बीजेपी(BJP) की नेतृत्व वाली त्रिपुरा सरकार(Tripura Government) ने पिछले साल राज्य में हुई कथित सांप्रदायिक हिंसा पर वकीलों और मानवाधिकार संगठनों के एक समूह द्वारा एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को प्रायोजित करार दिया है.
जिन लोगों ने याचिकाकर्ताओं के चुनिंदा आक्रोश , जिन्होंने घटना की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उन पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा
कुछ महीनों पहले, पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले और चुनाव के बाद कई सांप्रदायिक हिंसा हुईं. याचिकाकर्ताओं की तथाकथित जनता ने कुछ महीनों पहले बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा पर कुछ नहीं बोला लेकिन अचानक त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य में कुछ घटनाओं पर उनकी जनता जाग गई.
त्रिपुरा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज करने का आग्रह किया
त्रिपुरा सरकार ने शीर्ष अदालत से अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी द्वारा दायर याचिका को खारिज करने का आग्रह किया. हाशमी उस टीम के सदस्यों में से एक थे, जिसने "त्रिपुरा में मानवता के तहत हमले - #मुस्लिम लाइव्स मैटर" शीर्षक से फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की थी
हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के इस तरह के एक चयनित आक्रोश को इस अदालत के सामने बचाव के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया है, लेकिन कोर्ट को संतुष्ट करने के लिए सार्वजनिक हित की आड़ में, इस अदालत के अगस्त मंच का उपयोग स्पष्ट रूप से अपने उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है.
हलफनामे में यही भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो पेशेवर रूप से सार्वजनिक-उत्साही व्यक्तियों / समूहों के रूप में कार्य कर रहा है, कुछ स्पष्ट लेकिन अज्ञात उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कोर्ट के असाधारण अधिकार क्षेत्र का चयन नहीं कर सकता है.
हलफनामे में आगे कहा गया है कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया था और मामला उसके समक्ष लंबित था. राज्य ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पश्चिम बंगाल नगरपालिका चुनावों के दौरान हिंसा की जांच के लिए हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ताओं को कोलकाता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का भी निर्देश दिया था.
आपतो बता दें कि, अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में त्रिपुरा में हिंसा हुई थी, जिसमें मुसलमानों के घरों और पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया था. कहा जाता है कि हिंसा का बहाना बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले थे, जिसके साथ राज्य की सीमा लगती है.
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