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ट्रेन टिकट कन्‍फर्म नहीं, बिहार के बेबस मुसाफिर बस में कर रहे सफर

ज्यादातर लोगों ने टिकट कन्‍फर्म न होने या ट्रेनों के कई-कई घंटे देर से चलने की वजह से बस से जाना तय किया.

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गर्मी के दिनों में ट्रेन टिकट की डिमांड हर साल बढ़ जाती है, खासकर शादी-विवाह के लगन के सीजन में. लेकिन इस बार स्‍थ‍िति कुछ ज्‍यादा खराब मालूम पड़ रही है. बिहार आने-जाने वाले कई मुसाफिर ट्रेन टिकट कन्‍फर्म न होने की सूरत में बस में सफर करने को मजबूर हैं, वो भी मोटी रकम खर्च कर.

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ऐसे ही हजारों यात्र‍ियों में एक हैं अमित मिश्रा. वे पिछले तीन महीने से बिहार जाने के लिए अपने रेलवे टिकट के कन्‍फर्म होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन जब टिकट कन्‍फर्म नहीं हो पाया, तो उन्‍होंने बस से ही मधुबनी जाने का फैसला किया. वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ आनंद विहार बस टर्मिनल पर बस का इंतजार कर रहे थे.

वे हाल ही में बिहार के पूर्वी चंपारण जिले से दिल्ली आ रही एक बस के हादसे के बारे में जानते हैं. वो बस 20 फीट खाई में नीचे जा गिरी थी, जिससे इसमें आग लग गई थी. उन्होंने अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए कहा:

“हमारे लिए कोई और ऑप्‍शन नहीं है. अगर रेल टिकट कन्‍फर्म न हो, तो इतनी लंबी दूरी में बस के अलावा और क्या विकल्प रह जाता है?” 

एक सीट के लिए 2000 रुपये तक खर्च

मिश्रा ने कहा कि उन्हें बस टिकट के लिए 2,000 रुपये प्रति सीट खर्च करने पड़े, जो ट्रेन टिकट से काफी महंगा है. उन्होंने कहा, “मैंने अपना ट्रेन टिकट एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बुक कराया था, लेकिन फिर भी वह कन्‍फर्म नहीं हुआ.”

बिहार जाने वाली बस का इंतजार कर रहे ज्यादातर लोगों ने ट्रेन के टिकट कन्‍फर्म न होने या बिहार जाने वाली ट्रेनों के कई-कई घंटे देर से चलने की वजह से बस से जाना तय किया था. फरीदाबाद के रहनेवाले एचके झा ने कहा, “मैंने सुना है कि रेल ट्रैक पर चल रहे काम की वजह से रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं, लेकिन रेलवे को इसके लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी, ताकि यात्रियों को परेशानी न हो.”

गुरुवार को बिहार के मुजफ्फरनगर से दिल्ली आ रही एक बस करीब शाम पांच बजे राष्ट्रीय राजमार्ग- 28 पर बेलवा गांव में खाई में जा गिरी थी. पूर्वी चंपारण जिले के मजिस्ट्रेट रमन कुमार ने बताया कि इस दुर्घटना में किसी की मौत नहीं हुई. इस दुर्घटना में 13 लोग घायल हो गए थे.

(इनपुट भाषा से)

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