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UPSC मेन्स की तैयारी करने वाले दीपक कुमार मीणा का शव दिल्ली (Delhi) के मुखर्जी नगर इलाके में पेड़ से लटका हुआ मिला. 20 सितंबर को शव मिला और इसी तारीख को मेन्स की परीक्षा भी थी. 10 दिनों से लापता दीपक के साथ क्या हुआ? प्रथम दृष्टया पुलिस इसे सुसाइड से मौत मान रही है. लेकिन परिवार का आरोप है कि बेटे की हत्या की गई है.
पहले प्रयास में UPSC प्री परीक्षा पास की
दीपक राजस्थान के दौसा से थे. उम्र 21 साल. 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे. जयपुर में रहकर ऑनलाइन तैयारी की. पहले प्रयास में ही यूपीएससी प्री परीक्षा पास की. पिता ने बताया, प्री परीक्षा पास होने के बाद बेटे ने दिल्ली में कोचिंग की इच्छा जताई. इसके बाद दृष्टि आईएएस में दाखिला लिया. रोज बात होती थी. पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी. लेकिन 20 सितंबर को सबकुछ बदल गया.
परिवार क्यों कह रहा, बेटे की हत्या हुई?
दीपक के पिता चांदू लाल मीणा किसान हैं. उन्होंने क्विंट हिंदी से बात करते कहा, वो खुश रहता था. रोज हमसे बात करता. हमारे बच्चे के साथ धोखा हुआ है. हमारे बच्चे को मारने में किसी और का हाथ है. वो ऐसा काम नहीं कर सकता.
"किसी ने गला दबाकर मर्डर किया है. शव वाली जगह पर कई चीजें दिखीं. पुरानी रस्सी. जिसमें गांठ लगी है. पैर जमीन पर टिके हैं. एक बेड शीट रखी है, जिसपर बैठकर किसी ने शराब पी हो और मेरे लड़के को पकड़ लिया हो. एक फटी शर्ट कंधे पर लटक रही है. हमारे बच्चे के साथ धोखा हुआ है. किसी ने मारकर टांग दिया."
पुलिस को क्यों लग रहा सुसाइड से मौत?
दिल्ली उत्तर पश्चिम जिले के पुलिस उपायुक्त (DCP) जितेंद्र कुमार मीणा ने कहते हैं, "दीपक की गूगल हिस्ट्री और यूट्यूब सर्च से पता चला है कि उन्होंने सुसाइड मैटेरियल सर्च किया था. मौके से शराब की बोतल मिली थी. सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि दीपक ने बोतल खुद खरीदी थी. बाकी बातों की जांच जारी है. पीएम रिपोर्ट में हैंगिंग की बात सामने आई है. पीएम की वीडियोग्राफी भी करवाई गई थी. इसके अलावा सोशल मीडिया और बाकी चीजों की जांच जारी है."
क्या पुलिस को जला हुआ शव मिला था?
दिल्ली पुलिस को दशहरा मैदान के पास के जंगल में दीपक का शव पेड़ से लटका हुआ मिला. पिता बताते हैं कि पूरा शरीर काला हो गया था. सर पर कोई बाल नहीं थे. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कोई केमिकल डाला हो. बॉडी जली हुई होने के सवाल पर क्विंट हिंदी से बातचीत में DCP मीणा कहते हैं,
बॉडी जली हुई नहीं थी. 11 सितंबर का मामला है और 20 तारीख को शव मिला था. इतने दिनों में बॉडी डीकंपोज होनी शुरू हो जाती है. पोस्टमॉर्टम में भी जले होने की कोई जानकारी नहीं है.
लापता होने से एक दिन पहले हुई थी बात
दीपक 11 सितंबर से लापता थे. 14 सितंबर को उनके पिता ने मुखर्जी नगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई. क्विंट हिंदी से बात करते हुए पिता ने बताया, 10 तारीख को रात साढ़े 8 से 9 के बीच में आखिरी बार बात हुई थी. 11 तारीख के बाद से उसने फोन नहीं उठाया. 12 तारीख तक उसका फोन ऑन था. 13 तारीख से फोन बंद आने लगा. उसके बाद 14 तारीख को हम उसे ढूंढ़ते हुए दिल्ली पहुंचे. हम कोचिंग सेंटर गए. पीजी में गए. हमने खुद से भी ढूंढ़ा, लेकिन नहीं मिला. फिर शाम को हमने मुखर्जी नगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई.
