दुनिया के लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर(Twitter) के सीईओ(CEO) पद से जैक डॉर्सी(Jack dorsey) ने 29 नवंबर को इस्तीफा दे दिया.इसके बाद भारतीय मूल के पराग अग्रवाल (Parag Agarwal)को ट्वीटर का सीईओ नियुक्त किया गया है. इसके साथ ही 37 साल के पराग अब दुनिया की टॉप 500 कंपनियों के सबसे युवा सीईओ बन गए हैं.पराग इससे पहले ट्विटर में सीटीओ के पद पर थे. भारतीय मूल के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की विदेशों में अब अलग पहचान है.दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों की कमान आज भारतीय लोगों के हाथों में है.
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को कौन नहीं जानता है. लेकिन कई अन्य भारतीय सीईओ हैं जो दुनिया की बेहतरीन टेक कंपनियों की जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं और इस लिस्ट में अब पराग का भी नाम शामिल हो गया है. आइए जानते हैं उन भारतीय मूल के नागरिकों के बारे में जो कि दुनिया की लोकप्रिय टेक कंपनियों की कमान संभाल रहे हैं.
पराग अग्रवाल,सीईओ, ट्विटर
पराग अग्रवाल का जन्म मुंबई में हुआ था.आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की है.पराग अग्रवाल 2011 में ट्विटर को ज्वाइन किया था. साल 2017 में ट्विटर में उन्हें कंपनी का मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) बनाया गया था. 29 नंवबर 2021 को ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के पद छोड़ने के बाद इस पद पर भारतीय मूल के पराग अग्रवाल को नियुक्त किया गया.जैक ने कहा है कि पराग उनके हर महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे रहे हैं, जिन्होंने इस कंपनी को बदलने में मदद की है
सुंदर पिचाई, सीईओ, गूगल
भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को साल 2015 में गूगल का सीईओ नियुक्त किया गया. 44 वर्षीय पिचाई का जन्म तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था.उन्होंने आईआईटी-खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया है. साल 2019 में इन्हें Alphabet का सीईओ नियुक्त किया गया.Google में, पिचाई ने ड्राइव, जीमेल और मैप्स सहित इसके कुछ सबसे प्रसिद्ध उत्पादों को विकसित करने में मदद की
सत्य नडेला, सीईओ,माइक्रोसॉफ्ट
माइक्रोसॉफ्ट के साथ 22 साल के कार्यकाल के बाद, नडेला को फरवरी 2014 में कंपनी का सीईओ बनाया. नडेला का जन्म हैदराबाद में हुआ. उन्होंने महिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई की है,यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी से एमएस और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया है.उन्होंने कंपनी को क्लाउड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में काफी मदद की जिससे कंपनी की आय में भारी इजाफा हुआ और उसका बाजार मूल्य बढ़कर करीब 2,000 अरब डॉलर हो गया
शांतनू नारायण, सीईओ, एडोबी
भारत के हैदराबाद में जन्मे शांतनू नारायण ने एडोबी को 1988 में ज्वाइन किया. इसके बाद वह साल 2007 में कपंनी के सीईओ बने. उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की है.उन्होंने नाटकीय रूप से कंपनी को क्लाउड पायनियर, एंटरप्राइज हैवीवेट और डिजिटल मार्केटिंग लीडर में बदल दिया
अरविंद कृष्णा, सीईओ ,आईबीएम
आंध्र प्रदेश में जन्मे अरविंद कृष्ण आज दुनिया की जानी-मानी कंप्यूटर हार्डवेयर कंपनी IBM के चेयरमैन और सीईओ हैं.यह साल 2020 में IBM के सीईओ बनें. अरविंद ने आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है. कंपनी के लिए इन्हें इसलिए चुना क्योंकि उन्हें IBM में 30 वर्ष का अनुभव है.
दिनेश पालीवाल,सीईओ,हरमन इंटरनेशनल
दिनेश पालीवाल हरमन इंटरनेशनल के अध्यक्ष और सीईओ हैं, जो एक प्रीमियम ऑडियो गियर ब्रांड है, जो जेबीएल, बेकर, डीबीएक्स, सहित अन्य का मालिक है. पालीवाल का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था.पालीवाल ने आईआईटी रुड़की से बीई और मियामी यूनिवर्सिटी से एमएस और एमबीए किया है
फ्रांसिस्को डिसूजा, सीईओ, कॉग्निजेंट
डिसूजा कॉग्निजेंट के सीईओ और कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य हैं.डिसूजा 1994 में संस्थापक के रूप में कॉग्निजेंट में शामिल हुए और वर्ष 2007 में इसके सीईओ बने.सीईओ के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, कॉग्निजेंट का कर्मचारी आधार 55,000 से बढ़कर 230,000 से अधिक हो गया.एक भारतीय राजनयिक के बेटे डिसूजा का जन्म केन्या में हुआ था. उन्होंने पूर्वी एशिया विश्वविद्यालय, मकाऊ से बीबीए और कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय, पिट्सबर्ग से एमबीए किया है
जॉर्ज कुरियन ,सीईओ,नेटएप
लगभग दो वर्षों तक प्रोडक्ट ऑपरेशन के कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद, जॉर्ज कुरियन जून 2015 में स्टोरेज और डेटा प्रबंधन कंपनी नेटएप के सीईओ और अध्यक्ष बने.नेटएप में शामिल होने से पहले, जॉर्ज सिस्को सिस्टम्स में एप्लिकेशन नेटवर्किंग और स्विचिंग टेक्नोलॉजी ग्रुप के उपाध्यक्ष और महाप्रबंधक थे.केरल के कोट्टायम जिले में जन्मे, उन्होंने आईआईटी-मद्रास में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन छह महीने बाद प्रिंसटन विश्वविद्यालय में शामिल होने के लिए छोड़ दिया; उन्होंने स्टैनफोर्ड से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है
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