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मुरादाबाद: हिंदू कॉलेज में बुर्का बैन, हिजाब की इजाजत, स्टूडेंट्स से बातचीत

हिंदू कॉलेज में करीब बारह हजार से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ते हैं. जिनमें कई मुस्लिम छात्र और छात्राएं भी हैं.

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बुर्का को लेकर मुरादाबाद के हिंदू कॉलेज में स्टूडेंट के विरोध के बाद, कॉलेज के अधिकारियों ने साफ किया है कि कॉलेज परिसर में बुर्का पर प्रतिबंध है, लेकिन हिजाब (Hijab) पर कोई रोक नहीं है.

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने कॉलेजों में से एक हिंदू कॉलेज में 1 जनवरी 2023 को विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने स्टूडेंट के लिए एक नया ड्रेस कोड लागू किया. जिसके मुताबिक सभी स्टूडेंट को ग्रे और सफेद रंग की ड्रेस पहननी होगी.

लेकिन जनवरी के तीसरे हफ्ते में जब ड्रेस कोड ठीक से लागू होना शुरू हुआ तो कुछ बुर्का पहनी छात्राओं को कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया. जिसके बाद छात्राओं ने कॉलेज कैंपस में धरना शुरू कर दिया. 

इस घटना को कर्नाटक के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से शुरू हुए हिजाब विवाद से जोड़कर देखा जाने लगा, जहां लड़कियों के कॉलेज में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी.

बता दें कि इस कॉलेज में अलग-अलग कोर्स में करीब बारह हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं. जिनमें कई मुस्लिम छात्र और छात्राएं भी हैं.

हालांकि, मुरादाबाद में विरोध शुरू होने के कुछ दिनों बाद, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि मुस्लिम स्टूडेंट कॉमन रूम में अपना बुर्का उतार सकती हैं और फिर हिजाब पहनकर अपने क्लास में जा सकती हैं.

द क्विंट से बात करते हुए हिंदू कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर एपी सिंह ने कहा,

“कॉमन रूम कॉलेज गेट के ठीक अंदर बनाया गया है. यह स्टूडेंट को अपना बुर्का उतारने और अपनी कक्षाओं में जाने के लिए सुरक्षा और प्राइवेसी देता है. वे अपना हिजाब क्लास में रख सकती हैं. क्लास में हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है.”

सिंह ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में कई मुस्लिम स्टूडेंट हैं और "किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है."

उन्होंने कहा, “इससे पहले हमारे पास ड्रेस नहीं थी. इसलिए, यह स्वाभाविक है कि कुछ छात्रों को एडजस्ट होने में कुछ समय लग सकता है. लेकिन ड्रेस का मतलब हिजाबी स्टूडेंट या किसी के साथ भेदभाव करना नहीं है."

'गेट के बाहर बुर्का उतारना अपमानजनक था': स्टूडेंट

यूनिवर्सिटी के फैसले के खिलाफ स्टूडेंट के एक वर्ग के साथ-साथ समाजवादी पार्टी की युवा शाखा 'समाजवादी छात्र सभा' ​​विरोध प्रदर्शन कर रही थी. विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें और वीडियो पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.

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”समाजवादी छात्र सभा के मुरादाबाद जिले के नेता असलम चौधरी ने कहा,

“स्टूडेंट को सिर्फ उनके कपड़ों की वजह से गेट पर रोका जा रहा था. हमें इससे समस्या थी और इसलिए हमने इसे कॉलेज के अधिकारियों के सामने उठाया. वे हिजाब के साथ स्टूडेंट को क्लास में प्रवेश करने की अनुमति देने के लिए सहमत हुए, और कहा कि उन्हें कॉलेज के अंदर चेंजिंग रूम में अपना बुर्का उतारना होगा.

छात्राओं ने कहा कि विश्वविद्यालय के गेट के बाहर बुर्का उतारना बोझिल हो रहा था और अपमानजनक लग रहा था. स्टूडेंट में से एक ने कहा, “मैं कुछ दिन पहले अपना फॉर्म भरने आई थी लेकिन गेट के बाहर बुर्का उतारने के लिए कहा गया. इस तरह गेट पर अपना बुर्का उतारना बहुत अपमानजनक था, जबकि बुर्के के अंदर ड्रेस थी.”

हालांकि, कॉमन रूम को अब चेंजिंग रूम बना दिया गया है जिस वजह से विरोध कम हो रहा है. स्टूडेंट ने कहा,

“हमें ड्रेस के नियमों का पालन करने में कोई समस्या नहीं है. हम हिजाब पहनकर ऐसा कर सकते हैं, और जब तक हमें गेट पर बुर्का हटाने के लिए नहीं कहा जाता है और इसे बंद क्वार्टर के भीतर उतार सकते हैं, हमें कोई समस्या नहीं है.”

मुरादाबाद का हिंदू कॉलेज 1911 में एक मिडिल स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में इसे एक इंटरमीडिएट कॉलेज और फिर 1950 में एक पोस्ट-ग्रेजुएट कॉलेज में बदल दिया गया. यह बरेली के जेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त है.

बता दें कि पिछले साल, कर्नाटक सरकार द्वारा लगाए गए हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ व्यापक विरोध देखा गया था, जिसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रतिबंध को बरकरार रखा था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में खंडित फैसला सुनाया.

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