केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) ने 15 दिसंबर को महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी. पहले शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल थी, जिसे अब बढ़ाया गया है.
अब कानून में संशोधन लाएगी सरकार
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट से मंजूरी के बाद चाइल्ड मैरेज ऐक्ट,2006, स्पेशल मैरेज ऐक्ट और हिंदू मैरेज ऐक्ट 1955 के लिए केंद्र सरकार संशोधन लेकर आएगी.
फरवरी 2020 में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाने पर विचार के लिए टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव दिया था. इसी साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस प्रस्ताव पर विचार करने की बात कही थी.
'जनसंख्या नियंत्रण वजह नहीं'
10 सदस्यीय टास्क फोर्स का नेतृत्व कर रहीं समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली का कहना है कि सरकार का शादी की उम्र बढ़ाने का प्रस्ताव टास्क फोर्स के सिफारिशों के आधार पर है. जेटली के अनुसार कमिटी ने महिलाओं की शादी की वर्तमान न्यूनतम उम्र से जुड़ी चिंताओं जैसे जल्दी मां बनना, कम उम्र की मांओं के जीवन पर खतरे आदि पर विचार किया.
मैं यह साफ कर देना चाहती हूं कि हमारी सिफारिशों का आधार कभी भी जनसंख्या नियंत्रण नहीं रहा, हालिया नेशनल फैमिल हेल्थ सर्वे (NFHS 5) में यह बात साफ हो चुकी है कि प्रजजन दर पहले ही कम हो रही है और जनसंख्या नियंत्रण में है. हमारी सिफारिशों का आधार महिलाओं का सशक्तिकरण है.जया जेटली, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत मं
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिलाओं का शादी की औसत उम्र 21 साल साल है, लेकिन कम से कम 35 प्रतिशत महिलाओं की शादी वर्तमान कानूनी उम्र 18 साल से पहले ही हो जाती है.
आपको बता दें कि यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड के अनुसार दुनिया में होने वाले लड़कियों के बाल विवाह में एक तिहाई से ज्यादा हिस्सेदारी भारतीय लड़कियों की होती है.
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