उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के दौरान बड़ा हादसा हो गया. यहां अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रही मां-बेटी की जलकर मौत हो गई है. जानकारी के मुताबिक कानपुर प्रशासन सरकारी जमीन से कथित अवैध कब्जा हटाने गया था, जिस घर को गिराया जा रहा था वो लोग मौके पर प्रदर्शन कर रहे थे. घटना जिले के रूरा थाना इलाके के मड़ौली गांव की है.
गांव में अतिक्रमण हटाने गए तहसील प्रशासन की कृष्ण गोपाल दीक्षित के घरवालों से नोकझोंक हो गई. आरोप है कि प्रशासन ने पहले बुलडोजर चलवाया, इसके बाद आग झोपड़ी में लगा दी. झोपड़ी के अंदर मां और बेटी मौजूद थीं. इसके बाद मामला बिगड़ता चला गया और फिर मौके पर मौजूद अफसरों ने भागकर अपनी जान बचाई.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कानपुर देहात के रुरा थाना क्षेत्र के मड़ौली गांव निवासी गेदनलाल ने गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित, अंश दीक्षित, शिवम आदि के खिलाफ आबादी की जमीन पर कब्जा कर मकान बनाने की शिकायत की थी. इस पर 13 जनवरी 2023 को एसडीएम मैथा के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक नंद किशोर, लेखपाल अशोक सिंह चौहान ने जेसीबी से मकान गिरा दिया था.
14 जनवरी को तहसीलदार अकबरपुर रणविजय सिंह ने कृष्ण गोपाल, प्रमिला, शिवम, अंश, नेहा शालिनी, आदित्य शुक्ला और गौरव शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. मौजूदा समय में वह लोग कच्चा छप्पर रखकर वहां पर रह रहे थे, उसे ही हटाने के लिए प्रशासनिक अफसरों की टीम पुलिस बल के साथ पहुंची थी.
मृतक के परिवार का आरोप है कि टीम ने बुलडोजर से नल और मंदिर तोड़ने के साथ ही छप्पर गिरा दिया. इससे छप्पर में आग लग गई और वहां मौजूद प्रमिला जिनकी उम्र 44 थी और उनकी बेटी नेहा (21) की आग की चपेट में आने से जलकर मौके पर ही मौत हो गई. जबकि कृष्ण गोपाल गंभीर रूप से झुलस गए.
मृतकों के परिवार का क्या आरोप?
पीड़ित परिवार के मुताबिक, SDM, तहसीलदार, गांव के अशोक दीक्षित और अनिल दीक्षित के साथ कई और लोग सोमवार को हमारी झोपड़ी पर आए थे. वो लोग बोले झोपड़ी में आग लगा दो. जिसके बाद हमारी झोपड़ी में आग लगा दी गई, तब हम लोग अंदर ही थे. हम लोग बहुत मुश्किल से निकल पाए. गांव का गौरव दीक्षित नाम का युवक दिल्ली में नौकरी करता है. वह लेखपाल और एसओ से मिला हुआ है. उसी ने इन लोगों के साथ मिलकर पैसा देकर हमारी झोपड़ी गिरवा दी है. इन लोगों ने हमारा मंदिर भी तोड़ दिया. मेरी बेटी और पत्नी को मार दिया है.'
पुलिस का क्या कहना है?
एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति के मुताबिक, 'एसडीएम और अन्य प्रशासनिक कर्मचारी अवैध कब्जे को हटाने के लिए आए थे. इस दौरान कुछ लोग अवैध कब्जा न हटाए जाने का विरोध कर रहे थे. इसी दौरान महिला और उनकी बेटी भी विरोध कर रही थी. विरोध करते-करते उन दोनों ने खुद को झोपड़ी के अंदर बंद कर लिया. थोड़ी देर के बाद झोपड़ी के अंदर आग लग गई, जिसमें महिला और उनकी बेटी की मौत हो गई है. आग लगने का कारण पता लगाया जा रहा है. घटना में कुछ लोग और लेखपाल का नाम सामने आ रहा है. इस मामले में जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई होगी.'
5 करोड़ रुपए और सरकारी नौकरी की मांगी
अब मृतका के पीड़ित परिवार ने प्रशासन के सामने अपनी मांग रखी है. पीड़ित परिवार की मांग है कि सभी आरोपियों के ऊपर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज हो. साथ ही परिवार को 5 करोड़ का मुआवजा मिले. इसके अलावा घर के दो सदस्यों की सरकारी नौकरी मिले और परिवार को आजीवन पेंशन की भी मांग रखी गई है. इनके अलावा मृतक के दोनों बेटों को सरकार की तरफ से आवास मिले, ऐसी भी मांग रखी गई है.
फिलहाल इस मामले में 302, 307,436,429,323,34 इन धाराओं में 11 नामजद और 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. एसडीएम मैंथा, थाना प्रभारी रूरा, लेखपाल, कानूनगो, 3 अन्य लेखपाल, अशोक दीक्षित, अनिल दिक्षित, निर्मल दिक्षित, विशाल, जीसीबी ड्राइवर पर मुकदमा दर्ज हुआ है.
वहीं एसडीएम मैंथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, प्रभारी रूरा थाना दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है. वहीं एसडीएम मैंथा को तत्काल हटा दिया गया है.
वहीं इस मामले पर समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ की सरकार पर सवाल उठाए हैं. समाजवादी पार्टी ने कहा, "BJP ने बुलडोजर को अपनी गैरकानूनी ताकत दिखाने का प्रतीक बना लिया है! कानपुर देहात में SDM और लेखपाल ने गरीब परिवार का घर बुलडोजर से किया ध्वस्त, आग लगने के कारण मां बेटी की जिंदा जलकर हुई मौत. इस दिल दहला देने वाली वारदात से पूरा प्रदेश स्तब्ध है. दोषियों को मिले सख्त सजा."
इनपुट- विवेक मिश्रा
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