एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता देश के नए सॉलिसिटर जनरल होंगे. तुषार गुजरात के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं. पूर्व सॉ़लिसिटर जनरल रंजीत कुमार के इस्तीफे के बाद यह पद खाली था. पिछले साल 20 अक्टूबर को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. रंजीत कुमार ने निजी वजहों का हवाला देकर इस्तीफा दिया था.
कई अहम केस में की सरकार की नुमाइंदगी
मेहता 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के समय से ही एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की भूमिका निभा रहे हैं. वह कई अहम मामलों में सरकार की ओर से कोर्ट में उतरे हैं. उनमें आईटी एक्ट के सेक्शन 66ए की दी गई चुनौती का मामला भी शामिल है.
कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी ने तुषार मेहता के नाम को मंजूरी उनके कार्यकाल संभालने के साथ ही कर ही दी है. वह 30 जून 2020 तक या अगले आदेश तक इस पद पर रहेंगे.
तुषार मेहता के साथ मनिंदर सिंह इस पद के लिए दावेदार थे. रंजीत कुमार के इस्तीफ से पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट का कोलेजियम जज के पद के लिए कुमार के नाम पर विचार कर रहा है.
रंजीत कुमार के इस्तीफे के बाद सॉलिसिटर जनरल का पद खाली था
इससे पहले मुकुल रोहती ने सरकार को चिट्ठी लिख कर कहा था कि उन्हें दूसरी बार अटार्नी जनरल बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इसके बाद सीनियर वकील के के वेणुगोपाल को नया अटॉर्नी जनरल बनाया गया था. रंजीत कुमार के इस्तीफे के बाद सॉलिसिटर जनरल का पद खाली था.
अपने तीन साल के कार्यकाल में रंजीत कुमार ने कई अहम मु्ददों मसलन नोटबंदी और प्रदूषण पर सरकार का पक्ष रखा था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को यह तय करने में भी मदद की थी कि राज्य सरकार ऐसे मामलों में दोषी को मृत्यु दंड का फैसला करती सकती है, जिनकी जांच और सुनवाई सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं.
रंजीत कुमार ने भी कई मामलों में गुजरात सरकार का पक्ष रखा था. वह सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ कांड में गुजरात सरकार का पक्ष रख चुके हैं. साथ ही आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी वह जयललिता का भी पैरवी कर चुके हैं.
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