महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कहना है कि वे अभी भी 'हिंदुत्व की विचारधारा' के साथ हैं और इसे नहीं छोड़ेंगे. विधानसभा में बोलते हुए उद्धव ने कहा कि उन्होंने देवेंद्र फडणवीस से बहुत कुछ सीखा है और वे हमेशा उनके दोस्त रहेंगे.
मैंने देवेंद्र फडणवीस से बहुत कुछ सीखा है. मैं हमेशा उनका दोस्त रहूंगा. मैं अभी भी हिंदुत्व की विचारधारा पर चल रहा हूं. इसे आगे भी जारी रखूंगा. पिछले पांच सालों में मैंने कभी सरकार का भरोसा नहीं तोड़ा.देवेंद्र फडणवीस
ठाकरे ने आगे कहा,'मैं आपको(देवेंद्र फडणवीस) नेता विपक्ष नहीं कहूंगा, बल्कि मैं आपको एक जिम्मेदार नेता बोलूंगा. अगर आप हमारे साथ बेहतर तरीके से पेश आए होते, तो यह सब (बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का टूटना) नहीं होता.'
मैं एक भाग्यशाली मुख्यमंत्री हूं क्योंकि जो मेरा विरोध करते थे, अब वो मेरे साथ हैं और जिनके साथ मैं था, अब वो विपक्ष में हैं. मैं यहां अपने भाग्य और लोगों के आशीर्वाद से पहुंचा हूं. मैंने किसी से नहीं कहा कि मैं यहां पहुच जाऊंगा. लेकिन मैं पहुंच गया.देवेंद्र फडणवीस
आधी रात को शपथ पर ठाकरे ने ली चुटकी
मैं इस सदन और महाराष्ट्र के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि मैं कभी आगी रात को कुछ नहीं करूंगा. मैं लोगों के हित में काम करता रहूंगा.उद्धव ठाकरे
वहीं एनसीपी नेता जयंत ठाकरे ने भी फडणवीस पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘उन्होंने कहा था कि वे वापस आएंगे, लेकिन यह नहीं बताया था कि कहां बैठेंगे. अब वो लौट कर आ गए हैं और सबसे ऊंची कुर्सी (नेता विपक्ष) पर बैठे हैं, जो मुख्यमंत्री की बराबरी की है.’
बता दें सरकार बनाने की कोशिशों के बीच देवेंद्र फडणवीस ने सुबह 6 बजे के आसपास मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी. उनके साथ अजित पवार ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
शनिवार को MVU गठबंधन ने फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित किया. 288 सीटों वाली विधानसभा में सरकार के पक्ष में 169 वोट पड़े. वहीं चार विधायक तटस्थ बने रहे.
रविवार को ही कांग्रेस नेता नाना पटोले को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया है. बीजेपी ने पहले उनके खिलाफ कैंडिडेट खड़ा किया था. लेकिन बाद में पार्टी कैंडिडेट की दावेदारी वापस ले ली गई और नाना पटोले निर्विरोध चुन लिए गए.
बता दें कि बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन के तहत यह चुनाव लड़ा था. हालांकि चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना ने बीजेपी से सत्ता साझेदारी के 50-50 फॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री पद की मांग की. शिवसेना की इस मांग को बीजेपी ने खारिज कर दिया, जिसके बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया.
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