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बृजभूषण के करीबी के हाथ में फिर रेसलिंग इंडिया, WFI पर बैन हटने के बाद एडहॉक कमेटी भंग

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने WFI की जगह काम कर रही तीन सदस्यीय एड-हॉक कमेटी को भंग कर दिया है.

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बीजेपी (BJP) नेता बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के करीबी संजय सिंह (Sanjay Singh) सोमवार, 18 मार्च से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) का कार्यभार संभाल चुके हैं. यानी अब WFI के सारे फैसले संजय सिंह ले सकेंगे. WFI पर यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने जो बैन लगाया था, वह हट चुका है. ऐसे में WFI के कामकाज को देखने के लिए बनी एडहॉक कमिटी को भंग कर दिया गया है.

संजय बीजेपी नेता बृजभूषण सिंह के करीबी हैं. बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.

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WFI की जगह काम कर रही एड-हॉक कमेटी भंग हुई 

संजय सिंह ने WFI की कमान भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की घोषणा के बाद संभाली है. भारतीय ओलंपिक संघ ने WFI की कार्यकारी समिति को निलंबित करने के बाद सरकार के निर्देशों के तहत तीन सदस्यीय एड-हॉक कमेटी का गठन किया था. उसे अब 'तत्काल प्रभाव से' भंग कर दिया है.

इसका मतलब है डब्ल्यूएफआई से जुड़े सारे फैसले लेने का अधिकार अब संजय सिंह को मिल गया है. IOA ने कहा कि यह निर्णय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) द्वारा पिछले महीने WFI पर अपना प्रतिबंध हटाने और पेरिस ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल के 'सफल समापन' के जवाब में लिया गया है.

WFI से बैन कैसे हटा? यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने 2 शर्त रखी 

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने 13 फरवरी, 2024 को घोषणा की थी कि उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) पर से तत्काल प्रभाव से निलंबन हटा दिया है. दरअसल UWW ने पिछले साल 23 अगस्त को WFI पर अस्थायी रूप से प्रतिबंधन लगा दिया था क्योंकि WFI तय समय पर चुनाव नहीं करा पाया था.

एड-हॉक कमेटी के भंग होने के साथ IOA ने उन शर्तों को दोहराया जिसे UWW बैन हटाते समय रखी थी. ये रहीं दो शर्तें:

  • पहली शर्त: WFI डब्ल्यूएफआई को 'दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की चिंताओं को दूर करने के लिए जल्द से जल्द एक सुरक्षा समिति/अधिकारी नियुक्त करना होगा...'

  • दूसरी शर्त: 'एथलीट आयोग का चुनाव कराना' और इसके अध्यक्ष - लंदन ओलंपिक के ब्रॉन्ज पदक विजेता योगेश्वर दत्त के चुनाव को अमान्य कर दिया जाए.

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WFI पर क्यों लगा था बैन और उसके क्या असर पड़े? 

WFI पर मुख्य रूप से अपने चुनाव समय पर नहीं कराने के लिए बैन लगाया गया था.

बैन लगने से पहलवान सभी UWW के इवेंट में भाग तो ले सकते हैं लेकिन वे अपने देश की ओर से नहीं खेल सकते. उन्हें UWW के ध्वज के तहत खेलना होता है, और अगर वो पहलवान स्वर्ण पदक जीतता है तो उसके देश का राष्ट्रगान भी नहीं बजाया जाता है.

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