सोहराबुद्दीन फेक एनकाउंटर केस मामले में डीजी वंजारा समेत 5 आरोपी बॉम्बे हाईकोर्ट से भी बरी हो गए हैं. इनकी रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है. ये सभी पुलिस अधिकारी गुजरात और राजस्थान से हैं. इस केस में सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी थे, जिन्हें आरोपमुक्त किया जा चुका है.
सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की मौत के करीब 13 साल हो चुके हैं. केस कोर्ट में हैं और बहुत चीजें अब तक भी साफ नहीं हो सकी हैं. ऐसे में जानते हैं इस केस की अबतक की 10 बड़ी बातें-
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- 23 नवंबर, 2005 को हैदराबाद से सांगली की यात्रा कर रहे सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को कथित तौर पर पुलिस ने उठा लिया था. दो दिन बाद सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर हो गया, लेकिन आरोप लगा कि पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किया है.
- सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी. संदिग्ध तरीके से लापता हो गई. आरोप लगा की पुलिस ने उसकी भी हत्या कर दी. इस पूरी घटना की अहम कड़ी और सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को साल 2006 में एक कथित फेक एनकाउंटर में मार गिराया गया.
- एनकाउंटर के कुछ हफ्ते बाद सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को एक लेटर लिख, अपने भाई की मौत के मामले में पुलिस की 'कहानी' को संदिग्ध बताया. जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस को जांच के लिए कहा.
- इसी जांच का नतीजा ये रहा कि साल 2007 में पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारियां हुई. डी जी वंजारा, राजकुमार पांडियान और दिनेश कुमार.
- साल 2010 रुबाबुद्दीन की याचिका के बाद इस केस को सीबीआई को सौंपा गया. सीबीआई ने इस केस में डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियान दिनेश कुमार, अमित शाह समेत 38 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी.
- सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद केस को मुंबई के स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर किया गया. कोर्ट ने अगस्त 2016 से सितंबर 2017 के बीच 38 आरोपियों में से 15 आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया. इन 15 में 14 पुलिसकर्मी और अमित शाह हैं.
- जुलाई, 2018 की पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस केस में अबतक 85 गवाह बयान से मुकर चुके हैं.
- सोहराबुद्दीन शेख के भाई रुबाबुद्दीन ने दिनेश, पांडियन और वंजारा को सीबीआई कोर्ट से आरोपमुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस कथित फर्जी एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व एटीएस चीफ डी जी वंजारा और चार दूसरे को आरोपमुक्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखा है.
- कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी में कोई दम नहीं है. जस्टिस ए. एम. बदर ने गुजरात पुलिस के अधिकारी विपुल अग्रवाल को भी आरोपमुक्त कर दिया. अग्रवाल सहआरोपी थे.
- इससे पहले लोअर कोर्ट ने इस मामले में विपुल अग्रवाल की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने वंजारा को आरोपमुक्त किये जाने को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत से उन्हें भी आरोपमुक्त किये जाने का अनुरोध किया.
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