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कमजोर मानसून से उमड़े चिंता के बादल, नेताओं की उड़ गई है नींद 

बारिश कम रही तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाएगी

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भारत में जून से सितंबर तक देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश कराने वाला दक्षिण मानसून कमजोर हो गया है. सीजन के पहले तीन सप्ताह में इससे होने वाली बारिश औसत से दस फीसदी कम रही है. शुरुआती सप्ताह में मुंबई समेत पश्चिमी तटों को भिगोने के बाद यह कमजोर पड़ गया है. अगर जल्द ही इसने जोर नहीं पकड़ा तो देश में कृषि क्षेत्र में भारी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.

खरीफ की बुवाई अभी शुरू ही हुई है और मानसून कमजोर रहा तो सूखे की नौबत आ सकती है. किसानों के लिए ये बुरी खबर होगी. देश के किसान पिछले दो साल में दो बार सूखे का सामना कर चुके हैं. लेकिन 2019 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए भी यह सिरदर्द साबित हो सकता है.

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मानसून कमजोर पड़ा तो बढ़ जाएंगीं मुश्किलें

मौसम विभाग ने यूं तो कहा है कि रविवार तक मानसून जोर पकड़ सकता है और आने वाले सप्ताहों मे इससे बारिश हो सकती है. जून और सितंबर में इससे बढ़िया बारिश होगी. लेकिन आगे दक्षिण पश्चिम मानसून कमजोर पड़ा तो खेती-बाड़ी पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे रूरल इकनॉमी में मांग घट सकती है. किसानों के बीच कर्ज मांग बढ़ सकती है और विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले राहत की मांग सरकारों को परेशान कर सकती है.

बारिश कम हुई तो करना पड़ सकता है इन हालातों का सामना

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था लड़खड़ाएगी
  • ज्यादातर खरीफ फसलें खराब होंगी
  • खाने-पीने की चीजें महंगी होगी, इससे महंगाई बढ़ेगी
  • फसल मारी गई तो रूरल इकनॉमी को झटका
  • ट्रैक्टर, सोना, मोटरसाइकिल और दूसरे सामानों की बिक्री घटेगी
  • शेयर बाजार पर भी होगा असर
  • सूखा पड़ने से सब्सिडी और कर्ज माफी की मांग बढ़ेगी
  • इससे राजकोषीय घाटे की स्थिति और खराब होगी
  • बारिश कम हुई तो करना पड़ सकता है इन हालातों का सामना

कई उत्तरी राज्यों के जलाशयों में पानी कम

मानसून कम होने से देश के कई राज्यों में जलाशयों का पानी और कम हो सकता है. आंध्र को छो़ड़कर दक्षिण के राज्यों में जलाशय भरे हए हैं लेकिन यूपी, पंजाब, गुजरात समेत उत्तर के कई राज्यों के जलाशयों में पानी कम है. अगर एक सप्ताह के भीतर दक्षिण पश्चिम मानसून की वजह से होने वाली बारिश नहीं हुई या कमजोर पड़ी तो देश के बड़े हिस्सों में फसलें चौपट हो सकती हैं. यह हालत रूरल इकनॉमी को मुश्किल में डाल सकती है.

.ये भी पढ़ें - मानसून के बदलते पैटर्न से कई राज्य जल संकट की चपेट मेंः रिपोर्ट

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