लोकसभा चुनाव के वक्त कई नेताओं और न्यूज चैनलों ने वर्ल्ड कप में भारत पाकिस्तान मैच का विरोध करना शुरू किया था. कई दिन तक ये विरोध चलता रहा. बातें की जाने लगी कि क्रिकेट से पहले देश है, लेकिन 16 जून को जब दोनों टीम मैनचेस्टर में भिड़ीं, तो सब मिलकर इस मैच के मजे लेने लगे.
इनमे से ही एक आवाज थी पूर्व क्रिकेटर और अब पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद गौतम गंभीर की. गंभीर ने कहा था कि क्रिकेट से पहले लोगों की जिंदगी है. लेकिन 16 जून को जब गंभीर मैच की कमेंट्री करते दिखे तो लोगों ने उनके दोहरे रवैये पर सवाल खड़े किए.
पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध करने की मांग उठने लगी थी. गंभीर भी उनमें से ही एक थे. उस वक्त गंभीर बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन अटकलें तो बहुत तेज थी हैं.
स्पोर्ट्स मैगजीन ‘स्पोर्टस्टार’ से बात करते हुए मार्च में गौतम गंभीर ने कहा था-
“या तो आप उनके साथ कहीं भी क्रिकेट मत खेलो या फिर उनकेलिए अपने दरवाजे खोलो. पुलवामा में जो हुआ वो बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. हालांकि वर्ल्ड कप में उनका बायकॉट करना आसान नहीं है, लेकिन दोनों देश आपस में बाइलेटरल सीरीज नहीं खेल रहे. मुझे लगता है कि उन्हें एशिया कप में भी पाकिस्तान के साथ खेलना बंद करना चाहिए”
गंभीर ने साथ ही कहा कि हमें तय करना चाहिए स्पोर्ट्स ज्यादा जरूरी है या लोगों की जान
इस बीच, गंभीर बीजेपी में शामिल हुए. लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद भी बन गए.
16 जून को जब भारत और पाकिस्तान आमने-सामने थे, गौतम गंभीर न सिर्फ इस मैच का इंतजार कर रहे थे, बल्कि वर्ल्ड कप के ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर स्टार स्पोर्ट्स के लिए कमेंट्री भी कर रहे थे. साथ ही ट्वीट के जरिए यूजर्स को फैंटेसी क्रिकेट लीग खेलने के लिए लोगों को इनवाइट भी कर रहे थे.
अलर्ट ट्विटर यूजर्स की नजरों से ये बचना मुश्किल था और उन्होंने गंभीर के इस ‘डबल स्टैंडर्ड’ पर सवाल खड़े किए.
एक यूजर ने तो ये तक लिखा कि गंभीर बीजेपी के लिए फिट बैठते हैं. जब भी मुंह खोलते हैं तो बकवास करते हैं, लेकिन जो बोलते हैं, उसे खुद नहीं मानते.
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