'प्रवीण की मौत ने उसे तोड़ दिया...'

अक्टूबर 2023 में,चेन्नई के पल्लीकरनई में स्थित एक कार मैकेनिक प्रवीण और चौथे वर्ष की कॉलेज छात्रा शर्मिला के परिवार द्वारा अंतरजातीय विवाह के लिए नहीं मानने पर दोनों ने भाग कर शादी कर ली.

प्रवीण परायार जाति से थे, जो अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी में आता है, जबकि शर्मिला यादव जाति से ताल्लुक रखती थी, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत आती है.

शर्मिला के बड़े भाई दिनेश (24), श्रीराम (18), स्टीफन कुमार (24), ज्योति लिंगा (25) और विष्णु राज (25) ने 24 फरवरी को कथित तौर पर प्रवीण की हत्या कर दी थी. उसकी हत्या यकीनन हाल के दिनों में चेन्नई में जातिगत हत्याओं के पहले मामलों में से एक थी.

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 149 (गैरकानूनी रूप से एकत्र होना) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की 3 (2) (वी) के तहत मामला दर्ज किया गया था. आप यहां मामले के बारे में और अधिक पढ़ सकते हैं.

उस वक्त द क्विंट से बात करते हुए शर्मिला ने कहा था:

"मेरे और मेरे परिवार के साथ जो हुआ वह शोषण है. मैं नहीं चाहती कि किसी दूसरे अंतरजातीय कपल को यह दिन देखना पड़े. जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए हमें न्याय चाहिए. मैं चाहती हूं कि मेरा भाई और अन्य आरोपी जेल में सड़ जाएं. मौत आने तक उनका हर एक दिन कष्ट में कटना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे मेरे प्रवीण ने अपने आखिरी क्षणों में सहा. अगर ऐसा होता है, तभी यह उन अन्य लोगों के लिए भी एक उदाहरण के तौर पर रहेगा, जो जातिगत घृणा और हिंसा में शामिल होना चाहते हैं ..."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रवीण के परिवार के मुताबिक, शर्मिला पल्लीकरनई में उनके साथ ही रह रही थीं. वह अपने पति के मौत को स्वीकार नहीं कर पा रही थी, उन्होंने बताया कि:

" शर्मिला के लिए प्रवीण ही सबकुछ था. इतनी कम उम्र में उसने अपने पति को खो दिया था. वह हफ्तों तक मुर्दा सी पड़ी रही. वह अच्छे से खाना भी नहीं खाती थी, जिससे उसका स्वास्थ्य भी खराब हो रहा था. हम सभी मार्च तक शोक में डूबे हुए थे. हमें मालूम ही नहीं था कि आगे क्या करना है. मेरे और मेरे पति के लिए शर्मिला हमारी अपनी बेटी जैसे थी. हमने उसे वही प्यार दिया, जो प्रवीण को दिया. वो हम दोनों को अम्मा और अप्पा कहकर बुलाती और अपने मां-बाप को नाम से पुकारती थी."
चित्रा ने द क्विंट को बताया

प्रवीण के परिवार के मुताबिक, शर्मिला अक्सर प्रवीण के तस्वीर को देखती और कहती,"उन्होंने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? वह मेरे पति को मार कैसे सकते हैं "

हालांकि, परिवार ने कहा कि मार्च के मध्य में चीजें सुधरने लगीं और शर्मिला कॉलेज के आगे की पढ़ाई पूरी करने की सोच रही थी.

चित्रा ने कहा "खाने से पहले हमेशा शर्मिला की आंखें नम हो जाती थीं. वह जानती थी कि हम भी इससे प्रभावित हैं, इसलिए उसे हमारे सामने रोना नहीं है. हम यह कोशिश करते थें कि वह कभी अकेली ना रहे. हम में से कोई एक हमेशा उसके साथ रहता था. उसने अप्रैल में अपनी कॉलेज परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी. हम खुश थे कि हालात सुधर रहे हैं."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

14 अप्रैल को क्या हुआ था?

चित्रा के अनुसार, 11 अप्रैल को शर्मिला और परिवार को पता चला कि दो आरोपी दिनेश (शर्मिला के भाई) और विष्णु राज ने अप्रैल के पहले हफ्ते में जमानत के लिए आवेदन किया है. तब से शर्मिला कथित तौर पर परेशान थी.

