ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में तीन में से दो शिक्षित युवा बेरोजगार, क्या बेरोजगारी का चुनावों पर पड़ेगा असर?

India Employment Report 2024: भारत में हर दस बेरोजगार में से कम से कम आठ बेरोजगार युवा हैं.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और मानव विकास संस्थान (IHD) की 26 मार्च को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, हर दस बेरोजगार में से कम से कम आठ बेरोजगार युवा हैं.

इसके अलावा, सभी बेरोजगार लोगों में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी साल 2000 में 35.2% थी जो 2022 में लगभग दोगुनी होकर 65.7% हो गई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ILO और IHD की रिपोर्ट में क्या है?

रिपोर्ट में श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) में साल 2000 से 2018 के बीच गिरावट देखने को मिलती है, हालांकि, 2019 के बाद इसमें थोड़ा सुधार होता है. बता दें कि श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) कामकाजी उम्र की आबादी के संबंध में काम करने वाले या काम की तलाश करने वाले लोगों की संख्या का अनुपात है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 तक भारतीय युवाओं के पास बेसिक इनफार्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) स्किल का भी अभाव था. रिपोर्ट के मुताबिक,

  • 4 में से 3 भारतीय युवा ईमेल के साथ फाइल अटैचमेंट नहीं भेज सके

  • 10 में से 9 भारतीय युवा स्प्रेडशीट में अंकगणितीय सूत्रों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, प्रजेंटेशन सॉफ्टवेयर के साथ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन नहीं बना सकते या स्पेशल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करके कंप्यूटर प्रोग्राम नहीं लिख सकते.

सामाजिक समूहों में, अनुसूचित जनजाति के युवाओं में कंप्यूटर इस्तेमाल करने की जानकारी सबसे कम थी, उसके बाद अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के युवा थे.

पुरुषों और महिलाओं में बड़ा अंतर

ILO और IHD की जो रिपोर्ट आई है, उसमें महिलाओं और पुरुषों के बीच रोजगार और सैलरी में बड़ा अंतर देखने को मिला है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 28.5% युवा शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नियोजित नहीं थे. इसमें से 9.8% पुरुष थे जबकि 48.4% यानी पांच गुना महिलाएं थीं.

जहां तक ​​सैलरी का सवाल है, साल 2022 में एक नियमित वेतनभोगी पुरुष की सैलरी 20,000 रुपये प्रति महीने थी जबकि एक नियमित वेतनभोगी महिला की सैलरी 15,300 रुपये प्रति महीने थी.

इसी तरह, जब एक स्व-रोजगार यानी सेल्फ एंप्लॉयड पुरुष ने लगभग 13,400 रुपये प्रति महीने की कमाई की तो एक सेल्फ एंप्लॉयड महिला ने एक तिहाई या 5,400 रुपये प्रति महीने की कमाई की.

दिल्ली में युवाओं के बीच किए गए लोकनीति सीएसडीएस सर्वेक्षण के मुताबिक, बेरोजगारी का मुद्दा आगामी लोकसभा चुनाव पर असर डाल सकता है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार , पिछले महीने जारी सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि लगभग पांच में से चार युवाओं ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे उनके मतदान के फैसले को प्रभावित करेंगे.

'सरकार बेरोजगारी का समाधान कर सकती है, यह मानना ​​गलत': CEA

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि रिपोर्ट में बताए गए बेरोजगार युवाओं के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने के लिए जल्द ही राजनीतिक दल भी कूद पड़े.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सत्तारूढ़ पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "हम बेरोजगारी के उस ढांचे में बैठे हैं जो कभी भी फट सकता है!"

वहीं राहुल गांधी ने भी आगे बढ़कर वादा किया कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आती है तो विभिन्न रियायतों के जरिए बेरोजगार युवाओं की समस्या का समाधान किया जाएगा.

इस बीच, मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने भारत में बेरोजगारी पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "यह मानना ​​गलत है कि सरकार सभी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान कर सकती है."

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस बयान को सबसे 'चौंकाने वाला कबूलनामा' बताया. उन्होंने कहा, "अगर यह बीजेपी सरकार का आधिकारिक रुख है तो हमें साहसपूर्वक बीजेपी को अपनी सीट खाली करने के लिए कहना चाहिए."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×