वाराणसी (Varanasi) स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) मामले में हर दिन नया मोड़ आता जा रहा है. कोर्ट द्वारा कमिश्नर टीम घोषित किए जाने के बाद से ही जमीनी स्तर पर परिस्थितियां बदलती दिख रहीं हैं. शुक्रवार और शनिवार को कमिश्नर टीम द्वारा सर्वे का विरोध और उन्मादी नारों के बीच वादी पक्ष पिघलता दिख रहा था. हालांकि अफवाहों के बीच सोमवार को वादी पांचों महिलाओं मंजू व्यास, रेखा पाठक, राखी सिंह, लक्ष्मी देवी और सीता साहू की ओर से साफ हो गया कि इनमे से कोई भी केस वापस नहीं लेगा.
वादी राखी सिंह के एडवोकेट शिवम गौड़ ने बताया कि पांचों महिलाओं की ओर से दायर वाद किसी भी स्तर पर वापस नहीं लिया जा रहा है.
बता दें कि 2 दिन पहले मीडिया में आई एक खबर में कहा जा रहा था कि वादी राखी सिंह इस मामले से अपना पक्ष वापस ले रही हैं. कोर्ट में कमिश्नर टीम बदलने की याचिका पर 10 मई को सुनवाई होगी.
वादी पक्ष से जुड़े वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर बदलने के लिए कोर्ट में सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने गुहार लगाई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 10 मई मंगलवार की तारीख मुकर्रर की है.
बताया गया कि सर्वे करने के लिए जब हम लोग बैरिकेडिंग के अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे तो हमें रोक दिया गया था. मस्जिद के अंदर सैकड़ो की संख्या में मुस्लिम बैठे हुए थे, वे प्रवेश करने के दौरान सामने आ गए. इस वजह से सर्वे और वीडियोग्राफी से हमें पीछे हटना पड़ा.
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह सेन के नेतृत्व में हुआ था मुकदमा
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में ही मुकदमा दाखिल हुआ था. उन्होंने ही इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाई थी. वादी महिलाओं ने जितेंद्र सिंह बिसेन से ही श्रृंगार गौरी के नियमित रूप से दर्शन पूजन के लिए मंदिर बनाने के लिए सहयोग मांगा था. दो दिन पहले उन्होंने श्रृंगार गौरी व ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुकदमा वापस लेने का एलान किया था. इसके बाद इस मामले में अजीबोगरीब स्थितियां बन गईं थी.
अपने बयान के 2 दिन तक चुप्पी साधे रखने वाले बिसेन सोमवार को मीडिया के सामने आए. उन्होंने इस मुकदमे से संबंधित कोई भी बयान नहीं दिया था. जो बयान उन्होंने दिया था वह किसी दूसरे मुकदमे के लिए था, जिस पर वह अब भी कायम हैं.
इस मामले में सभी वादी मुकदमा लड़ना चाहते हैं. बता दें कि जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में ही यह केस आगे बढ़ रहा था.
क्या है श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा मामला?
श्रीकाशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में कोर्ट ने अपने पूर्व फैसले को बरकरार रखते हुए परिसर और आसपास के इलाके में सर्वे का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि सर्वे 3 मई के बाद और 10 मई से पहले पूरा किया जाना है. 10 मई को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है.
इस काम के लिए अधिवक्ता कमिश्नर पहले से ही नियुक्त किया जा चुका है. वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने परिसर के सर्वे का आदेश दिया है. इस आदेश के तहत यहां अधिवक्ता कमिश्नर के साथ पक्ष और विपक्ष का एक-एक सहायक भी मौजूद होगा.
बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी विश्वेश्वर नाथ मंदिर वाराणसी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान, नंदी व तमाम दृश्य, अदृश्य देवताओं की मूर्तियों का मौके पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि
साक्ष्य एकत्रित करने के लिए यदि कमीशन भेजा गया है तो इससे याची के अधिकार का उल्लघंन नहीं होता. कमीशन भेजना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है.
कोर्ट ने इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की प्रबंध समिति की तरफ से दाखिल याचिका खारिज कर दी थी. यह याचिका सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा एडवोकेट कमिश्नर भेजने के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी. यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया गया था.
मामले में अगस्त 2020 में हिंदू महासभा की तरफ से राखी सिंह व चार अन्य महिलाओं ने श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, वाराणसी के पुलिस कमिश्नर, कमिश्नर, जिलाधिकारी समेत उत्तर प्रदेश सरकार को विपक्षी पक्ष के तौर पर शामिल किया गया है. इस मामले में आठ अप्रैल को कोर्ट की तरफ से ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर की वास्तविक स्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर के तौर पर अजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति की गई और 20 अप्रैल तक मौके की वीडियोग्राफी कर रिपोर्ट मांगी गई थी.
