उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी में शनिवार (12 अगस्त) को "सर्व सेवा संघ भवन" परिसर में प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की. भारी सुरक्षा के बीच रेलवे, जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया. इस दौरान विरोध भी किया गया, लेकिन प्रशासन ने एक्शन जारी रखा.
70 दिन तक चला आंदोलन
जिलाधिकारी के आदेश पर इसे खाली कराया गया और बाद रेलवे को कब्जा दिया गया था. इसके विरोध में करीब 70 दिनों तक आंदोलन और सत्याग्रह भी हुए थे. जानकारी के अनुसार, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को वाद निस्तारण के लिए कहा था.
सर्व सेवा संघ के सदस्यों का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश के बाद भी जिला प्रशासन ने सेकंड सैटरडे, रविवार और 15 अगस्त की छुट्टियों का फायदा उठाते हुए डिमोलिशन की कार्रवाई कराई गई.
पूरे मामले को टाइमलाइन के जरिए समझें
15 अप्रैल 2023 को जिला प्रशासन ने गांधी विद्या संस्थान की लगभग 3 एकड़ जमीन इंदिरा गांधी कला केंद्र को दे दिया.
16 मई को संघ कला केंद्र के खिलाफ हाईकोर्ट गया.
17 मई से लगातार 63 दिन धरना और सत्याग्रह चला.
23 मई को मोइनुद्दीन और रेलवे ने मिलकर एसडीएम के यहां मुकदमा दायर किया.
10 और 14 जून को मामले की सुनवाई हुई.
17 जून को फिर से निर्णय तय हुआ.
26 जून को डीएम वाराणसी ने जमीन का मालिक रेलवे को माना.
27 जून को आदेश मिला, 2 घंटे में रेलवे ने नोटिस चस्पा कर दिया.
4 जुलाई को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वाराणसी डीएम का निर्णय इस प्रकरण में सर्वमान्य होगा.
17 जुलाई के बाद संघ लोवर कोर्ट पर निर्भर हो गए.
22 जुलाई को लगभग 350 पुलिसकर्मी परिसर में आए.
22 घंटे लगातार पुलिस ने कार्रवाई कर परिसर खाली कराया.
12 अगस्त को रेलवे ने सर्व सेवा संघ पर बुलडोजर चलाया
कहां से शुरू हुई कार्रवाई?
राम धीरज ने बताया कि बुलडोजर एक्शन सबसे पहले नारायण देसाई के मकान से शुरू हुआ, जो महात्मा गांधी के निजी सचिव महादेव देसाई के लड़के थे. इसके आलावा 'सर्व सेवा संघ' के पहले अध्यक्ष धीरेंद्र मजूमदार के कमरे को भी ध्वस्त किया है. गेस्ट हॉउस का हिस्सा भी ध्वस्त कर दिया गया.
विरोध कार्यक्रम में पहुंचे थे टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर
वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए गुरुवार (10 अगस्त) को किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर वाराणसी पहुंचे थे. उन्होंने शास्त्री घाट पर आयोजित जन प्रतिरोध सभा में कहा, "गांधी की विरासत को बचाने के लिए कुछ भी करेंगे. जरूरत पड़ी तो किसान ट्रैक्टर रैली भी निकालेंगे. लेकिन गांधी के विचारों को कुचलने नहीं देंगे."
किसान नेता राकेश टिकैत ने बीजेपी को जमीन लूटने वाली पार्टी बताया.
आज महात्मा गांधी के सत्याग्रह की सबसे ज्यादा जरूरत है. अगर गंगा को बचाना चाहते हैं तो सर्व सेवा संघ को बचाना होगा. ये मजदूर-किसान पर हमला है. इसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी.मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता
विरोध करने वालों की हुई गिरफ्तारी
बेदखली का विरोध करने पर पुलिस ने रामधीरज, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, अरविंद अंजूमन, लोक समिति के नंदलाल मास्टर, गाजीपुर के ईश्वरचंद्र, मऊ के अनोखे लाल, सर्वोदय मंडल यूपी के महामंत्री राजेंद्र मिश्र और जितेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. बाद में इनकी जमानत हुई और ये बाहर आ गए.
हालांकि, जेल भेजने के विरोध में संघ बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने प्रतिवाद मार्च भी निकाला था.
क्या है "सर्व सेवा संघ"?
राजघाट इलाके में लगभग 13 एकड़ भूमि पर "सर्व सेवा संघ" का भवन है. इसमें 40 परिवारों के लगभग 150 लोग रहते थे. लेकिन कार्रवाई के कारण इसे खाली कर दिया गया.
जानकारी के अनुसार, महात्मा गांधी के विचारों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए "सर्व सेवा संघ" की स्थापना सन 1948 में सेवाग्राम (वर्धा, महाराष्ट्र) में हुई. संघ का विस्तार हुआ तो वर्ष 1960 में वाराणसी के राजघाट इलाके में सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यहां गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की. देशभर के गांधी वादियों का कार्यस्थल बना तो वहीं, विनोबा भावे के आध्यात्म और जेपी की चेतना का केंद्र रहा. सर्व सेवा संघ से हर साल 50 से 60 पुस्तकों का प्रकाशन होता रहा. लगभग 2000 किताबें यहां से छपी हैं, जिनके टाइटल हैं.
