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कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए 24 नवंबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक- रिपोर्ट

29 नवंबर से शीतकालीन सत्र हो रहा शुरू, इस दौरान कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित किया जा सकता है

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भारत
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केंद्रीय कैबिनेट बुधवार, 24 नवंबर की बैठक में तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने (Farm Laws Repealed) पर चर्चा कर सकती है. यह रिपोर्ट हिंदुस्तान टाइम्स ने प्रकाशित की है. रिपोर्ट के अनुसार मामले से परिचित लोगों ने यह भी संकेत दिया कि कैबिनेट संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीनों कानूनों को निरस्त करने के लिए एक नए विधेयक को पेश करने पर भी चर्चा कर सकती है.

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29 नवंबर से शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, इस दौरान कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित किया जा सकता है.

गौरतलब है कि शुक्रवार, 19 नवंबर को गुरु परब के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने माफी मांगते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए अपनी सरकार के फैसले की घोषणा की थी.

जब तक कानून निरस्त नहीं हो जाता, तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा- किसान

दिल्ली बॉर्डर पर मौजूद प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा है कि उनका विरोध कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द करने तक जारी रहेगा. साथ ही उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक कानून के साथ-साथ पिछले एक साल में उनमें से कई के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग की है.

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रविवार, 21 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के पूरा होने के बाद समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि

“हम पीएम को खुला पत्र लिखेंगे. इसमें हमारी लंबित मांगों का उल्लेख होगा - MSP समिति, उसके अधिकार, इसकी समय सीमा, इसके कर्तव्य; बिजली बिल 2020 और किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेना. हम उन्हें लखीमपुर खीरी कांड से जुड़े मंत्री को बर्खास्त करने के लिए भी लिखेंगे.”
बलबीर सिंह राजेवाल

प्रधान मंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किसान संगठन सोमवार, 22 नवंबर को एक 'महापंचायत' भी आयोजित करेगें और शक्ति प्रदर्शन करेंगे.

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि सुधार किसानों की दुर्दशा को रोकने वाले नहीं हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "किसानों और कृषि के लिए सबसे बड़ा सुधार एमएसपी से संबंधित कानून बनाना होगा।"

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