पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व मंत्री राजीब बनर्जी (Rajib Banerjee) और त्रिपुरा के बीजेपी विधायक आशीष दास (Ashish Das) रविवार को त्रिपुरा में अभिषेक बनर्जी द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) में शामिल हो गए. इसके पहले टीएमसी को राज्य सरकार द्वारा तीन बार रैली करने से रोका गया था, जिसके बाद कोर्ट ने अनुमति दे दी थी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हम त्रिपुरा में लेफ्ट और राइट दोनों को खत्म कर देंगे. यह चुनाव बंगाल जैसी ही होगा.
अनुमान लगाया जा रहा है कि राजीब बनर्जी की वापसी के लिए अगरतला का चुनाव भाजपा के लिए एक संकेत है. कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है, जहां तृणमूल का प्रभाव न हो, चाहे वह गोवा हो या त्रिपुरा. ममता बनर्जी अभी गोवा से लौटी हैं, जहां अगले साल चुनाव होने हैं. त्रिपुरा में 2023 में चुनाव होना है.
बीजेपी वायरस के लिए केवल एक टीका है, जिसका नाम है ममता बनर्जी.अभिषेक बनर्जी, नेता, टीएमसी
अभिषेक बनर्जी ने आगे कहा कि त्रिपुरा के लोगों को दोहरी खुराक देनी होगी- पहली बार निकाय चुनावों में और दूसरी 2023 के विधानसभा चुनावों में. उन्होंने बताया कि पार्टी अगले महीने त्रिपुरा में निकाय चुनाव की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक टीएमसी सितंबर से रैली करने की योजना बना रही है. जब राज्य की पुलिस ने कल चौथी बार Covid-19 का हवाला देकर फिर से अनुमति नहीं दी, तो टीएमसी ने कोर्ट का रुख किया.
बीती देर शाम त्रिपुरा हाईकोर्ट ने रैली की इजाजत दे दी. न्यायमूर्ति सुभाशीष तालापात्रा ने हालांकि कहा कि कार्यक्रम स्थल पर एक समय में 500 से अधिक लोगों को अनुमति नहीं दी जा सकती है.
तृणमूल कांग्रेस ने बिप्लब देब के नेतृत्व वाली सरकार पर बाधा पैदा करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है. टीएमसी के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी ने कहा था कि बीजेपी अभिषेक से डरी हुई है.
2011 और 2016 में ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री रहे राजीब बनर्जी ने जनवरी में पद छोड़ दिया था.
दोमजुर से भाजपा के टिकट पर राज्य का चुनाव असफल रूप से लड़ने वाले पूर्व मंत्री ने जून में तृणमूल में अपनी वापसी के लिए बातचीत शुरू की थी.
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