यूपी के गोरखपुर में एक कोविड पॉजिटिव को न एंबुलेंस मिली, न सीएम और न पीएम हेल्पलाइन से मदद. लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें अस्पताल में जगह नहीं मिली और आखिर उन्होंने दम तोड़ दिया. इस पर जिला कोविड नोडल अफसर की प्रतिक्रिया और चौंकाने वाली है. उनका कहना है कि 'सबको एडमिट होने की जरूरत नहीं है. अब कोरोना वायरस से मौत हो भी नहीं हो रही है.'
55 साल के व्यापारी सोहन सिंह जिनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं थी, उनको 18 जुलाई को बुखार आया. बुखार के बाद उन्होंने 19 जुलाई की सुबह गोरखपुर स्थित तिलक पैथोलोजी में कोरोना टेस्ट करवाया. 19 जुलाई की शाम उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसी के साथ उनकी तबियत बिगड़ने लगी.
PM, CM हेल्पलाइन कहीं से कोई मदद नहीं
सोहन सिंह के पुत्र 20 साल के अर्पित ने पिता की बिगड़ती तबियत को देखते हुए सबसे पहले एम्बुलेंस के लिए 108 नंबर पर कॉल किया. उन्हें कोई एम्बुलेंस नहीं मिल सकी. इसके बाद परिजनों ने CM इमरजेंसी हेल्प नंबर 1076 पर कॉल किया, कोई हेल्प नहीं मिली. जब वहां से कोई हेल्प नहीं मिली तब सोहन सिंह के बेटे अर्पित सिंह ने PM हेल्प डेस्क 1075 पर कॉल किया. वहां भी कोई हेल्प नहीं मिल सकी.
हताश अर्पित ने पिता की बिगड़ती तबियत पर खुद BRD मेडिकल कॉलेज जाकर बीमार पिता को भर्ती करने के लिए मिन्नतें कीं. लेकिन अस्पताल ने बताया कि बेड खाली नहीं हैं. वहां से निराश होकर अर्पित घर आये तो देखा कि उनके पिता को सांस लेने में दिक्कत बढ़ रही है.
अर्पित ने घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर उप्लब्ध कराने की कोशिश की, लेकिन यहां भी निराशा मिली क्योंकि उन्हें आश्वासन मिला कि सुबह ही सिलेंडर मिल पायेगा. इधर BRD मेडिकल कॉलेज से देर रात कॉल आया कि शहर में ही बने एक आइसोलेशन सेंटर में अपने पिता को पहुंचा दें. अर्पित भागे भागे वहां पहुंचे लेकिन वहां पहुंचकर अर्पित को मालूम हुआ कि यह तो माइग्रेंट्स के लिए बना हुआ साधारण क्वॉरंटीन सेंटर है. मायूस अर्पित वापस घर पहुंचे. जहां 20 जुलाई के सुबह 3:30 बजे अर्पित के पिता ने दम तोड़ दिया
'5000 रुपये देने के बाद हुआ अंतिम संस्कार'
अर्पित का संघर्ष यहीं नहीं खत्म हुआ. वो बताते हैं कि 20 जुलाई को पिता के अंतिम संस्कार के लिए जिला प्रशासन की गाड़ी आई और उन्होंने 5000 रूपये लेने के बाद उनके पिता की बॉडी अंतिम संस्कार के लिए उठाई. 23 जुलाई को अर्पित ने अपने दो भाई और माता के कोविड टेस्ट के लिए फिर से जिला प्रशासन से सहायता मांगी.
लेकिन कोई भी सहायता नहीं मिली यहां तक कि सरकारी एम्बुलेंस इस बार फिर नहीं मिली. थक हार कर अर्पित ने ओला कैब बुक कर टेस्ट कराया. जिसकी रिपोर्ट 24 जुलाई को आई. तीनों भाइयों की रिपोर्ट तो नेगेटिव थीं लेकिन उनकी माता की COVID रिपोर्ट पॉजिटिव आईं. अब हताश अर्पित माता को घर पर ही रख कर उनका उपचार किसी प्राइवेट डॉक्टर से टेलीफोनिक बातचीत के जरिया करा रहे हैं.
इस मामले को लेकर हमने गोरखपुर के जिला कोविड नोडल अधिकारी डॉ राजेश कुमार से बात की.
उत्तरप्रदेश में होम क्वारिंटीन का भी प्रावधान है. अपनी सुविधा अनुसार लोग घरों में या अस्पताल में रह रहे हैं. मुझे, मेरी पत्नी और दोनो बच्चों को कोरोना है. मैंने 108 एम्बुलेंस नहीं बुलाया. हम सब जिंदा हैं, घर पर हैं. घर पर रह कर काढ़ा पी रहे हैं. रही बात उसकी तो वह किसी और कारण से सीरियस रहा होगा. डेथ बहुत कम हो रही हैं, किसी और कारण से डेथ हो रही हैं. COVID की वजह से अब डेथ नहीं हो रही हैं. आपलोग दूर बैठकर प्रश्न उत्तर करते रहते हैं भुक्तभोगी होंगे तब समझ में आएगा.डॉ राजेश कुमार, जिला कोविड नोडल अधिकारी, गोरखपुर
क्विंट ने सबसे पहले नगर निगम में अपर आयुक्त दीपक कृष्णा से लाश के अंतिम संस्कार के लिए लिए गए 5000 लेने की बात पूछी उन्होंने कहा कि "आप CMO साहब से बात कीजिए" इसके साथ ही कॉल का दिया गया. इसके बाद हमने CMO श्रीकृष्ण तिवारी से पूछना चाहा तो कॉल कट कर दी गई साथ ही मैसेज का जवाब भी नहीं मिला.
BRD मेडिकल कॉलेज में सोहन सिंह को भर्ती क्यों नहीं किया गया यह जानने के लिए हमने BRD मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात की. उन्होंने कहा कि "सोहन सिंह का मामला हमारे संज्ञान में नहीं है. हमारे यहां ICU नें बेड खाली नहीं होते तो हम मरीज को नहीं रोकते. वह बाहर जाकर प्राइवेट में इलाज करा सकते हैं." इसके साथ उन्होंने कॉल कट कर दिया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)