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विकास दुबे ‘खामोश’:कैसे पता चलेगा उसे कौन बचा रहा था, 7 सवाल

विकास दुबे कैसे अकेला पुलिस वालों से भिड़ गया और हथियार भी छीन लिया? खड़े हो रहे हैं कई सवाल

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कानपुर का सचेंडी इलाका. 10 जुलाई सुबह के करीब 6.30 बजे. नेशनल हाईवे पर पुलिस ने मीडियाकर्मियों को रोक दिया. बाकायदा ट्रकों के आगे पुलिस की गाड़ियां खड़ी कर दी गईं. इसके बाद खबर आई कि एसटीएफ की एक गाड़ी पलट गई है. ये गाड़ी उसी काफिले का हिस्सा थी, जो विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी. ऊहापोह की स्थिति बनी, इसी बीच हर चैनल के स्क्रीन पर बड़ी-बड़ी ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी. गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया, लेकिन यहां विकास दुबे की कहानी खत्म नहीं होती है, यहां से कई सवाल शुरू होते हैं.

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ये वो विकास दुबे था, जिसपर 3 जुलाई को कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप है. ये वो विकास दुबे है, जो 6 दिन तक पुलिस को चकमा देने के बाद. यूपी से दिल्ली और फरीदाबाद से होते हुए उज्जैन पहुंचने के बाद पकड़ा गया और पकड़ते समय चिल्ला रहा था- मैं ही हूं कानपुर वाला विकास दुबे....

पुलिस का कहना है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास ने पुलिस का हथियार लेकर भागने की कोशिश की और जब उसे सरेंडर करने को कहा गया तो उसने गोली चला दी, जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की. गोली लगने के बाद विकास को कानपुर के हैलेट अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. इस दौरान कुछ पुलिस वाले घायल भी हुए. विकास से पहले उसके 5 और साथियों का एनकाउंटर किया जा चुका है. अमर दुबे, बऊआ दुबे, प्रभात मिश्रा, प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे. यानी 7 दिन में 6 एनकाउंटर.

इस “एनकाउंटर” पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि माना जा रहा था कि विकास दुबे के पकड़े जाने से कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है, क्योंकि विकास के संबंध राजनेताओं और पुलिस के लोगों से भी थे. यही वजह है कि वो बीस साल से हत्या, फिरौती जैसे अपराध को अंजाम दे रहा था, फिर भी बचा रहा.

तो अब सबसे बड़ा सवाल:

1. कैसे पता चलेगा कि उसे कौन पुलिस वाले और कौन नेता बचा रहे थे?

2. क्या SO विनय तिवारी अकेला शख्स था जो विकास का मुखबिर था? या और भी बड़े लोग थे?

विकास बता सकता था कि उसके और किन माफिया और गैंग से संपर्क थे. लेकिन अब उसे खामोश कर दिया गया है तो ये सब पता चलेगा भी या नहीं? सवाल और भी हैं. जैसे,

3. विकास ने हथियार छीनने की कोशिश कैसे की, इतने शातिर अपराधी को क्या हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?

विकास के एक पैर में दिक्कत थी, शायद गैंगरीन, तो क्या वो इतना दमखम रखता था कि गाड़ी पलटने के बाद,

4. अकेला पुलिस वालों से भिड़ गया और हथियार भी छीन लिया?

ये यूपी पुलिस की काबिलियत के बारे में क्या बताता है कि पहले तो विकास का गुर्गा प्रभात मिश्रा हथियार छीनकर भागने की कोशिश करता है और फिर विकास दुबे...संयोग देखिए कि प्रभात मिश्रा के मामले में पुलिस की गाड़ी पंचर हो गई थी, और विकास के मामले में पलट गई थी.

5. क्या यूपी पुलिस के जवान अपने हथियार भी ठीक से नहीं संभाल सकते?

आखिर ऐसा क्यों है कि विकास दुबे को इतने सालों में नहीं पकड़ा गया, फिर यूपी पुलिस उसे 3 जुलाई की मुठभेड़ के बाद नहीं पकड़ पाती, उसे एमपी पुलिस पकड़ती है.

हालांकि उसपर भी सवाल हैं. फिर जब उसे विकास को एमपी से यूपी लाने की जिम्मेदारी दी जाती है तो उसमें भी नाकाम होती है, उसे हिफाजत से ला भी नहीं सकती.

जाहिर है इस कथित एनकाउंटर पर कई सवाल उठ रहे हैं:

सियासी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस 'एनकाउंटर' की जांच कराने की मांग की है.

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी सवाल उठाए हैं कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या?

मायावती ने लिखा है ये जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि अपराध और राजनीति के इस इस गठजोड़ में शामिल लोगों को सजा हो सके.

अखिलेश यादव ने कहा है कि, “ये कार नहीं पलटी... इसने सरकार पलटने से बचा लिया". क्या मतलब हैं इसके? क्या विकास के तार इतने ऊपर तक थे कि सरकार पर सवाल उठ जाते.

वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि ऐसा पुलिस के आला अफसरों और सियासतदानों को बचाने के लिए किया गया है. सुप्रीम कोर्ट को इसपर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.

और आखिरी सवाल:

6. यूपी पुलिस क्राइम को खत्म करना चाहती है या फिर क्रिमिनल को?

7. क्या एक्स्ट्रा जूडिशियल कीलिंग हमें मंजूर है?

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