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प्रॉपर्टी चोरी में महाराष्ट्र रैंक वन और रिकवरी में सबसे पीछे!

NCRB की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सालाना होने वाले चोरी के आधे से ज्यादा मामले महाराष्ट्र में होते हैं.

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भारत
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नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की सालाना रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया 2015’ के मुताबिक, भारत के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर साल 2015 में कुल 8210.4 करोड़ की संपत्ति चोरी हुई.

इस आंकड़े में डकैती, चैन स्नैचिंग, झपटमारी, घरों में चोरी की सभी वारदातों से लेकर धांधली के बड़े मुकदमों तक महज वही केस शामिल हैं, जिन्हें पुलिस ने दर्ज किया.

लेकिन चोरी का यह आंकड़ा देश के बाकी राज्यों के लिए जितना भयानक है, उससे कहीं ज्यादा भयानक यह महाराष्ट्रवासियों के लिए है. क्योंकि 8210.4 करोड़ की संपत्ति में से 50 परसेंट से भी ज्यादा संपत्ति अकेले महाराष्ट्र में चोरी हुई.

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जरा इन आंकड़ों को देखिए...

इस अंजाम तक पहुंचते हैं ये आंकड़े:

  • महाराष्ट्र में साल 2014 से 2015 के बीच ही संपत्ति चोरी के मामले करीब डेढ़ गुने बढ़ गए.
  • साल 2015 में जितनी संपत्ति की चोरी अकेले महाराष्ट्र में हुई, वह भारत में हुई कुल चोरी का 55.2% है.
  • वहीं क्राइम के मामले में खराब छवि रखने वाले बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में संपत्ति चोरी के मामले कम हुए हैं.
  • दिल्ली के मुकाबले मुंबई में होते हैं दोगुने इकोनॉमिक क्राइम के केस.
  • लगभग बराबर क्षेत्रफल वाले मध्यप्रदेश की तुलना में महाराष्ट्र में संपत्ति संबंधी मुकदमों की संख्या लगभग दोगुनी है.
संपत्ति चोरी के मामले में महाराष्ट्र साल 2012 से ही रहा है रैंक वन.
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चोरी होने के बाद महाराष्ट्र में उसकी रिकवरी भी मुश्किल

यह महाराष्ट्रवासियों के लिए दूसरी बड़ी दुविधा है. और इसके लिए पुलिस प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. क्योंकि संपत्ति चोरी की शिकायत होने के बाद भी पुलिस उसकी रिकवरी नहीं कर पाती. इसके चलते महाराष्ट्र चोरी हुई संपत्ति को रिकवर कर पाने में काफी पीछे है. देखिए ये आंकड़े.

ग्राफिक्स: तेजस

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