पश्चिम बंगाल (West Bengal) में तीन विधानसभा सीट भवानीपुर, समसेरगंज और जंगीपुर में आज 30 सितंबर को उपचुनाव हो रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा भवानीपुर विधानसभा सीट को लेकर है. क्योंकि यहां से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) चुनाव लड़ रही हैं. अब ममता बनर्जी बंगाल की सीएम बनी रहेंगी या नहीं, इस बात का फैसला इसी चुनाव से होगा.
दरअसल, अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में, ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. ममता को बीजेपी उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी के हाथों हार झेलनी पड़ी थी. ऐसे में 6 महीने के अंदर उन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना जरूरी है. नहीं तो उन्हें सीएम का पद छोड़ना पड़ेगा. इसलिए ममता भवानीपुर से उपचुनाव लड़ रही हैं.
इस उपचुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी के खिलाफ प्रियंका टिबरेवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. टिबरेवाल पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामलों की वकील हैं. वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने श्रीजीव विश्वास को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.
बीजेपी ने करीब 80 नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा, मोदी-शाह रहे दूर
ये चुनाव ममता बनर्जी के लिए काफी अहम है, लेकिन बीजेपी ने इसमें अपनी ताकत झोंक दी है. ममता बनर्जी के खिलाफ पीएम मोदी और अमित शाह ने भले ही कैंपेन से दूरी बनाई हो लेकिन बीजेपी के बड़े से बड़े मंत्री भी गली-गली वोट मांगने के लिए घूम रहे थे.
कैंपेन के आखिरी दिन बीजेपी के 80 से ज्यादा नेताओं ने भवानीपुर के एक-एक वॉर्ड में पहुंचकर प्रचार-प्रसार किया. इनमें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री से लेकर सांसद और विधायकों शामिल थे. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और स्मृति ईरानी ने भी प्रचार किया.
भवानीपुर सीट का गणित
इस दक्षिण कोलकाता विधानसभा क्षेत्र में 23-24 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता, लगभग 40-42 प्रतिशत बंगाली भाषी मतदाता और लगभग 33-34 प्रतिशत गैर-बंगाली भाषी मतदाता शामिल हैं. इसके अलावा मारवाड़ी, गुजराती, पंजाबी और प्रसाद जैसे अन्य जाति के लोग शामिल हैं, जो उत्तर प्रदेश और बिहार से जुड़े हुए हैं.
भवानीपुर पिछले कुछ समय से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का गढ़ बना हुआ है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में, टीएमसी ने लगभग 58 प्रतिशत वोट हासिल किए और बीजेपी को 28,719 मतों के अंतर से हराया था.
भवानीपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से उपचुनाव की जरूरत पड़ी. उन्होंने यह सीट इसलिए खाली की है ताकि बनर्जी वहां से चुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता हासिल कर पाएं और मुख्यमंत्री बनी रहें.
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