'63 साल पहले रेलवे से खरीदी गई जमीन'
संघ का दावा है कि "लगभग 63 वर्ष पहले यह जमीन रेलवे से खरीदी गई थी. लेकिन रेलवे ने संघ पर झूठे दस्तावेज तैयार करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में वाद दाखिल (File Suit) किया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने संघ की जमीन का स्वामित्व तय करने के लिए पिछले दिनों डीएम को निर्देशित किया था.
DM ने रेलवे के दावे को सही माना
वाराणसी के जिलाधिकारी एस राज लिंगम ने रेलवे के दावे को सही माना और कब्जा हटाने का आदेश दे दिया. इसके बाद रेलवे ने संघ परिषर के सभी भवनों को खाली करने के लिए नोटिस चस्पा किया. इसके विरोध में सर्व सेवा संघ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन बात न बनी.
परिसर में सर्व सेवा संघ प्रकाशन, गांधी विद्या संस्थान, साधना स्थल, गांधी स्मारक, जेपी प्रतिमा और आवास, वाचनालय, औषधालय, बालवाड़ी, अतिथि गृह, चरखा प्रशिक्षण केंद्र और डाकघर हैं. कभी यहां गांधी के विचार से प्रेरित लोगों का जुटान होता था. आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर शूमाकर जैसी हस्तियां भी यहां आ चुकी हैं.
बुलडोजर एक्शन पर सियासत
कांग्रेस के सूचना एवं संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने अपने ट्विटर हैंडल से बीजेपी के नीतियों की आलोचना की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा," प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, जेपी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुल्डोजर चलना शर्मनाक है. गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं. अब वाराणसी के सर्व सेवा संघ को हड़प कर पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है. हम इसकी भर्त्सना करते हैं. बीजेपी अब बेशर्मी की सारी हदें पार कर रही है."
DM पर एकतरफा आदेश देने का आरोप
अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल पूर्वी यूपी के वाराणसी कार्यालय अध्यक्ष डॉ. सौरभ सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी वाराणसी ने हाई कोर्ट के निर्देश पर हमारे मामले में एकतरफा ऑर्डर दिया था और जमीन पर रेलवे को कब्जा देकर हमें बेदखल कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले में साफ लिखा है कि हमने हाईकोर्ट में इस आदेश को चैलेंज करने में देर कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि जिलाधिकारी को इस मामले में दखल और आदेश देने का अधिकार नहीं है. उन्होंने सर्व सेवा संघ को निचली अदालत में वाद दाखिल करने का निर्देश दिया है, इस आदेश में यह भी लिखा है कि हमारे दो और मामले निचली अदालत में चल रहे हैं, उसको भी निचली अदालत बिना किसी प्रेशर के देखे.डॉ. सौरभ सिंह, अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल
डॉ. सौरभ सिंह का आरोप है कि एक लिखित शिकायत पर प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए संघ की जमीन को रेलवे के नाम कर दिया.
हम 70 सालों से इस जगह पर रह रहे हैं. 15 मई से 22 जुलाई के अंदर हमें यहां से उखाड़ फेका गया. लगभग 2 माह पहले एक व्यक्ति जिसका नाम मोइनुद्दीन है, उसका स्थाई पता और मोबाइल नंबर अज्ञात है, एक चिट्ठी रेलवे को लिखता है कि सर्व सेवा संघ जिस जमीन पर है, वह रेलवे की है. अचानक से पुलिस और प्रशासन की टीम ने आकर हमारे जगह पर कब्जा कर लिया.डॉ. सौरभ सिंह, अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल
'साजिश के तहत की गई कार्रवाई'
डॉ. सौरभ सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार और सरकारी मशीनरी गांधी के विरासत के खिलाफ हो गई है.
उन्होंने कहा, "ऐसे में इस जमीन को भी किसी प्रोजेक्ट के हवाले करने की मंशा होगी. काशी स्टेशन के विकास और इंटर मॉडल स्टेशन की आधारशिला हाल ही में प्रधानमंत्री ने रखी है. इसके बाद रेलवे ने राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ की जमीन के अतिक्रमण को हटाया है. शनिवार की सुबह से ही रेलवे का बुलडोजर चला. ऐसा लगता है कि मोइनुद्दीन के नाम पर एक षड्यंत्र रच कर सर्व सेवा संघ को हटाने की साजिश रची गई."
क्या है अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल?
सर्व सेवा संघ के लगभग 14 विंग हैं. ये अलग-अलग कार्य संभालती हैं. इन्हीं में एक अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल है. पूर्वी यूपी का कार्यालय वाराणसी में स्थापित है. कार्यालय अध्यक्ष डॉक्टर सौरभ यहां का कार्यभार संभालते हैं.
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