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Uttarakhand: हिमस्खलन के वक्त टीम लीड कर रहे घायल ट्रेनर ने बताया क्या हुआ था?

Uttarakhand Avalanche Accident: अभी तक 16 पर्वतारोहियों के शव बरामद हो चुके हैं जबकि 13 पर्वतारोही अभी भी लापता हैं

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Uttarakhand avalanche: उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी के पास हुए हिमस्खलन में फंसे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रशिक्षु पर्वतारोही दल के सदस्यों को निकालने के लिए खोज और बचाव काम गुरुवार, 6 अक्टूबर को फिर से शुरू किया गया. नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम ने आज 12 शव बरामद कर दिए हैं. अभी तक 16 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 13 पर्वतारोही अभी लापता हैं. हादसे के वक्त अभियान दल का नेतृत्व कर रहे और हिमस्खलन की चपेट में आकर घायल ट्रेनर ने बताया है कि वहां क्या हुआ था.

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हिमस्खलन की कोई उम्मीद नहीं थी, मौसम भी पूरी तरह साफ था, लेकिन अचानक...

पर्वतारोहण सबसे जोखिम भरा एडवेंचर है. उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौसम की दुश्वारियों के साथ हर समय हादसे का अंदेशा रहता है. नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात सूबेदार अनिल कुमार का पिछले 12 वर्ष में दो बड़े हिमस्खलन (एवलांच) से सामना हो चुका है. अनिल कुमार कहते हैं, दोनों हादसों में उन्हें नया जीवन मिला है. इससे पहले गुलमर्ग में उन्होंने एवलांच का सामना किया है.

मंगलवार को भी अनिल कुमार द्रौपदी का डांडा आरोहण अभियान दल का नेतृत्व कर रहे थे और हिमस्खलन की चपेट में आकर घायल भी हुए हैं.

अनिल कुमार ने बताया कि मंगलवार, 4 अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा के आरोहण के लिए वह सबसे आगे रस्सी बांध रहे थे. उनके पीछे पूरा दल चल रहा था. प्रशिक्षक एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल और नवमी रावत प्रशिक्षुओं की लाइन के बीच में थी. हिमस्खलन की कोई उम्मीद नहीं थी, मौसम भी पूरी तरह साफ था. अचानक 100 मीटर लंबे हिस्से में हिमस्खलन हुआ और वो प्रशिक्षुओं के साथ 50 मीटर गहरे क्रेवास में समा गए.

वह किसी तरह हिमस्खलन की जद में आने के दौरान किनारे की ओर छिटके तब जाकर उनकी जान बच सकी. फिर उन्होंने प्रशिक्षक राकेश राणा और दिगंबर के साथ मिलकर क्रेवास में उतरने के लिए रस्सी बांधी. फिर बर्फ में फंसे प्रशिक्षुओं को निकाला गया. प्रशिक्षक सविता कंसवाल और नवमी रावत को क्रेवास के अंदर से निकाला गया, लेकिन दोनों पहले ही दम तोड़ चुकी थीं.

अनिल कुमार कहते हैं कि वर्ष 2010 में वह जवाहर पर्वतारोहण संस्थान (जिम) गुलमर्ग में तैनात थे. उस समय करीब 250 प्रशिक्षुओं का दल था. यह दल हिमस्खलन की चपेट में आया, जिसमें 18 प्रशिक्षुओं की मौत हुई थी. लेकिन, द्रौपदी का डांडा में हुई हिमस्खलन की घटना बेहद बड़ी और दुर्भाग्यपूर्ण है.

बता दें कि हिमस्खलन में लापता हुए प्रशिक्षु पर्वतारोहियों के बचाव के लिए जम्मू कश्मीर के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग की रेस्क्यू टीम पहुंची है. इस टीम को द्रौपदी डांडा के बेस कैंप क्षेत्र में उतारा गया. सरकारी सूत्रों ने बताया कि आज 12 शव इस रेस्कयू टीमों द्वारा बरामद किया गया है. अब तक कुल 16 शव बरामद हुये हैं. बरामद शवों में से केवल दो शवों की शिनाख्त हो पाई हैं, जो नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की महिला प्रशिक्षक हैं.

खराब मौसम भी रेस्क्यू ऑपरेशन में खलल डाल रहा है. बारिश होने पर रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ रहा है.

पर्वतारोही नीतीश दहिया के परिजनों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लगाई मदद की गुहार

उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी के पास हुए हिमस्खलन के चपेट में आया प्रशिक्षु पर्वतारोही दल के सदस्यों में हरियाणा के सोनीपत जिले के खरखौदा का नीतीश दहिया भी था. अब परिवार किसी अनहोनी की आशंका को लेकर चिंतित है. नीतीश दहिया के परिजनों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मदद की गुहार लगाई है और कहा है कि हरियाणा सरकार उत्तराखंड सरकार से नीतीश दहिया की स्थिति की जानकारी मांगे.

(इनपुट-मधुसूदन जोशी)

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