West Bengal “Khalistani” jibe: पश्चिम बंगाल के धमाखली में तैनात एक सिख आईपीएस अधिकारी ने मंगलवार, 20 फरवरी को आरोप लगाया कि बीजेपी के नेताओं ने उन्हें 'खालिस्तानी' कहा, क्योंकि उन्होंने बीजेपी नेताओं को अशांत संदेशखाली की ओर जाने से रोक दिया था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एक्स पर वह वायरल वीडियो शेयर किया है. इसमें पुलिस अधिकारी और प्रदर्शनकारी बीजेपी नेताओं के बीच तीखी बहस देखी जा सकती है. अधिकारी की पहचान एसएसपी (आईबी) जसप्रीत सिंह के रूप में हुई है. जसप्रीत सिंह 2016 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं.
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और विधायक अग्निमित्र पॉल, कई अन्य बीजेपी नेताओं के साथ पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक गांव, संदेशखाली का दौरा करने की कोशिश कर रहे थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीपीआई-एम की बृंदा करात ने भी संदेशखाली पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि बीजेपी और आईपीएस अधिकारी के बीच विवाद के समय वह वहां मौजूद थीं या नहीं.
बीजेपी और सीपीआई-एम ने संदेशखाली में टीएमसी नेताओं पर कई महिलाओं से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. हालांकि, उन्हें धमाखली में ही रोक दिया गया.
वायरल वीडियो में आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह को बीजेपी नेताओं से कहते हुए सुना जा सकता है, “आप मुझे खालिस्तानी क्यों कह रहे हैं? क्या यह मेरे धर्म के कारण है? क्या इसलिए कि मैं पगड़ी पहनता हूं?”
बीजेपी ने 'खालिस्तानी' शब्द के इस्तेमाल से इनकार किया
पश्चिम बंगाल पुलिस ने ट्वीट किया, "पश्चिम बंगाल पुलिस बिरादरी, इस वीडियो से नाराज हैं, जहां हमारे ही एक अधिकारी को राज्य के विपक्ष के नेता द्वारा 'खालिस्तानी' कहा गया."
इसके साथ ही पुलिस विभाग ने कड़ी कार्रवाई की भी बात कही है. पुलिस ने कहा, "कड़ी कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है."
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार को कहा, ''हम कभी भी ऐसी चीजें नहीं करते हैं. हम राष्ट्रवादी राजनीति करते हैं, पाकिस्तानियों और खालिस्तानियों का विरोध करते हैं लेकिन हमने कभी अधिकारी से ऐसी बातें नहीं कहीं.”
इस बीच, वायरल वीडियो में भी दिख रहे बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने ऐसे आरोपों का खंडन किया है. इसके बजाय उसने दावा किया कि पुलिस अधिकारी "अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे".
'खालिस्तानी' शब्द का प्रयोग स्वतंत्र सिख देश 'खालिस्तान' के समर्थकों के लिए किया जाता है. हालांकि, इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी समर्थकों द्वारा पंजाब और हरियाणा में चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल किसानों के खिलाफ किया जा रहा है, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके और उन्हें "राष्ट्र-विरोधी" करार दिया जा सके.
एसजीपीसी, विपक्ष ने घटना की निंदा की
विवाद पर एक बयान जारी करते हुए, सिखों की सबसे बड़ी बॉडी, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष, हरजिंदर सिंह धामी ने कहा: “पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेताओं द्वारा एक सिख आईपीएस अधिकारी एस जसप्रीत सिंह की जानबूझकर चरित्र हत्या अत्यधिक निंदनीय है. देश में ऐसी सोच रखने वाले नेताओं को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि देश की आजादी और रक्षा के लिए सबसे ज्यादा बलिदान सिखों ने दिया है.”
सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी पर "संवैधानिक सीमाओं को लांघने" और सिख समुदाय का "अपमान" करने का आरोप लगाया.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा, ''बीजेपी द्वारा फैलाई धार्मिक कट्टरता का दंश, हमारी विविधता वाली संस्कृति को इतना जहरीला बना रहा है कि कानून के रक्षक को, धर्म के नाम पर, आतंकवादी करार दिया जा रहा है. क्या “सबका साथ”, अब बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान की धज्जियां उड़ाना है ? मोदी जी, धर्म, संप्रदाय और समुदायों के बीच वैमनस्य, नफरत और हिंसा फैलाना ही आपका एकमात्र उद्देश्य है. आपका राज, विभाजनकारी राजनीति का “अमृत काल” है !"
पंजाब से AAP के राज्यसभा सांसद और प्रमुख सिख उद्योगपति, विक्रमजीत सिंह साहनी ने भी सख्त कार्रवाई की मांग की है. एक्स पर साहनी ने टिप्पणी करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ "तत्काल और सख्त कार्रवाई" की मांग की.
घटना के बाद दिन में, कुछ सिखों ने कथित 'खालिस्तानी' शब्द के कथित प्रयोग को लेकर कोलकाता के मुरलीधर लेन स्थित बीजेपी के राज्य मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
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