"टेस्ट वाले दिन से ही लापता थे दीपक"
पिता ने दीपक के रूम पार्टनर के हवाले से बताया कि 11 तारीख को दीपक का टेस्ट था. उनके रूम पार्टनर ने फोन करके पूछा कि वो परीक्षा के लिए कब तक आएंगे. तब दीपक ने कहा था कि उनकी चप्पल टूट गई है और वो उसे ठीक करवाकर आएंगे. लेकिन वो वापस नहीं लौटे.
कोचिंग पर मदद न करने का आरोप
परिवार का आरोप है कि दीपक 11 तारीख से लापता थे, लेकिन कोचिंग की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई. जब 14 सितंबर को दीपक का परिवार कोचिंग सेंटर गया, तब भी किसी ने उनकी मदद नहीं की.
पिता ने कहा, "दृष्टि वालों ने हमारी कोई मदद नहीं की. मैंने साथ थाने चलने के लिए भी कहा, लेकिन कोई नहीं आया. हमने खुद से केस दर्ज करवाया."
क्विंट हिंदी से बातचीत में दीपक के फूफा रामकेश मीणा ने भी दृष्टि कोचिंग पर अनदेखी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, दृष्टि वालों की तरफ से हमें कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. हमने जाकर पूछा था कि आपके यहां का कोई बच्चा लापता है क्या? लेकिन वो लोग हमें गुमराह करते रहे.
रामकेश मीणा ने बताया कि 14 तारीख की सुबह हम दिल्ली पहुंच गए थे. उसके बाद शाम में कोचिंग की तरफ से एक मैडम का फोन आया. फोन करने का कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि खाने-पीने और ड्रेस के लिए फोन किया है. जब दीपक के पिता जी ने पूछा कि हमारा बच्चा तीन दिन से लापता है, क्या आपको पता है, तब फोन कट गया.
आरोपों पर कोचिंग संस्थान ने क्या कहा?
परिवार के आरोपों पर जवाब के लिए क्विंट हिंदी ने दृष्टि आईएएस कोचिंग से संपर्क किया. जिसके बाद मंगलवार, 24 सितंबर की शाम को संस्थान की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई. जिसमें कहा गया है, "15 सितंबर को दीपक के परिवार की उपस्थिति में हमारी टीम ने पुलिस को लाइब्रेरी की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराई." कोचिंग की ओर से कहा गया है कि
"दीपक कुमार मीणा ने कभी भी किसी तरह के तनाव या दबाव की शिकायत अपने मेंटर्स से नहीं की. उनके मेंटर्स और मित्रों की राय में वे एक विनम्र और अंतर्मुखी विद्यार्थी थे. किसी के साथ उनका विवाद या झगड़ा होने की संभावना नहीं के बराबर थी."
कोचिंग की ओर से बताया गया है कि दीपक मुख्य परीक्षा 2024 की तैयारी के लिए 10 जुलाई, 2024 से संस्थान से जुड़े थे. जुलाई और अगस्त में उन्होंने कई टेस्ट दिए थे और उन्हें प्रत्येक टेस्ट में अच्छे अंक मिले थे. उनकी तैयारी काफी अच्छी चल रही थी.
मुखर्जी नगर में कैंडल मार्च
मुखर्जी नगर में दीपक मीणा के लिए न्याय की मांग करते हुए 24 सितंबर को कैंडल मार्च निकाला गया. 'Justice For Deepak Meena' पोस्टर-बैनर लिए बड़ी संख्या में यूपीएससी अभ्यर्थियों ने कैंडल मार्च किया.
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने भी दिल्ली पुलिस से मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
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