उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बलिया (Ballia) जिले में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से एक बुजुर्ग महिला की जान चली गई. यहां स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलने वाली एक शर्मनाक घटना भी सामने आई है. अन्दौर गांव के सुकुल प्रजापति की 55 साल की पत्नी जोगनी की तबीयत बिगड़ी तो हॉस्पिटल ले जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला तो उन्होंने अपनी पत्नी को ठेले से हॉस्पिटल तक ले जाने का फैसला किया. इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग के सभी दावों की हकीकत पर्दा उठा दिया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक बुजुर्ग दंपति को यहां की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का सामना करना पड़ा, जिसके चलते बुजुर्ग की मौत तक हो गई.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिलने वाली सेवाओं का आलम यह है कि मृत शरीर वापस घर तक ले जाने के लिए भी कोई एंबुलेंस या किसी प्रकार का वाहन हॉस्पिटल से नहीं मिला.
हॉस्पिटल से नहीं मिली एंबुलेंस
एक लाचार बुजुर्ग आदमी अपनी बीमार पत्नी को 3 किलोमीटर दूर ठेले से इलाज के लिए हॉस्पिटल ले गया. जब वह अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर्स ने उसे रेफर कर दिया, जिसके बाद वो बुजुर्ग पैसों का इंतजाम करके टेम्पो से जिला अस्पताल पहुंचा. इतना सब होने के बाद पत्नी की जान नहीं बचा पाई. उसके बाद लाश को जिला अस्पताल से घर ले जाने के लिए भी एम्बुलेंस नहीं मिली, जिसके बाद बुजुर्ग ने ग्यारह सौ रुपये किराया देकर निजी एम्बुलेंस से पत्नी की लाश लेकर घर वापस लौटा.
बुजुर्ग सुकुल प्रजापति ने बताया...
रात करीब 12 बजे मौत के बाद लाश ले जाने के लिए अस्पताल वालों से एंबुलेंस मांगा तो उन्होंने रात में वाहन ले जाने की अनुमति नहीं होने की बात कही. उसके वो मजबूर होकर उन्होंने प्राइवेट एंबुलेस बुलाकर अपनी पत्नी के मृत शरीर को वापस घर ले गए.
उपमुख्यमंत्री ने दिया जांच का आदेश
जब यह मामला सोशल मीडिया के जरिए शासन तक पहुंचा तो, उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम कार्यालय की ओर इस मामले में जांच का आदेश दिया गया.
सीएमओ डा. नीरज पांडे का कहना है कि जानकारी होने पर पता कराया गया तो चिलकहर पीएचसी पर ठेले से किसी मरीज के पहुंचने की जानकारी नहीं मिली. अस्पताल से एम्बुलेंस नहीं मिलने की किसी ने शिकायत नहीं की है, फिलहाल मामले की जांच की जा रही है. मामले में किसी के भी दोषी निकलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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