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‘UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों को जबरन ले गई पुलिस’, प्रदर्शनकारियों की आपबीती

UPSC उम्मीदवार ने बताया-"हमने प्रोटेस्ट की परमीशन ली थी लेकिन पुलिस 6 बजे ही आ गई और हमको वहां से भगा दिया गया."

Published
भारत
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) के ओल्ड राजेंद्र नगर (Old Rajendranagar) में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी कर रहे छात्रों ने सोमवार की रात कुछ मांगों के साथ प्रदर्शन किया, जिसके बाद दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को हिरासत में लिया था. छात्रों ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस आई और टेंट और उसके अंदर रखे बिस्तर, कुर्सियों को तोड़ दिया और छात्रों को जबरन थाने ले आई.

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पिछले साल कोरोना महामारी (Covid19) की वजह से पूरे देश में होने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं पर बुरा असर पड़ा था. कोरोना महामारी के दौरान कई यूपीएससी एस्पायरेंट्स कोरोना पॉजिटिव थे, कुछ छात्रों के फैमली मेंबर्स की कोरोना रिपोर्ट्स पॉजिटिव आई थी. इस वजह से तैयारी करने वाले काफी उम्मीदवार 2021 की यूपीएससी परीक्षा में नहीं बैठ पाए थे.

उनमें से ही कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी यूपीएससी गाइडलाइंस के मुताबिक आयु सीमा खत्म हो चुकी है. यूपीएससी उम्मीदवार दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 19 और 20 दिसंबर को प्रोटेस्ट करते हुए ये मांग कर रहे थे कि हमें एक मौका और दिया जाए.

"अनुमति के बाद नहीं करने दिया गया प्रोटेस्ट"

यूपीएससी उम्मीदवार गौरव कुमार ठाकुर ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि हम लोगों ने प्रोटेस्ट की परमीशन ली थी और 2 बजे से 9 बजे तक प्रदर्शन करने की छूट मिली थी, लेकिन पुलिस 6 बजे ही आ गई और हमारे टेंट वगैरह उखाड़ दिया.

UPSC उम्मीदवार ने बताया-"हमने प्रोटेस्ट की परमीशन ली थी लेकिन पुलिस 6 बजे ही आ गई और हमको वहां से भगा दिया गया."

"अनुमति के बाद नहीं करने दिया गया प्रोटेस्ट"

(फोटो- यूपीएससी उम्मीदवार द्वारा भेजी गई स्लिप)

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"SSC, IIT, NET-JRF हर जगह मिली छूट तो हमें क्यों नहीं?"

ओल्ड राजेंद्रनगर में प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों का ये भी कहना है कि कई ऐसी परीक्षाएं हैं, जिनमें उम्मीदवारों को एक्स्ट्रा अटेम्प्ट दिए गए हैं, इसलिए हमें भी दिए जाएं.

यूपीएससी उम्मीदवारों का कहना है कि कि अगर एसएससी और NET-JRF जैसे तमाम तरह की परीक्षाओं में उम्र की छूट दी गई तो हम लोगों को एक मौका क्यों नहीं दिया जा रहा है.

"नौकरी नहीं, अवसर मांग रहे हैं"

यूपीएससी उम्मीदवार सुमित ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि मैं 2016 से यूपीएससी की तैयारी कर रहा हूं. कई, कई बार मेंस लिख चुका हूं. मैं दलित समाज से आता हूं, हमें बहुत देर में समझ आता है कि यूपीएससी क्या है और कैसे तैयारी करनी है.

जब हम यूपीएससी के लास्ट अटेम्प्ट में पहुंचे तो कोरोना की मार पड़ी, मैं मेंटली डिप्रेश हो गया, मेरा 2021 में 2 नंबर से मेन्स निकलने से रह गया था. इन परिस्थितियों में मैंने 2022 में अपना लास्ट अटेम्प्ट दिया, क्योंकि इसके अलावा कोई जरिया नहीं था.

हमें 9 महीने के अंदर दो मेन्स और एक प्री देने के बाध्य किया गया. मेरी सरकार से गुजारिश के कि संवैधानिक नैतिकता को फॉलो करे, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स को फॉलो करे. सभी वर्गों की तरफ ध्यान दिया गया है तो हम विद्यार्थी क्यों अछूते रह गए हैं. हमें एक मौका दिया जाए, हम नौकरी नहीं बल्कि एग्जाम में बैठने का अवसर मांग रहे हैं.
सुमित, यूपीएससी उम्मीदवार
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"हम ऐसा कुछ नहीं मांग रहे जिसे सरकार ना दे सके"

गौरव कुमार ठाकुर ने कहा कि यूपीएससी एग्जाम से एक महीने पहले ही अगस्त में कोरोना काल के दौरान मैंने अपने पिता जी को खो दिया. उसके बाद मैं एग्जाम देने गया और फेल हो गया.

