कांवड़ यात्रा के बारे में उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने रविवार को कहा कि कांवड़ यात्रा श्रद्धा और आस्था का विषय है,और भगवान नहीं चाहेंगे कि कोई मर जाए." उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से भक्त वार्षिक कांवड़ यात्रा में भाग लेते हैं, सभी गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार और ऋषिकेश जाते हैं.
तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व वाली पिछली उत्तराखंड सरकार ने इस साल के लिए यात्रा रद्द करने का फैसला किया था. हालांकि, धामी के सीएम बनने के बाद, सरकार ने इस कदम पर पुनर्विचार करने का फैसला किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ वार्षिक तीर्थयात्रा पर चर्चा करने के एक दिन बाद मीडिया से बात करते हुए, धामी ने कहा,
“मुझसे पहले, 30 जून को राज्य कैबिनेट द्वारा पहले ही एक निर्णय लिया जा चुका था कि कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी. लेकिन फिर भी हमने सोचा की ये श्रद्धा और आस्था का विषय है. श्रद्धा और आस्था का विषय भगवान से जुड़ा हुआ होता है और भगवान भी नहीं चाहेंगे की किसी की जान जाए."
धामी ने कहा कि तीर्थयात्रा को लेकर दो-तीन राज्यों के अधिकारियों की बैठक हो चुकी है.
“हमारी पहली प्राथमिकता यह है कि लोगों की जान को खतरा न हो, कि उनका जीवन सुरक्षित रहे."मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल में कुंभ मेले की अनुमति देने के लिए की गई आलोचना के मद्देनजर राज्य सरकार कांवड़ यात्रा की अनुमति देने या न देने के बारे में निर्णय लेने से पहले सतर्क रहना चाहती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)