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ऑनलाइन स्टडी के भविष्य ,चुनौतियों की बात UGC कमेटी अध्यक्ष के साथ

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कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षा कैसे हो, छात्रों को शिक्षा कैसे दी जाए, विश्वविद्यालयोंका नया सत्र कैसे और कब शुरू किया जाए. इसका समाधान यूजीसी की विशेषज्ञ कमेटी ने निकाला है. यूजीसी की इस कमेटी के अध्यक्ष एवं हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति हैं प्रो आर सी कुहाड़. आईएएनएस ने उनसे छात्रों के भविष्य से जुड़े कई महत्वपूर्ण मद्दों पर बातचीत की.

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कोरोना महामारी से विश्वविद्यालयों के छात्रों की पढ़ाई पर अभी और भविष्य में इसका क्या असर पड़ेगा?

जैसा कि आपको पता है कि वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण विश्वविद्यालयों में पढ़ाई बंद है लेकिन इसके बावजूद तकनीक के सहयोग से पढाने का काम जारी है. यूजीसी द्वारा गठित समिति की अध्यक्षता करते हुए भी यह विषय हमारे समक्ष आया तो यही सोचा गया कि इस समय में तकनीक के माध्यम से ही शिक्षण कार्य जारी रखा जा सकता है. इसी वजह से समिति ने अपनी सिफारिशों में 25 फीसद पढ़ाई ऑनलाइन कराने, वाइवा, प्रेक्टिकल और असाइनमेंट के लिए तकनीकी माध्यमों के उपयोग पर जोर दिया है. तकनीक का उपयोग उतना मुश्किल नहीं हैं जितना की लोग समझ रहें हैं.”

शिक्षा की कौन सी पद्धति बेहतर है ऑनलाइन या फिर परंपरागत शिक्षा?

मैं समझता हूं कि यह आज कहना बहुत जल्दी होगा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कौन सी शिक्षा बेहतर है क्योंकि हम वर्षों से परम्परागत शिक्षा के अभ्यस्त हैं और ऑनलाइन शिक्षा हमारे वर्तमान समय की जरूरत है.

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आप पर भी लाखों विद्यार्थियों के भविष्य की जिम्मेदारी है. आप किस तरह से छात्रों को मुश्किल दौर से उबारने की कोशिश कर रहे हैं ?

यूजीसी की ओर से गठित समिति के समक्ष भी यह विषय आया तो यही निष्कर्ष निकला कि शिक्षण संस्थानों को इस दिशा में आगे बढ़कर प्रयास करने होंगे. मैंने केंद्रीय विश्वविद्यालय का कुलपति होने के नाते अपने विश्वविद्यालय में इन्फ्लिबिनेट के सहयोग से लनिर्ंग मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया है. जिसकी मदद से हम अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन अध्ययन सामग्री के साथ-साथ शिक्षकों से संवाद का भी अवसर प्रदान कर रहे हैं. पुस्तकालय में छह हजार से ज्यादा किताबें ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे हैं. करीब 94 शिक्षक वीडियो लेक्च र तैयार करने में जुटे हैं. मैं लगातार अध्यापकों व विद्यार्थियों के सम्पर्क में हूं.

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आप यूजीसी कमेटी के प्रमुख हैं. इस सम्बंध में रिपोर्ट तैयार करते समय मुख्य चुनौतियां क्या थीं?

पहली चुनौती यह थी कि कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन कब तक चल सकता है, फिर कब से हम विद्यार्थियों का शिक्षण संस्थानों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आगमन सुनिश्चित कर विश्वविद्यालय में उनके रहने व परीक्षा हॉल में बैठने की व्यवस्था करें. सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ऐसा प्लॉन बनाया (समय के अनुसार) की परीक्षाएं भी जल्दी सम्पन्न हों, परीक्षा परिणाम व दाखिले भी हो जाएं व नया सत्र भी ज्यादा बाधित न हो. राष्ट्रीय स्तर पर सभी संस्थानों व हितधारको को भी स्वीकार्य हो.