उसने क्विंट को बताया, 'शर्मिला को जब पता चला कि उनके भाई ने जमानत याचिका दायर की है तो वह परेशान हो गई. उसे डर था कि यह उसे और उसके परिवार को खतरे में डाल देगा"

14 अप्रैल को शाम करीब 4 बजे शर्मिला ने चित्रा से कहा कि वह नहाने जा रही हैं लेकिन उसने कथित तौर पर दरवाजा बंद कर दिया और एक घंटे तक कोई आहट ना आने से परिवार को संदेह हुआ.

"हम कमरे का दरवाजा खटखटाते रहे और उसका नाम पुकारते रहे. शुरू में उसने कहा कि वह अपने कपड़े बदल रही है, लेकिन 20 मिनट के बाद, जब हमने फिर से दस्तक दी तो कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. फिर हमने शाम करीब 5:10 बजे दरवाजा तोड़ा और उसे देखा... मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसा कदम उठाएगी... यह हमारे लिए एक झटका था ..."
चित्रा ने द क्विंट को बताया

परिजन उसे तुरंत पल्लीकरनई के एक निजी अस्पताल ले गए. उसकी हालत बिगड़ने के बाद, उन्होंने उसे 15 अप्रैल को सरकारी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया, जहां उसका एक सप्ताह से इलाज चल रहा था.

चित्रा ने कहा, 'मैं शर्मिला के साथ लगातार सात दिन अस्पताल में रही. मैं उसके बगल में बैठती थी और उसके ठीक होने की दुआएं मांगती थी. वह आईसीयू में थी लेकिन मुझे उसके ठीक होने की उम्मीद थी. लेकिन कल शाम उनका निधन हो गया..."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

परिवार ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया; पुलिस का आरोपों से इनकार

द क्विंट द्वारा एक्सेस किए गए तांबरम पुलिस आयुक्त को एक लिखित शिकायत में, चित्रा ने दावा किया कि जब दोनों आरोपियों ने जमानत के लिए आवेदन किया था, तो पुलिस ने परिवार को सूचित नहीं किया था कि वे जमानत याचिका को चुनौती दे सकते हैं. पुलिस ने कथित तौर पर समन की तारीख से ठीक एक दिन पहले ही अदालत के समन नोटिस को तलब किया.

"8 अप्रैल को आरोपी ने चेंगलपट्टू कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. कोर्ट ने हमें 12 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था. लेकिन अदालत के आदेश की प्रतियां हमें नहीं दी गईं. हमें एक दिन पहले 11 अप्रैल को एक नोटिस मिला ... प्रक्रिया के अनुसार, यह नोटिस हमें तीन दिन पहले हासिल होना चाहिए था. शर्मिला को इस बात का धक्का लगा"
द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया, चित्रा ने शिकायत पत्र में लिखा

प्रवीण के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए, पल्लीकरनई के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने क्विंट को बताया कि लिखित शिकायत मिली थी और जांच चल रही है.

पुलिस अधिकारियों ने बताया, "चूंकि यह आत्महत्या का मामला है, सीआरपीसी की धारा 174 के तहत नया मामला दर्ज किया गया है. यह स्पष्ट है कि उसने पीड़ा के कारण ऐसा किया, लेकिन हम मामले की जांच कर रहे हैं." उन्होंने बताया कि प्रवीण की कथित हत्या के चारों आरोपी अब भी सलाखों के पीछे हैं और जांच जारी है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बहरहाल, चित्रा ने कहा कि प्रवीण और शर्मिला के साथ जो हुआ, उसके लिए वह सिर्फ न्याय चाहती हैं.

"मैं शब्दों में कैसे बता सकती हूं कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं? हम वहीं लौट आए हैं ,जहां हम दो महीने पहले थे. बेवजह दो लोगों की जान चली गई. किसी को मारने का कारण जाति नहीं हो सकती. लोग क्यों नहीं समझते? मैंने सुनिश्चित किया कि शर्मिला को वह सब मिले जिसकी उसे जरूरत थी, लेकिन वह भी हमें छोड़कर चली गई. यह हमारे लिए एक पीड़ादायक एहसास और आघात है. हमें नहीं पता हम इससे कैसे उबरेंगे..."
चित्रा ने द क्विंट से कहा

(यदि आपको आत्महत्या जैसे विचार आते हैं या आप इस संकट से जूझते हुए किसी को देखते हैं, तो कृपया नरम स्वभाव के साथउनसे संपर्क करें और स्थानीय आपातकालीन सेवाओं, हेल्पलाइन और मानसिक स्वास्थ्य गैर सरकारी संगठनों के इन नंबरों पर कॉल करें.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×