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उत्तरकाशी: सुरंग में फंसे मजदूरों को 9वें दिन मिला गर्म खाना, '5 प्लान' कैसे काम करेगा?

Uttarakhand: रेस्क्यू ऑपरेशन के 9वें दिन बड़ी सफलता, मजदूरों को मिली 'लाइफ लाइन' वाली पाइपलाइन, 6 इंच चौड़ा पाइप पहुंचा

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उत्तराखंड (Uttarkhand) के उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel) में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों (41 Labors) को रेस्क्यू करने के अभियान को एक सप्ताह से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अब तक मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली है.

हालांकि, आज, 20 नवंबर को एक अहम कामयाबी हाथ लगी. सुरंग के बंद हिस्से में 6 इंच की पाइप लाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बनाने का काम पूरा हो गया है. ड्रिलिंग करके मलबे के आरपार 53 मीटर लंबी पाइपलाइन डाली गई. इस पाइप के जरिए अब फंसे श्रमिकों तक पहली बार गर्म खाना और बातचीत के लिए वॉकी-टॉकी भेजा गया है.

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रेस्क्यू ऑपरेशन के 9वें दिन यानी सोमवार को शाम करीब साढ़े चार बजे NHAIDCL के निदेशक अंशुमनीष खलखो, जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और टनल के भीतर संचालित रेस्क्यू अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने मीडिया से ये अहम जानकारियां शेयर की. उन्होंने बताया कि नौ दिनों से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में पहली बार बड़ी कामयाबी मिली है. इसके बाद श्रमिकों को जल्द सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास तेज होंगे.

श्रमिकों के जीवन की रक्षा के लिए अब तक 4 इंच की पाइपलाइन ही लाइफलाइन बनी थी. अब सेकेंडरी लाइफ लाइन के तौर पर छह इंच मोटी पाइप मलबे के आरपार बिछा दी गई है. इससे खाद्य सामग्री, दवाईयों समेत बाकी जरूरी सामान भेजे जा सकेंगे
अंशुमनीष खलखो

मजदूरों को भेजी जा रही खिचड़ी

मजदूरों को रात के खाने में खिचड़ी भेजी जा रही है. खाना बनाने वाले कुक रवि राय ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि एक व्यक्ति के लिए 750 ग्राम खाना तैयार किया गया है. पहली बार उनके लिए गरम खाना भेजा जा रहा है. आज उनके लिए खिचड़ी भेजी जा रही है. संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया है. कल से उन्हें दलिया और अन्य खाद्य सामग्री भेजी जाएगी.

सुरक्षा कर्मचारी निपु कुमार ने कहा कि "बातचीत के लिए एक वॉकी-टॉकी अंदर भेजा गया है. दो चार्जर भी भेजे जा रहे हैं. भोजन भेजा जाएगा. यदि उन्हें किसी और जरूरी चीज की ज होगी तो उन्हें भी जरूरत होगी तो वो भी भेजा जाएगा."

मजदूरों को बचाने के लिए 'पांच प्लान' 

मजदूरों तक हवा-पानी-खाना और जरूरी चीजें पहुंचाई जा रही हैं, लेकिन अब उन्हें निकालने के लिए अधिकारी पांच सूत्री योजना पर काम कर रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये ऐसा प्लान है, जिसके सफल होने की संभावना ज्यादा है.

आइए जानते हैं कि सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने का ये प्लान है क्या?

सरकार की ओर से दिए गए डिटेल्स के अनुसार, पांच अलग-अलग एजेंसियों को इस रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो पांच अलग-अलग योजनाओं पर काम करेंगी. ये एजेंसियां हैं-

  • तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)

  • सतलुज जल विद्युत निगम (SGVNL)

  • रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL)

  • राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (NHICDL)

  • टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (THCL)

 1. प्लान के बड़े हिस्से में शामिल ड्रिलिंग

मजदूरों को निकालने को लेकर बनाए गए प्लान में तीन जगहों से ड्रिंलिंग करना शामिल है.

