पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए गए H-1B वीजा पर बैन की अवधि 31 मार्च को खत्म हो गई. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बैन को जारी रखने के लिए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है. यानी अब इस वीजा पर लगा बैन खत्म हो गया है.
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जून 2020 में टेम्पररी और नॉन इमिग्रेंट कैटेगरी के वीजा के जरिए होने वाली एंट्री पर बैन लगा दिया था. H-1B वीजा पर भी बैन लगा दिया गया था. बाहर से आने वाले वर्कर्स की वजह से कोविड-19 संक्रमण बढ़ने की संभावना को बैन की वजह बताया गया था.
31 दिसंबर को डोनाल्ड ट्रंप ने बैन की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च, 2021 तक कर दी थी. यानी 31 मार्च के बाद बैन को जारी रखने या खत्म करने का फैसला बाइडेन को लेना था, बाइडेन ने बैन को आगे नहीं बढ़ाया. द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, वाइट हाउस H-1B के बैन का आदेश रिन्यू नहीं करेगा.
क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा के जरिए अमेरिकी कंपनियां उन विदेशी कर्मचारियों को हायर कर सकती हैं, जो टेक्नोलॉजी के मामले में एक्सपर्ट हैं या टेक्निकली स्किल्ड हैं. टेक कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से H-1B वीजा के जरिए हजारों कर्मचारियों को अमेरिका बुलाती हैं.
भारतीय आईटी-प्रोफेशनल्स के लिए खास है H1-B
अमेरिकी सरकार हर साल 86,000 H-1B जारी करती है. इनमें से 65,000 वीजा विदेशों से आऩे वाले स्किल्ड वर्कर्स को जारी होते हैं. वहीं 20,000 उन विदेशी स्किल्ड वर्कर्स को जारी किए जाते हैं, जिनके पास किसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी की हायर एजुकेशन या मास्टर डिग्री है.
1990 के बाद से ही हर साल जारी होने वाले H-1B वीजा में बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों का होता है. पिछले कुछ सालों में भारतीय कंपनियों ने इस वीजा से अपनी निभर्रता कम करनी शुरू की है. लेकिन, वर्कर्स के बीच ये अब भी पॉपुलर है.
चुनाव से पहले किया था बाइडेन ने वादा
राष्ट्रपति बनने से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा था कि अगर वह चुनाव जीतते हैं, तो एच-1बी वीजा पर लागू अस्थायी निलंबन को खत्म कर देंगे.
बाइडेन ने एक डिजिटल टाउन हॉल बैठक में एक सवाल के जवाब में कहा था, “उन्होंने (डोनाल्ड ट्रंप) इस साल के बाकी समय में एच-1बी वीजा को समाप्त कर दिया. ऐसा मेरे प्रशासन में नहीं होगा. कंपनी वीजा पर आए लोगों ने इस देश का निर्माण किया है.”
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