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दिल्ली HC में ट्विटर: पॉलिसी के उल्लंघन के कारण किया राहुल गांधी का अकाउंट लॉक

जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने ट्विटर के जवाब पर ध्यान देने के बाद केस को 27 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान ट्विटर (Twitter India) इंडिया ने 11 अगस्त को अदालत को बताया कि ट्वीट में बलात्कार पीड़िता के परिवार की पहचान का कथित रूप से खुलासा करने और उसे शेयर करने के कारण राहुल गांधी के उस ट्वीट को हटा दिया गया और उनका अकाउंट भी बंद कर दिया गया.

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ट्विटर ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि "राहुल गांधी के ट्वीट ने हमारी पॉलिसी का भी उल्लंघन किया है, हम पहले ही उस ट्वीट को हटा चुके हैं और उनका ट्विटर अकाउंट भी लॉक कर दिया गया है."

"याचिकाकर्ता ने @TwitterIndia पर गलत आरोप लगाया है. हमने इसे (राहुल गांधी का ट्वीट) हटा दिया है.यह हमारी पॉलिसी के खिलाफ है. वह अकाउंट लॉक है."
ट्विटर इंडिया

राहुल गांधी पर पॉक्सो समेत अन्य कानूनी कार्रवाई की मांग

इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह ने ट्विटर के द्वारा दायर जवाब पर ध्यान देने के बाद मामले को 27 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया.इस जनहित याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट से यह मांग की गई है कि वो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को राहुल गांधी पर उनके ट्वीट के लिए आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दे.

इसके साथ-साथ याचिका में दिल्ली पुलिस को जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 के तहत राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.

याचिकाकर्ता मकरंद सुरेश म्हादलेकर, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं, ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें कांग्रेस नेता के खिलाफ कथित तौर पर बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों के बारे में संवेदनशील जानकारी का खुलासा करने के लिए उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है.

एडवोकेट गौतम झा, श्वेता झा और पंकज के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी ने जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 की धारा 74 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की धारा 23 (2) का उल्लंघन किया है. दोनों में से यह अनिवार्य है कि किसी अपराध के शिकार बच्चे की पहचान का खुलासा नहीं किया जाएगा.

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