इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) और मानव विकास संस्थान (IHD) ने संयुक्त रूप से 'द इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024' जारी की है. इसमें भारत की रोजगार (Employment) स्थिति को लेकर डेटा जारी किया गया है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि रोजगार की स्थिति (Unemployment) को सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है. आइए रिपोर्ट पर नजर डालते हैं.
युवा बेरोजगारी पर क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 80 प्रतिशत से अधिक बेरोजगारों में युवा शामिल हैं, यानी ये युवा काम के लिए तैयार हैं और काम ढूंढ रहे हैं लेकिन इन्हें कोई काम नहीं मिल रहा.
रिपोर्ट में कहा गया कि कुल बेरोजगार युवाओं में 65.7 प्रतिशत बेरोजगार युवा ऐसे हैं जिन्होंने सैकेंडरी एजुकेशन या हायर एजुकेशन प्राप्त किया हुआ है. साल 2000 में ऐसे कुल 35.2 प्रतिशत बेरोजगार युवा थे.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने ये रिपोर्ट जारी की है और कहा है कि 2000 और 2019 के बीच युवा बेरोजगारी और अंडरएंप्लॉयमेंट में वृद्धि हुई है लेकिन महामारी के दौरान इसमें गिरावट आई है.
अंडरएंप्लॉयमेंट वो स्थिति है जब कोई पार्ट-टाइम काम कर रहा हो, ऐसे व्यक्ति का काम में कम इस्तेमाल होता है. कुछ स्थिति में तो व्यक्ति को दिए गए काम से वो ज्यादा क्वालिफाइड होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "युवा बेरोजगारी दर 2000 और 2019 के बीच दो गुना से अधिक बढ़ गई है, ये 5.7% से 17.5% हो गई है, लेकिन फिर 2022 में घटकर 12.4 प्रतिशत हो गई है."
सबसे अधिक युवा बेरोजगारी दर ऐसे युवाओं में देखी गई है जिनके पास ग्रेजुएशन की डिग्री है. इसमें में भी महिलाओं की संख्या ज्यादा है. 2022 में, रोजगार, शिक्षा या ट्रेनिंग में शामिल नहीं होने वाली महिलाओं का अनुपात पुरुषों की तुलना में लगभग पांच गुना (48.4% बनाम 9.8%) अधिक है.
किस तरह के रोजगार में ज्यादा लोग शामिल हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 से 2022 के बीच भारत में ज्यादातर लोग स्व-रोजगार (Self Employed) और कैजुअल रोजगार में शामिल हैं. लगभग 90 प्रतिशत लोग अनौपचारिक रोजगार में शामिल हैं. नियमित (Regular) रोजगार में 2000 के बाद लगातार वृद्धि देखी गई थी, लेकिन 2018 के बाद से इसमें गिरावट देखी गई है.
अब इसका मतलब समझिए - फुल टाइम जॉब में काम करने वाले केवल 10% लोग हैं. 90% लोग ऐसे सेक्टर में काम कर रहे हैं जहां उन्हें अतिरिक्त फायदे या नौकरी में सुरक्षा नहीं मिलती, जैसे पीएफ, पेंशन या बीमा.
वेतन को लेकर कैसे स्थिति है?
रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्ट्रैक्ट आधारित रोजगार में बढ़ोतरी हुई है, फुल टाइम नौकरियां कम हैं.
2012-22 में वेतन कम मिला है जबकि 2012-22 के दौरान कैजुअल रोजगार वालों को मिलने वाले वेतन में मामूली वृद्धि का रुझान देखा गया है, वहीं फुल टाइम नौकरी करने वालों के वेतन स्थिर रहे या उसमें गिरावट आई है. यहां तक की 2019 के बाद स्व-रोजगार की वास्तविक कमाई में भी गिरावट आई है.
बेरोजगारी की स्थिति से कैसे बाहर निकल सकता है भारत?
रिपोर्ट में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने, रोजगार की गुणवत्ता बढ़ाने, श्रम बाजार की असमानताओं को कम करने, स्किल डेवेलपमेंट को लेकर नीतियों की वकालत की गई है.
साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को समर्थन देने की जरूरत पर जोर दिया, साथ ही युवा लोगों के लिए रोजगार के महत्वपूर्ण स्रोत होने की उम्मीद वाले क्षेत्रों में निवेश को लेकर जोर दिया गया है.
रिपोर्ट ने भारत में प्रवासियों, महिलाओं और आर्थिक रूप से वंचित युवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक समावेशी नीति तैयार करने पर भी जोर दिया है.
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