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त्रिपुरा के CM बिप्लब बोले, महाभारत काल से भारत में इंटरनेट मौजूद

त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब ने ऐसा अजीबोगरीब बयान दे दिया, जो किसी के गले नहीं उतर रहा

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महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग आज अगर जीवित होते तो ये खबर सुनकर शायद उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता. अब आप अपने दिल को थाम कर ये खबर पढ़िए. आप अपने दौर के साइंस और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर गर्व जरूर महसूस करते होंगे. लेकिन त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब का मानना है कि भारत में इंटरनेट और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी महाभारत के समय में मौजूद थे, क्योंकि इसी का इस्तेमाल करके संजय ने धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाया था.

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सीएम साहब की थ्योरी

त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब ने मंगलवार को अगरतला में आयोजित पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम की एक वर्कशॉप के दौरान ऐसी थ्योरी पेश कर दी, जो साइंस के अलावा आर्ट्स के स्टूडेंट्स के भी गले नहीं उतर रही. बेहद चौंकाने वाला और अजीबोगरीब बयान देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में महाभारत काल के समय से ही इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका या किसी दूसरे पश्चिमी देश ने नहीं, बल्कि भारत ने लाखों साल पहले इंटरनेट की खोज की थी. इस वर्कशॉप में मुख्यमंत्री अगरतला में मणिपुर, मिजोरम और मेघालय से आए प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे.

‘’यह वो देश है जिसमें महाभारत में संजय ने धृतराष्ट्र को युद्ध में क्या हो रहा था, सब बताया. इसका मतलब है कि उस समय इंटरनेट था, सैटेलाइट थी, टेक्नोलॉजी थी. उस जमाने में इस देश में वो तकनीक मौजूद थी.’’
-बिप्लब देब, मुख्यमंत्री, त्रिपुरा  

बिप्लब देब ने ये भी कहा, "मैं गर्व करता हूं कि मेरा जन्म ऐसे देश में हुआ जो तकनीक की दुनिया में आगे था. आज भले ही यूरोप-अमेरिका तकनीक के आविष्कार का दावा करें, लेकिन इसके जनक हम हैं. तकनीक और संस्कृति में कोई समृद्ध है तो वो भारत है."

डार्विन की थ्योरी भी हो चुकी है खारिज

बता दें त्रिपुरा के सीएम पहले व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने इस तरह का बयान दिया है. इससे पहले केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने इसी साल जनवरी में इंसान के क्रमिक विकास पर आधरित चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को गलत बताते हुए कहा था, "डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में इसे बदलने की जरूरत है. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है. हमारे किसी भी पूर्वज ने लिखित या मौखिक रूप में बंदर को इंसान में बदलने का जिक्र नहीं किया था."

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