  1. पहली जगह - जिस पहाड़ी की निर्माणाधीन सुरंग में मजदूर फंसे हैं, उस पहाड़ी की चोटी से ऊपर से नीचे की ओर ड्रिंलिंग की जाएगी.

  2. दूसरी जगह - सिल्क्यारा की ओर सुरंग को बाधित करने वाले मलबे के माध्यम से एक तरफ से दूसरी तरफ (हॉरिजॉन्टल) ड्रिल करने के प्रयास जारी रहेंगे.

  3. तीसरी जगह - प्लान के मुताबिक, बड़कोट की ओर से एक छोटी सुरंग खोदने का ऑपरेशन भी शुरू किया जाएगा.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 19 नवंबर को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ घटनास्थल का दौरा किया और बचाव कार्यों की समीक्षा की. गडकरी ने कहा कि अगर ड्रिलिंग के लिए लाई गई मशीनें ठीक से काम करेंगी तो दो से तीन दिन में मजदूरों को बचा लिया जाएगा. उन्होंने कहा फंसे हुए लोग सुरक्षित हैं और अच्छी स्थिति में हैं.

सीमा सड़क संगठन (BRO) ने पहाड़ी की चोटी से होने वाली ड्रिंलिंग के लिए रोड बनाया दिया है, साथ ही एक प्लेटफॉर्म भी तैयार किया गया है, जहां से ऊपर से नीचे की ओर ड्रिंलिंग होनी है. वहीं, इसी प्लेटफॉर्म से रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने एक छह इंच की पाइपलाइन बनाने की तैयारी शुरू की थी, जिसमें सफलता मिल गयी है.

2. पहाड़ी की चोटी से बनेगी सुरंग

सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL) पहाड़ी की चोटी से ड्रिल कर ऊपर से नीचे जाने वाली सुरंग का निर्माण करेगी और इस सुरंग की मदद से फंसे हुए मजदूरों को निकालने की योजना है. इसी से संबंधित, रेलवे की मदद से गुजरात और ओडिशा से उपकरण लाए गए हैं. इस प्लान में गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली ओएनजीसी (ONGC) भी मदद कर रही है.

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3. बड़कोट की ओर से बनेगी 'माइक्रो' सुरंग

योजना के तीसरे पार्ट में बड़कोट की ओर से एक "माइक्रो" यानी छोटी सुरंग बनाकर श्रमिकों तक पहुंचने के लिए एक तरफ से दूसरी तरफ तक की जाने वाली 483 मीटर की ड्रिलिंग शामिल है. इस काम की जिम्मेदारी टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (THDCL) को दी गई है. इसके लिए इस्तेमाल में आने वाली मशीनें मंगाई गईं हैं, काम जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा.

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4. मौजूदा सुरंग को मजबूत बनाना

चौथे प्लान में जो सुरंग पहले से मौजूद हैं, उन्हें मजबूत बनाए रखने का काम किया जाएगा.

नितिन गडकरी के अनुसार, अगर सब कुछ सही रहा, तो फंसे हुए लोगों को बचाने का सबसे तेज तरीका सिल्क्यारा की ओर से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग करना है, जो एक छोर से दूसरी छोर तक होगी.
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5. सिल्क्यारा की ओर से होगी ड्रिलिंग

प्लान के पांचवें पार्ट के तहत सिल्क्यारा छोर से ड्रिलिंग जारी रखी जाएगी. इसकी जिम्मेदारी नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के पास है.

इससे पहले मजदूरों को खाने के लिए चना, मुरमुरा, ड्राय फ्रूट्स और दवाइयां 4 इंच कंप्रेसर पाइपलाइ के जरिए दी जा रही थी. अब जिस 6 इंच पाइपलाइन का सफल निर्माण हुआ है, उसकी मदद से खाने की गर्म बनी चीजें भेजी जा रही हैं.

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