'आधार' के लिए दर्ज की जाने वाली आम लोगों से जुड़ी जानकारी कितनी सुरक्षित है इस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान UIDAI के सीईओ अजय भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी दिया. उन्होंने इस प्रजेंटेशन में बताया कि आधार में दर्ज डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है. भूषण ने कोर्ट को बताया कि आधार का सारा बायोमीट्रिक डेटा 2048 bit एनक्रिप्शन से सुरक्षित है. लिहाजा इस डेटा को चुरा पाना असंभव है.
सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान पीठ के सामने सीईओ डॉ. अजय भूषण पांडे ने करीब 80 मिनट की प्रेजेंटेशन दी और डेटा की सुरक्षा और उसके लीक होने को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को खारिज करने की कोशिश की.
पहले दिन की प्रेजेंटेशन में क्या हुआ?
यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या इससे जुड़ा कोई आधिकारिक आंकड़ा है कि कितने लोगों को ‘आधार' नहीं होने या पहचान की पुष्टि नहीं होने पर लाभ देने से इनकार किया गया.
संविधान पीठ ने कहा, ‘‘हमारे पास कोई ऐसा माध्यम नहीं है, जिससे यह मालूम चले कि कितने लोगों को लाभ देने से मना किया गया है... सेवाओं के इनकार को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा है.’’
इस पर अजय भूषण पांडेय ने कहा कि यूआईडीएआई के पास ऐसे लोगों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिन्हें आधार नहीं होने या पहचान की पुष्टि नहीं होने की स्थिति में लाभ देने से मना किया गया हो. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अपडेट नहीं होने की स्थिति में पहचान की पुष्टि नहीं होने पर किसी भी व्यक्ति को किसी भी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कैबिनेट सचिव सहित अन्य अधिकारियों की ओर से अधिसूचना जारी किये जा चुके हैं.
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‘आधार' डेटा को लेकर उत्पन्न शंकाओं को समाप्त करने का आग्रह करते हुए यूआईडीएआई के सीईओ ने कहा कि ‘आधार' लोगों को ‘ठोस, आजीवन, पुन: इस्तेमाल में लाये जाने वाला और पूरे देश में ऑनलाइन पुष्टि किये जाने योग्य' पहचान पत्र है.
पीठ ने कहा कि कुछ मौकों पर एक समय के बाद अंगुलियों के निशान जैसे बॉयोमीट्रिक विवरण हल्के पड़ जाते हैं और अनजान और निरक्षर व्यक्ति शायद उन्हें अपडेट नहीं करा पाएगा और ऐसे में ‘असहाय’ हो जाएगा.
मुफ्त है आधार का रजिस्ट्रेशन
पीठ ने जस्टिस केएस पुत्तास्वामी के वकील श्याम दीवान के आरोपों का भी हवाला दिया. संविधान पीठ ने पूछा कि आधार पंजीयन करने वाले 6.83 लाख प्रमाणित निजी ऑपरेटरों में से 49,000 को यूआईडीएआई ने ब्लैकलिस्ट क्यों किया है. इस पर सीईओ ने कहा, ‘‘आधार पंजीयन निशुल्क है. वे लोगों से रुपये ले रहे थे. हमें शिकायतें मिली थीं.''
उन्होंने साथ ही कहा कि इन ऑपरेटरों ने पंजीयन के समय गलत जानकारी भरी थी और‘ चूंकि हमारी नीति भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की है, इसलिए उन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया.'
आधार रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ ये जानकारी जरूरी
सीईओ ने कहा कि आधार के लिए महज लोगों के फोटो, पता, अंगुलियों के निशान और आंखों की पुतलियों से संबंधित डेटा की ही जरूरत पड़ती है. इसमें ‘धर्म, जाति, जनजाति, भाषा, पात्रता का ब्योरा, आय या स्वास्थ्य विवरण और पेशे' से जुड़ी जानकारी नहीं मांगी जाती है. उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई अब इस स्तर पर पहुंच चुका है कि वह प्रतिदिन 15 लाख आधार नंबर जारी करने, मुद्रण और उन्हें भेजने में सक्षम है. आंकड़ों की सुरक्षा के बारे में सीईओ ने कहा कि रजिस्ट्रेशन एजेंसी द्वारा एक बार बॉयोमीट्रिक आंकड़े दिये जाने के बाद उन्हें एनक्रिप्ट कर दिया जाता है और केंद्रीय पहचान डेटा भंडार( सीआईडीआर) में संरक्षित कर लिया जाता है.
लेनदेन पर नजर नहीं रखता यूआईडीएआई
आंकड़ों की पुष्टि के बारे में उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई आधार कार्ड के जरिये की गयी किसी भी लेनदेन पर नजर नहीं रखता है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई आधार के जरिये बैंक खाता खोलता है या मोबाइल फोन लेता है तो यूआईडीएआई को खाते के विवरण और मोबाइल नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी.''
अपग्रेड हो रहा है आधार सिस्टम
सीईओ ने कहा कि जुलाई के बाद से अंगुलियों के निशान या पुतलियों के अलावा फोटो के जरिये भी किसी भी व्यक्ति की पहचान हो सकेगी और उसे लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा. पीठ ने इसके बाद उन आरोपों का जिक्र किया, जिसमें डेटा से छेड़छाड़ की आशंका जताई गई है क्योंकि सॉफ्टवेयर बाहर से लिया गया है.
सीईओ ने कहा, ‘‘ ये हमारा सॉफ्टवेयर है और हमारे द्वारा विकसित है.'' उन्होंने कहा कि केवल बॉयोमीट्रिक आंकड़ों के मिलान करने वाले सॉफ्टवेयर को तीन सर्वश्रेष्ठ कंपनियों से लिया गया है. पांडेय ने कहा कि आधार सॉफ्टवेयर इंटरनेट से जुड़ा हुआ नहीं है क्योंकि ‘हम इस बात से अवगत हैं कि कुछ लोग सिस्टम को हैक कर सकते हैं.''
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