उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी जिले में डोकरानी बामक ग्लेशियर में डंडा-2 पर्वत चोटी पर 4 अक्टूबर की सुबह 8.45 हिमस्खलन होने से दुर्घटना हो गई. जिसमें नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM) के 34 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों और सात प्रशिक्षकों की एक टीम हिमस्खलन में फंस गई. रिपोर्ट के मुताबिक इस हादसे में अब तक दस पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है और दस लोग लापता हैं. उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने कहा कि फंसे आठ लोगों को उनकी टीम के सदस्यों ने बचाया है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने ट्वीट में कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और एनआईएम के पर्वतारोहियों की एक टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है.
मुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी फोन पर बात की और बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए सेना की मदद मांगी.
नेहरू पर्वतारोही संस्थान के प्रधानाचार्य अमित बिष्ट ने बताया कि नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM) के 40 प्रशिक्षुओं की टीम द्रोपदी का डंडा-2 पर गई थी.
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है. घटनास्थल पर एनआईएम के पास दो सेटेलाईट फोन मौजूद हैं, रेस्क्यू अभियान के लिए अधिकारियों के साथ लगातार समन्वय किया जा रहा है.
सितंबर से चल रही थी ट्रेनिंग
ये भी बताया जा रहा है कि नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM) का डोकरानी नाम के ग्लेशियर में 22 सितंबर से बेसिक और एडवांस कोर्स की ट्रेनिंग चल रही थी. इसमें बेसिक प्रशिक्षण 97 प्रशिक्षार्थी, 24 प्रशिक्षक व NIM के एक अधिकारी समेत कुल 122 लोग शामिल थे. एडवांस कोर्स में 44 प्रशिक्षणार्थी और 9 प्रशिक्षक समेत कुल 53 लोग शमिल थे.
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