हम ऐसा कुछ नहीं मांग रहे हैं, जो आप ना दे सकें. मेरी सरकार से दरख्वास्त है कि आपने हर सेक्टर को मौका दिया है और हमें भी एक मौका दिया जाए.

"हम कहां जाएं, किसके पास जाएं?"

यूपीएससी उम्मीदवार ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि 4 अक्टूबर 2020 को प्रीलिम्स का एग्जाम था और 30 सिंतबर को मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया. उस वक्त देश में कोरोना के कड़े नियम लगे हुए थे और क्वारंटीन में था, जिससे घर से बाहर नहीं निकल सकता था, इसलिए मैं एग्जाम में नहीं बैठ सका.

सरकार की नीतियों ने मुझे एग्जाम में नहीं बैठने दिया क्योंकि कोविड पॉजिटिव शख्स के लिए सेंटर पर कोई इंतजाम नहीं किया गया था, मेरी क्या गलती थी? क्या सरकार हम जैसे लोगों के बारे में नहीं सोच सकती? सरकार ने इतने राहत पैकेज दिए हैं, क्या हमारे लिए कोई राहत नहीं है? हम कहां जाएं, किसके पास जाएं?
ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव, यूपीएससी उम्मीदवार
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यूपीएससी उम्मीदवार मनीषा गौर ने कहा कि 2021 में मेरा लास्ट अटेम्ट था. कोरोना महामारी के दौरान में हमारे घर दो मौतें हुईं. हमको ऑक्सीजन के लिए 300 किलोमीटर जाना पड़ा था. उस वक्त मैंने अपना आखिरी अटेम्ट था और ऐसे हालात में भी मैंने एग्जाम दिया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. सरकार से मेरी मांग है कि हमें एक मौका और दिया जाए.

"रिवॉर्ड मांगने पर मिल रही लाठियां"

यूपीएससी उम्मीदवार और कोरोना काल में फ्रंटलाइन वर्कर रहीं डॉक्टर विद्या ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि मैं एम्स से ग्रेजुएट हूं, 2020 में जब कोरोना महामारी आई तो मैं हॉस्पिटल में सर्विसेज दे रही थी. हम 12 से 16 घंटे काम करते थे. एक वक्त था, जब प्रधानमंत्री जी ने हेलिकॉप्टर से हमारे ऊपर फूल बरसाए थे, उस वक्त हमारे ऊपर एसेंसियल सर्विस एक्ट लगा हुआ था. इस वजह से हम पढ़ नहीं सकते थे, हालांकि हमने सर्विसेज छोड़ने की सोची नहीं...हम यही सोच रहे थे कि कितने लोगों की जान बचाई जा सके.

आज जब हम एक अटेम्प्ट का मौका मांग रहे हैं, तो सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है. ये किस तरह की नीति है कि जब आपातकालीन स्थिति थी तो हमारी सेवाएं ली गईं लेकिन जब आज हम उसका रिवॉर्ड मांग रहे हैं तो हमें लाठी मिल रही है.
विद्या, यूपीएससी उम्मीदवार

पुलिस की तरफ से क्या कहा गया?

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर डीसीपी सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट श्वेता चौहान ने कहा कि दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में बीती रात यूपीएससी उम्मीदवार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों के ग्रुप ने एनओसी यानी प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने के लिए कई बार लाउडस्पीकर पर बोला गया. इस पर वो लोग आक्रामक होकर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. प्रदर्शनकारियों को समझाने के कई प्रयास किए गए, इसके बावजूद वे अपनी बात पर अड़े रहे.

इसके बाद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को धरना स्थल से हटा दिया. राजेंद्र नगर पुलिस स्टेशन में करीब 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया.
श्वेता चौहान, डीसीपी
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संसदीय कमेटी ने सरकार से की थी गुजारिश

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों कहना है कि बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली पार्लियामेंट्री स्टैंगिंग कमेटी ने एक्स्ट्रा अटेम्प्ट देने की मांग को माना था. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अभ्यर्थियों को एक्स्ट्रा अटेम्प्ट और उम्र में छूट देने के लिए सरकार से सिफारिश भी की थी.

UPSC उम्मीदवार ने बताया-"हमने प्रोटेस्ट की परमीशन ली थी लेकिन पुलिस 6 बजे ही आ गई और हमको वहां से भगा दिया गया."

छात्रों की मांग पर सरकार का क्या कहना है?

एक्स्ट्रा अटेम्प्ट की मांग को लेकर उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. इस मामले में केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा था कि उम्मीदवारों को एक्स्ट्रा अटेम्प्ट देना संभव नहीं है. अगर यूपीएससी में बैठने वाले छात्रों को मौका दिया गया तो देशभर में अन्य परीक्षा के उम्मीदवार भी इसी तरह की मांग करेंगे. हर परीक्षा के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं हो पाएगा.

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