एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर के बच्चों को तनाव-मुक्त बोर्ड एग्जाम देने का सुझाव दे रहे हैं, दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के स्टूडेंट पीएम के दिए हुए लाइव टिप्स से महरूम हैं. इन दोनों राज्यों ने 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. कहा गया है कि बोर्ड एग्जाम से पहले छात्र पीएम का भाषण सुनने की बजाए, परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त रहें.
क्या कहा पश्चिम बंगाल ने
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा है कि उनके राज्य में बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं और दूसरी कक्षाओं के फाइनल एग्जाम चल रहे हैं. ये वक्त छात्र-छात्राओं के लिए बहुत कीमती है और बच्चों के लिए ये वक्त भाषण सुनने का नहीं है. इसलिए बेहतर होगा कि बच्चे पढ़ाई में मन लगाएं और पीएम का भाषण सुनकर वक्त बर्बाद न करें.
उन्होंने ये भी कहा कि परीक्षा की तैयारी के समय में स्टूडेंट को एक जगह इकट्ठा करके भाषण सुनने के लिए मजबूर करने को सही नहीं ठहराया जा सकता.
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को नोटिस जारी कर कहा है कि वे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देशों की अनदेखी करें. ठीक इसी तरह उड़ीसा सरकार ने भी यही तर्क देकर अपने राज्य के स्कूलों में पीएम के ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम के लाइव प्रसारण पर रोक लगा दी.
पश्चिम बंगाल ने पहले भी किया है विरोध
ऐसा पहली बार नहीं है, जब ममता बनर्जी ने मोदी सरकार के निर्देशों को नजरअंदाज किया है. पिछले साल 31 मई को सीएम ममता बनर्जी से कोलकाता के एक स्कूल प्रशासन को पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम का प्रसारण करने के लिए फटकार लगाई थी.
इसके अलावा 17 सितम्बर 2017 को भी यूजीसी के एक कार्यक्रम में पीएम के भाषण का राज्य के उच्च शैक्षिक संस्थानों में प्रसारण नहीं किया गया था. एक अन्य मामले में, राज्य सरकार ने केंद्र के उस फैसले का विरोध किया था, जिसमें टीचर्स डे के दिन सरकारी स्कूलों में स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दिए जाने से जुड़े कार्यक्रम करने थे.
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