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PM आवास योजना: कई राज्य टारगेट से बहुत पीछे,कहीं ‘निल बटे सन्नाटा’

2022 तक के लक्ष्य की बात करें तो इस स्कीम पर सरकार अब तक 2 फीसदी काम ही कर सकी है

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साल 2015 में सबको घर मुहैया कराने के टारगेट के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना लाॅन्च की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा है कि इस योजना के तहत 2022 तक हर गरीब के सिर पर छत होगी. लेकिन देश में इस योजना की हकीकत कुछ और ही है. साल 2017-18 की ही बात करें तो तय लक्ष्य के मुकाबले घर बनवाने में सरकार काफी सुस्त कदमों के साथ चल रही है.

योजना के लाॅन्च के समय ग्रामीण आवास योजना के लिए 95.4 लाख मकानों का टारगेट रखा गया था. इनमें से अबतक 28.8 लाख मकान तैयार किए गए हैं.

फाइनेंशियल ईयर 2017-18 में सरकार ने 32,10,316 मकान बनवाने का लक्ष्य तय किया था जिनमें सिर्फ 9,30,244 मकान का निर्माण कार्य हुआ है.

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कई राज्य ऐसे भी हैं जहां भारी-भरकम टारगेट तो सेट किया गया लेकिन काम नहीं हुआ. टारगेट पूरा करना तो दूर की बात है इस योजना के तहत इन राज्यों में एक भी मकान नहीं बन सका है.

राजनीतिक रूप से बड़े राज्यों में भी इस दिशा में बेहद धीमी तरक्की दिख रही है. उदाहरण के तौर पर बिहार को लें तो स्थिति बेहद खराब है. 5,38,959 मकान बनवाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया था लेकिन प्रदेश में सिर्फ 66 मकान ही बनकर तैयार हो सके हैं.

बीजेपी शासित राज्यों में ही प्रधानमंत्री आवास योजना का बुरा हाल है. यूपी, मध्य प्रदेश,राजस्थान जैसे राज्यों में अफोर्डेबल हाउस बनाने की दिशा में प्रगति काफी धीमी है.
  • गुजरात में तय टारगेट 91,108 में से 16,026 मकान बने.
  • छत्तीसगढ़ में तय टारगेट 2,06,372 में से 1,18,639 मकान बने.
  • मध्यप्रदेश में तय टारगेट 3,89,532 में से 2,48,372 मकान बने.
  • राजस्थान में तय टारगेट 2,23,629 में से 46,100 मकान बने.
  • यूपी में तय टारगेट 3,96,594 में से 2,55,658 मकान बने.
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आवास और शहरी विकास मंत्रालय की आॅफिशियल वेबसाइट के मुताबिक देश में पिछले एक दशक के दौरान झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों के बढ़ने की रफ्तार 34% रही है. इस हिसाब से स्लम में रहने वाले परिवारों की संख्या 1 करोड़ 80 लाख हो सकती है. इसके अलावा स्लम में न रहने वाले 20 लाख गरीब परिवारों को भी इस स्कीम की तहत मकान मुहैया कराने की योजना है.
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अब बात करें शहरी क्षेत्रों की तो आवास और शहरी विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर 5 मार्च 2018 तक की जो ताजा स्थिति दिखाई गई है उसमें देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना के तहत अब तक 3,39,866 मकान ही बन सके हैं. जबकि आवास निर्माण का कुल टारगेट 40,62, 364 रखा गया था.

अब बड़ा सवाल ये है कि सरकार की ये महत्वाकांक्षी योजना क्या तय समय पर पूरी हो सकेगी. ऐसे वक्त में जब आर्थिक विकास दर की रफ्तार धीमी हो चली है. अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था भी सुस्त है और रियल एस्टेट सेक्टर में भारी मंदी है तो क्या 2022 तक 2 करोड़ मकान लोगों को मुहैया करा दिए जाएंगे.

अगर हालात का जायजा लें तो साफ है कि मोदी सरकार की दूसरी महत्वाकांक्षी योजनाओं की तरह सबको छत देने की ये योजना भी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है.

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