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उत्तराखंड सरकार ने रद्द की कांवड़ यात्रा, कोरोना के चलते लिया गया फैसला

कावड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला

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भारत
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उत्तराखंड सरकार ने आखिरकार कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) को रद्द करने का फैसला किया है. कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने ये फैसला लिया है.

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यात्रा के पक्ष में थे उत्तराखंड के नए सीएम?

बता दें कि कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने पहले ही ये फैसला लिया था कि कोरोना महामारी के बीच यात्रा नहीं होगी. लेकिन तब तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री थे. अब बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया तो कांवड़ यात्रा शुरू करने की अटकलें शुरू हो गईं. इसी बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड के सीएम से बातचीत की. जिसके बाद खुद पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा शुरू करने के संकेत दिए थे.

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नए सीएम धामी ने कांवड़ यात्रा को लेकर कहा था कि भगवान नहीं चाहेंगे कि किसी की भी जान जाए. उनके इस बयान की खूब आलोचना भी हुई थी. धामी ने कहा था,

“मुझसे पहले, 30 जून को राज्य कैबिनेट द्वारा पहले ही एक निर्णय लिया जा चुका था कि कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी. लेकिन फिर भी हमने सोचा की ये श्रद्धा और आस्था का विषय है. श्रद्धा और आस्था का विषय भगवान से जुड़ा हुआ होता है और भगवान भी नहीं चाहेंगे की किसी की जान जाए."
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रद्द क्यों हुई कांवड़ यात्रा?

उत्तराखंड में बीजेपी ने 5 साल में 3 मुख्यमंत्री जनता को दिए हैं. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था तो उन्होंने कुंभ को अपना चुनावी हथियार बनाने की कोशिश की. कुंभ का भव्य आयोजन कराने को लेकर तमाम तरह की बयानबाजी की, लेकिन ये दाव उल्टा पड़ गया और खुद प्रधानमंत्री को कुंभ समाप्ति की अपील करनी पड़ी.

इसके बाद अब पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभाली तो उन्हें भी कांवड़ यात्रा को रद्द करने की घोषणा करना ठीक नहीं लगा. उनके पिछले बयानों से यही लगा कि वो पूरी तरह से यात्रा के पक्ष में हैं, लेकिन आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया, जो अब पिछले मुख्यमंत्री के ही फैसले पर मुहर लगा दी गई? बताया जा रहा है कि केंद्र से पुष्कर सिंह धामी को ये निर्देश मिले हैं. बीजेपी नेतृत्व नहीं चाहता था कि कुंभ की ही तरह कांवड़ यात्रा पर लिया गया फैसला भी पार्टी और सरकार के खिलाफ जाए. तीसरी लहर की आहट के बीच ये फैसला बीजेपी के लिए घातक साबित हो सकता था. इसीलिए अब कोरोना महामारी के बीच यात्रा को लेकर बीजेपी सरकार कोई बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहती है.

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