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कानपुर के चमड़ा व्यापारियों का दर्द- "प्रोत्साहन के बजाय सरकार कर रही प्रताड़ित"

कानपुर के कारोबारियों का आरोप- अब केवल 25 प्रतिशत उद्योग बचा है

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भारत
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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना की मार झेल रहे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कानपुर के चमड़ा उद्योग को प्रशासन से मदद मिलने के बजाय कड़े रुख का सामना करना पड़ा. चमड़ा व्यापारियों का आरोप है कि अब केवल 25 प्रतिशत उद्योग बचा है. चमड़ा कारखाना के मालिक मोहम्मद अर्शी ने द क्विंट से बात करते हुए बताया कि हमारा उद्योग बहुत पुराना है, जो सर्वाइव कर रहा है, उसको प्रोत्साहन मिलने के बजाय प्रताड़ित किया जा रहा है.

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उद्योग की क्षमता को आदेश जारी करते हुए 50 प्रतिशत कर दिया गया है, कहा गया कि आप प्रोडक्शन मेन्युफैक्चरिंग सिर्फ 50 फीसदी ही कर सकते हैं. जहां पर लोग रोजगार के लिए दर-दर ठोकरें खा रहे हैं, इतनी बुरी स्थिति है. किसी और इंडस्ट्री में काम नहीं था. इस दौरान हमारा उद्योग चलने की कोशिश कर रहा था, तो इसको आधा कर दिया गया...हमने उसमें भी सर्वाइव करने की कोशिश की.
मोहम्मद अर्शी, चमड़ा कारखाना मालिक

उन्होंने आगे बताया कि कुछ दिनों बात फिर आदेश आया कि आपके इन्फ्रास्ट्रक्चर (प्रोडक्शन मशीनरी) को भी 50 फीसदी डिस्मेंटल कर दिया गया है. डिपार्टमेंट द्वारा ये नोटिस जारी किया गया और हमारी इंडस्ट्री को बंद कर दिया गया. बोर्ड ने जो गाइडलाइन दी, कि इतनी मशीनें आप तोड़कर हटाइए...इसके बाद सर्वे किया जाएगा. कहा गया कि जब ये मशीनें हटा दी जाएंगी तब इंड्स्ट्री को चलाने का आदेश किया जाएगा.

मजबूरी में हमने अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपने हाथों से तोड़ दिया, तोड़ने के बाद आदेश किया गया और फिर हमने उसको फिर से शुरू किया. इसको 6 महीने ही हुए थे कि नई गाइडलाइन जारी कर दी गई कि आप अपने उद्योग को महीने में सिर्फ 15 दिन के लिए चला सकते हैं.
मोहम्मद अर्शी, चमड़ा कारखाना मालिक

उन्होंने कहा कि हमारी क्षमता को 100 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर ला दिया गया.

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कहा जा रहा है कि गंगा में प्रदूषण रोकने की कवायद में NGT और प्रदूषण कट्रोल बोर्ड ने कानपुर चमड़ा व्यवसाय पर नकेल कसी.

इस पर चमड़ा कारखाना मालिक कौशलेन्द्र दीक्षित ने कहा कि जो भी इस तरह की बयानबाजी कर रहा है, वो निराधार है. गंगा नदी में उद्योग का पानी नहीं जा रहा है. जो लोग ये कह रहे हैं, उनसे हमारी अपील है कि वो यहां पर आएं और चलकर बताएं कि कहां से पानी जा रहा है.

हमारे काम को बदनाम करने के लिए जो भी इस तरह की बातें कर रहे हैं वो बिल्कुल बेकार की बात कर रहे हैं, ये बहुत गलत बात है.
कौशलेन्द्र दीक्षित, चमड़ा कारखाना मालिक

धरातल पर नहीं उतर पाई वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम

कानपुर के चमड़ा कारोबारियों का आरोप है कि अधिकारियों की उदासीनता के कारण धरातल पर वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम नहीं उतर पाई है.

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चमड़ा कारखाना मालिक नय्यर जमाल ने कहा कि सरकार जो भी स्कीम घोषित करती है, अच्छी नीयत से करती है लेकिन स्कीम के तहत किसी की अकाउंटिबिलिटी नहीं तय की गई. जिले के जो अधिकारी हैं उनको ये जिम्मेदारी देना चाहिए था कि आप इंड्स्ट्री को 10 फीसदी बढ़ाकर दिखाइए. हमारी जानकारी में है कि जो भी फंड आया था, वो वापस चला गया.

चपड़ा उद्योग पर मंडरा रहा खतरा

रोजगार से जूझ रहे देश में चमड़ा उद्योग पर मंडरा रहे खतरे से कामगार निराश हैं.वमजदूर मोहम्मद अबरार ने द क्विंट से बात करते हुए बताया कि एक महीने में सिर्फ दस दिन काम मिलता है, जिससे 5-6 रूपए कमा लेते हैं. इससे पहले महीने में हम 10-12 हजार रूपए कमा लेते थे.

मैं अब तीन जगह काम करता हूं क्योंकि एक जगह काम ही नहीं मिल पाता, महीने में दस दिन काम मिलेगा तो क्या कर पाएंगे हम?
मोहम्मद अबरार, मजदूर
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चमड़ा कारखाना मालिक कौशलेन्द्र दीक्षित ने कहा कि आगे जो भी सरकार बने उससे हमारी यही गुजारिश है कि कारोबार को पर्णतः पहले की तरह किया जाए और हमें काम करने दिया जाए, जिससे यहां के गरीब मजदूरों का पेट भर सके और जो लोग कारखाने लगाए हुए हैं उनका पेट भरे. सरकार से हमारी गुजारिश है कि काम करने की छूट दी जाए, जिससे जो लोग लोन लेकर अपना कारोबार चला रहे हैं, उन्हें बैंक को वापस लोन चुकाने का मौका मिल सके.

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