मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने PhD स्टूडेंट रामदास केएस को दो साल के लिए सस्पेंड कर दिया है. उन पर बार-बार गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. इसके साथ ही संस्थान-परिसर में प्रवेश पर भी पाबंदी लगाई गई है. हालांकि, संस्थान ने उन्हें इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिनों का समय दिया है.
PhD स्टूडेंट के खिलाफ क्यों हुई कार्रवाई?
TISS की ओर से जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि "17 अप्रैल 2024 की अपनी रिपोर्ट में अधिकार प्राप्त समिति द्वारा प्रस्तुत की गई जांच और विस्तृत निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए, संसद मार्च सहित विरोध प्रदर्शन के दौरान गैरकानूनी गतिविधियों में बार-बार शामिल होने और संस्थान के नियम/कानून की अवहेलना करने के लिए रामदास केएस को TISS से निलंबित किया गया है."
दरअसल, संस्थान की ओर से रामदास केएस को 12 जनवरी 2024 को राष्ट्रीय राजधानी में 'संसद मार्च' में भाग लेने के लिए 7 मार्च 2024 को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया था. TISS की ओर से कहा गया है कि इस नोटिस का उन्होंने "अस्पष्ट और अनुचित बहानों के साथ जवाब दिया था."
TISS ने सार्वजनिक नोटिस जारी करते हुए कहा है कि PhD स्टूडेंट के खिलाफ कार्रवाई संस्थान के नियमों और आचरण के मानकों के अनुरूप है.
रामदास केएस पर और क्या-क्या आरोप हैं?
रामदास केएस पर कई आरोप हैं. सार्वजनिक नोटिस में TISS की ओर से कहा गया है कि,
जनवरी 2024 में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामदास केएस ने TISS प्रशासन से मंजूरी नहीं मिलने के बावजूद, मुंबई परिसर में एक विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री "राम के नाम" की अनधिकृत स्क्रीनिंग के लिए सोशल मीडिया साइटों पर पैम्फलेट पोस्ट किए थे.
मार्च 2023 में रामदास केएस ने भगत सिंह स्मारक व्याख्यान के लिए 'विवादास्पद वक्ताओं' को आमंत्रित करने का प्रयास किया, एक प्रस्ताव जिसे TISS प्रशासन ने उचित रूप से अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह TISS के आधिकारिक छात्र संघ द्वारा आयोजित नहीं किया गया था.
इसके साथ ही, रामदास केएस पर तत्कालीन वाइस चांसलर के आवास पर आधी रात को विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी करने का आरोप है.
जनवरी 2023 में TISS प्रशासन की रोक के वाबजूद बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का भी आरोप है.
रामदास केएस पर TISS मुंबई हॉस्टल में गैरकानूनी रूप से समय से अधिक समय तक रहने का भी आरोप है.
छात्र संगठनों ने कार्रवाई पर उठाए सवाल
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (PSF) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि जनवरी 2024 में आयोजित संसद मार्च में रामदास की भागीदारी के बाद उनके औपचारिक महासचिव को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया था. संसद मार्च के दौरान 16 छात्र संगठनों ने बीजेपी सरकार की छात्र नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी, खासकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के खिलाफ.
वहीं स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) सहित अन्य छात्र संगठनों ने शनिवार यानी 20 अप्रैल को रामदास के समर्थन में बयान जारी कर TISS प्रशासन से निलंबन रद्द करने की मांग की है.
बीबीसी मराठी से बातचीत में रामदास केएस ने कहा है कि अगर निलंबन वापस नहीं लिया गया तो वो इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे.
तमिलनाडु सरकार में मंत्री मनो थंगराज ने भी रामदास केएस के समर्थन में ट्वीट किया है. उन्होंने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा, "दमन की हर घटना के बाद एक नया नेता उभरता है. युवा नेता रामदास प्रिनी शिवानंदन के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए TISS का धन्यवाद."
बता दें कि रामदास केएस ने TISS में इंटीग्रेटेड एमफिल और पीएचडी में 2017-19 बैच में एडमिशन लिया था. लेकिन स्वास्थ्य कारणों की वजह से वो बैच में शामिल नहीं हो पाए. इसके बाद उन्होंने 2018-20 बैच में अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की. 2020 में वो पीएचडी प्रोग्राम में शामिल हुए थे.
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