उत्तराखंड (Uttarakhand) की शांत वादियों में इस समय सांप्रदायिक तनाव है. डर और पलायन की खबर सुनने को मिल रही हैं. उत्तरकाशी के पुरोला (Purola) में दक्षिणपंथी संगठनों ने मुस्लिम परिवारों को क्षेत्र खाली करने का अल्टीमेटम दिया है जिसके बाद से कई मुस्लिम परिवार अपना घर छोड़कर चले गए हैं. दक्षिणपंथी संगठनों ने कहा है कि वे 15 जून को महापंचायत करेंगे, हालांकि प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी है.
तनाव के बीच जिला प्रशासन ने पुरोला में धारा 144 लागू कर दी है.
उत्तरकाशी के डीएम अभिषेक रोहिला ने कहा कि इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है और जिला प्रशासन ने कथित 'लव जिहाद' के मामले में महापंचायत की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा पुलिस अब दुकानों पर लगे आपत्तिजनक पोस्टर भी हटा रही है.
15 जून को पुरोला में ही विशेष समुदाय ने महापंचायत की इजाजत मांगी थी, इसके विरोध में 18 जून को दूसरे समुदाय ने भी महापंचायत करने की धमकी दी थी.
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि राज्य में किसी को भी कानून-व्यवस्था को खराब करन की इजाजत नहीं दी जाएगी.
महापंचायत की मांग पर साहित्यकार अशोक वाजपेयी, प्रोफेसर अपूर्वानंद और NGOs ने इसकी इजाजत न देने की अपील की थी, लेकिन प्रशासन ने अपने स्तर पर ही इजाजत देने से इनकार कर दिया.
क्या है मामला?
दरअसल 26 मई को, जितेंद्र सैनी और उबैद खान नाम के दो लोगों को कथित रूप से उत्तरकाशी के पुरोला कस्बे में एक नाबालिग लड़की का अपहरण करने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था. लड़की को घर वापस भेज दिया गया और दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों में से एक हिंदू है, लेकिन दूसरे के मुस्लिम होने ने 'लव जिहाद' के संदेह और अफवाहों को जन्म दिया. यह जल्द ही शहर में जंगल की आग की तरह फैल गया.
हालांकि, द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, मामले के एक जांच अधिकारी ने 'लव जिहाद' के एंगल से इनकार किया है. अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, "लड़की इन लोगों को नहीं जानती थी... कोई लव जिहाद एंगल नहीं है."
इसके बाद जल्द ही, क्षेत्र में तनाव फैल गया. 29 मई को दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ से पुरोला में एक बड़ी रैली निकाली गई, जिसमें मुसलमानों से शहर छोड़ने की मांग की गई.
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