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शिक्षा के क्षेत्र में आपने ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्या मुख्य सिफारिशें की हैं?

अगले सत्र से कम से कम 25 प्रतिशत पाठ्यक्रम हर शिक्षण संस्थान में ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जाए. इसके लिए सभी शिक्षण संस्थान पर्याप्त आईसीटी ढांचा विकसित करें, अपने शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था कराएं और ई-लनिर्ंग सामग्री भी तैयार कराएं ताकि ऑनलाइन शिक्षा को सार्थक बनाया जा सके. इसके अलावा, जिन शिक्षण संस्थाओं के पास पर्याप्त आईसीटी ढांचा उपलब्ध है वे ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने के लिए भी स्वतंत्र हैं.

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क्या आपको लगता है कि भारत ऑनलाइन शिक्षा के लिए तैयार है? देश में तकनीकी विकास की ²ष्टि से क्या भारत इसके लिए सक्षम है ?

हां, बिल्कुल. भारत ऑनलाइन शिक्षा के लिए तैयार है. जहां तक तकनीकी विकास की बात है, उसमें भी भारत सक्षम है तथा इस दिशा में भारत अपनी क्षमताओं में लगातार इजाफा कर रहा है और अब जो स्थिति हमारे सामने आई है, उसका सही आकलन कर संसाधनों को और बढ़ाया जा सकता है. शिक्षण संस्थाएं सुविधाएं विकसित कर, आपस में सहयोग कर व प्राइवेट एजेंसियों की सहायता से आवश्यकतानुसार ऑनलाइन शिक्षा के मिशन को सफल बना सकती हैं.

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ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने में अभी क्या चुनौतियां हैं?

जहां तक ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने की चुनौतियों का विषय है दूर-दराज के इलाके खासकर हमारे देश के पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को अच्छी तरह रखने के लिए आईसीटी ढांचें में वृद्धि करने की जरूरत है. इसके अतिरिक्त आधारभूत संरचना को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे कि भविष्य में विश्वविद्यालय का प्रबंधन और परीक्षा संबंधी कार्य पूर्णतया ऑनलाइन हो जाए.

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आप कुलपति से पहले एक शिक्षक हैं और ऐसे में क्या आपको लगता है कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है.

देखिये, समय के साथ सोच-समझकर सार्थक बदलाव लाने से ही प्रगति की तरफ बढ़ा जाता है इसलिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव भी एक निरन्तर प्रक्रिया है क्योंकि हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था को वर्तमान चुनौतियों का सामना करने एवं विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाना होता है. इसे लेकर कुछ सवाल मेरे मन में चल रहे हैं, जिन्हें मैं साझा कर रहा हूं. जैसे कि ऑनलाइन एजुकेशन का विस्तार चरणबद्ध तरीके में हो, हर विषय में कौन से पेपर ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन हों, प्रेक्टिकल आधारित पाठ्यक्रम ऑनलाइन हो या नहीं व स्कूली शिक्षा में इसे किस कक्षा से शुरू किया जाए. हमारी शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में कई ऐसे प्रावधान है जो हमारे देश को विश्व गुरू बनाने में अहम भूमिका अदा करेंगे.

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कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देशभर के शिक्षण संस्थान बंद हैं. शिक्षण के लिहाज से हालात कितने कठिन हैं ?

हमने विद्यार्थियों हेतु ‘कोरोना से जंग, मनोविज्ञान के संग’ नाम से मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग के लिए हेल्पलाइन भी शुरू की है. मुझे पूरा विश्वास है कि इस तरह के प्रयासों से हम न केवल छात्रों को मुश्किल दौर से उबार सकेंगे बल्कि उनको उज्‍जवल भविष्य की तरफ अग्रसर करने में भी कामयाब होंगे. इस तरह हम मानव संसाधन विकास मंत्रालय की महžवपूर्ण पहल ‘भारत पढ़े ऑनलाइन’ को भी स्वीकार करने में कामयाब होंगे.

(इनपुट: IANS)

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