18 अप्रैल को वाराणसी प्रशासन और अंजुमन इंतजामियां मसाजिद की तरफ से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर वीडियोग्राफी को लेकर वस्तु स्थिति तय करने और संख्या बल के साथ ही कई अन्य प्रतिबंधित स्थानों समेत मस्जिद के अंदर गैर मुसलमानों के प्रवेश पर रोक की बात भी कही गई थी. इसमें मस्जिद के दक्षिणी गेट से सिर्फ वर्ग विशेष और सुरक्षाकर्मियों को ही जाने की अनुमति की बात कह कर अंदर वीडियोग्राफी की अनुमति न देने की बात भी कही गई थी. लेकिन इन सभी कवायदों के बाद अब सर्वे का काम शुरू हो गया था.
एक वर्ग द्वारा इसका विरोध करने पर फिलहाल सर्वे कार्य रुक गया है. वही अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से सिविल जज सीनियर डिविजन न्यायालय वाराणसी में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 मई की तारीख दी गई है.
ज्ञानवापी प्रकरण में माहौल बिगाड़ने आसपास के जिले से पहुंचे थे, नारेबाजी करने वालों में एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इसके अलावा पुलिस पांच लोगों की तलाश कर रही है.
काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी प्रकरण पर इस समय पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. एक तरफ पुलिस और प्रशासन जहां फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है तो वही एक वर्ग माहौल बिगाड़ने में जुटा हुआ है. इसके लिए सैकड़ों की संख्या में लोग बाहर के जिले से भी यहां इकट्ठे हो जा रहे हैं. ऐसे में पुलिस संयमित तरीके से अपना कार्य कर रही है ताकि किसी भी वर्ग को समस्या न हो. चौक थाने की पुलिस ने एक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है तो वही पांच अन्य की तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी जारी है.
बता दें कि वाराणसी में कोर्ट के आदेश पर शनिवार को दूसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने पहुंची टीम को देख कर काशी विश्वनाधाम के गेट नंबर 4 के पास कुछ उपद्रवी लोगों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, इस दौरान उन्होंने धार्मिक नारे लगाए. ज्ञानवापी के बाहर धार्मिक नारेबाजी करने के आरोप में चंदौली के मुगलसराय क्षेत्र के दुलहीपुर निवासी मोहम्मद अब्दुल सलाम को चौक पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया है.
क्या है पूरा मामला?
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे को लेकर शनिवार को कोर्ट से नियुक्त कमिश्नर टीम के पहुंचने पर दूसरे समुदाय के लोग गेट नंबर 4 के बाहर जमा हो गए थे. इनमें से कुछ लोग धार्मिक नारेबाजी करने लगे, इस दौरान पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. इस पर धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले में कार्रवाई हुई.
पुलिस का कहना है कि
ज्ञानवापी के बाहर आकर पांच-छह व्यक्ति नारेबाजी करने लगे, पुलिस ने इन्हें रोकने की कोशिश की तो भागने लगे. मौके से पुलिस ने मोहम्मद अब्दुल सलाम को गिरफ्तार कर लिया, जबकि कई लोग फरार हो गए. पुलिस फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है. भागने वाले अभियुक्तों की छानबीन वीडियो फुटेज से की जा रही, जिन्हें चिह्नित करने के बाद धर पकड़ की कार्रवाई की जाएगी.
वादिनी पक्ष के वकील का आरोप- विपक्षी ने मस्जिद में जाने से रोका
काशी विश्वनाथ धाम और ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति शनिवार को दूसरे दिन जब गेट नंबर 4 पर पहुंची को एक वर्ग ने उन्हें अंदर जाने से रोकने की कोशिश की. नारेबाजी के बीच टीम मंदिर के अंदर तो चली गई लेकिन दूसरे पक्ष के लोगों ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया. ऐसे में टीम बिना सर्वे और वीडियोग्राफी के हो वापस लौट गई. वादिनी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है अपनी रिपोर्ट न्यायालय में लगाएंगे. अगले आदेश के बाद ही सर्वे और वीडियोग्राफी होगी.
सर्वे के पहले दिन भी लगे थे उन्मादी नारे
कोर्ट के आदेश पर अधिवक्ताओं की कमिश्नर टीम शुक्रवार को पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी प्रकरण में सर्वे और वीडियोग्राफी करने पहुंची थी. इसके बाद गेट नंबर 4 के पास इकट्ठे एक वर्ग के लोगों ने अल्लाह हु अकबर और उन्मादी नारे लगाए थे. इससे माहौल काफी गंभीर हो गया था. पुलिस ने सूझबूझ के साथ लोगों को तितर-बितर किया, इसके बाद माहौल ठीक हो गया था. हालांकि दूसरे पक्ष के अधिवक्ताओं ने वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन के वादिनी के अधिवक्ताओं की टीम को बदलने की मांग की थी, जिस पर शनिवार दोपहर के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है.
इनपुट- चंदन पांडेय
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