सीलिंग के विरोध में दिल्ली में हजारों दुकाने बंद है. व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सीलिंग के विरोध में बुधवार को बंद का ऐलान किया है. साथ ही ये सभी व्यापारी रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन कर रहे हैं.
व्यापारियों के बच्चे नहीं जाएंगे स्कूल-कॉलेज
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सीलिंग के विरोध में व्यापारियों के बच्चे स्कूल-कॉलेज भी नहीं जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद सरकार को यह संदेश देना है कि अगर एक दुकान सील होती है तो इससे 20 घरों का चूल्हा प्रभावित होता है. इसी वजह से हमारे बच्चों ने भी सीलिंग का विरोध करने का फैसला किया है.
बाजार पर दिखेगा असर
कैट ने दावा किया कि कनॉट प्लेस, चांदनी चौक, करोल बाग, सदर बाजार, कमला मार्केट, चावड़ी बाजार, कश्मीरी गेट, खारी बावली सहित दिल्ली के सभी प्रमुख बाजार बंद रहेंगे. सीमेंट, लोहा, हार्डवेयर, मशीनरी, पेपर एवं स्टेशनरी, रबड़ आदि से जुड़े संगठनों ने भी बंद का समर्थन किया है.
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क्यों हो रही है सीलिंग?
साल 2006 में शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में दिल्ली में सीलिंग शुरू हुई थी. मास्टर प्लान 2021 को देखते हुए रिहायशी इलाकों में कमर्शियल दुकानों पर रोक का प्रावधान है.
दिल्ली के कई इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद 2005 में हाईकोर्ट ने एक्शन लेने के आदेश दिए थे. लेकिन एमसीडी के रवैये के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अवैध निर्माण की सीलिंग करने के आदेश जारी किए.
कोर्ट के आदेश के बाद 2006 में कई इलाकों में सीलिंग की गई. सीलिंग के दौरान पुलिस और दुकानदारों में झड़प भी हुई. जिसमें 4 लोगों की मौत भी हो गई थी. मामला तब बढ़ा जब सरकार ने 2006 में दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया और कोर्ट ने कुछ वक्त के लिए सीलिंग रोक दी.
लेकिन मामला फिर उठा. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया और इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया. अब मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में ऐसी दुकानों को सील किया जा रहा है, जिन्होंने कंवर्जन चार्ज जमा नहीं कराया है.
व्यापारियों की मांग
व्यापारियों की मांग है कि सरकार दिल्ली के व्यापार को सीलिंग से बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए . वहीं दूसरी तरफ 31 दिसंबर, 2017 तक दिल्ली में जहां है जैसा है के आधार पर एक एमनेस्टी स्कीम दी जाए.उनका यह भी कहना है कि लोकल शॉपिंग सेंटर्स कमर्शियल दरों पर दिए गए थे, इसलिए उनसे कन्वर्जन चार्ज लेना कहां तक उचित है ओर उनको सील किया जाना गलत है.
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