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सुनामी आखिर है क्या? ये प्राकृतिक आपदा कैसे आती है? वजह क्या है?

साल 2004 में आई सुनामी की जितनी एनर्जी थी वो 23 हजार हिरोशिमा टाइप बम के बराबर थी.

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भारत
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इंडोनेशिया एक बार फिर सुनामी की जद में हैं. अबतक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और करीब 900 लोग घायल हैं. इस सुनामी ने 26 दिसंबर, 2004 की उस सुनामी की यादें फिर जेहन में ताजा कर दी हैं जिससे भारत, इंडोनेशिया जैसे देशों में मौत का मातम शुरू हो गया था. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अंदाजे के मुताबिक, साल 2004 में आई सुनामी की जितनी एनर्जी थी वो 23 हजार हिरोशिमा टाइप बम के बराबर थी.

ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये सुनामी है क्या और क्यों आती है.

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इस प्राकृतिक आपदा का शिकार कई देशों के 2 लाख से ज्यादा लोग हुए थे. भारत में आधिकारिक आंकड़ा करीब 10 हजार लोगों की मौत की बात कहता है, लेकिन जानकार मानते हैं कि सुनामी से 15 हजार से ज्यादा लोगों की सांसे छीन गईं.  
 साल 2004 में आई सुनामी की जितनी एनर्जी थी वो 23 हजार हिरोशिमा टाइप बम के बराबर थी.
  सबकुछ बहाकर ले जाने के बाद अवशेषों में यादें ढूंढता सुनामी पीड़ित  
(फोटो: AP)

'सुनामी' एक जापानी शब्द है

'सुनामी' एक जापानी शब्द है, जिसका मतलब होता है समंदर की लहरें. समंदर के स्थिर पानी में जब अचानक लहरें तेज हो जाती हैं और जैसे-जैसे ये किनारे की तरफ बढ़ती हैं इनकी रफ्तार कई गुना हो जाती है. ज्यादा मात्रा में पानी और तेज रफ्तार इन्हें घातक बनाता है और तब कुछ भी इनके सामने आता है वो पानी में ही मिल जाता है.

 साल 2004 में आई सुनामी की जितनी एनर्जी थी वो 23 हजार हिरोशिमा टाइप बम के बराबर थी.
अपनों को खोकर बिलखती महिला की तस्वीर
(फोटो: Reuters)

सुनामी की वजह

सुनामी की सबसे बड़ी वजह है भूकंप. लेकिन हर भूकंप से सुनामी नहीं आती. अगर भूकंप का केंद्र समंदर में है या उसके पास है तो सुनामी आने की संभावना ज्यादा रहती है. बता दें कि भूकंप का केंद्र जितनी कम गहराई में होगा, विनाश उतना ही बड़ा होता है.

 साल 2004 में आई सुनामी की जितनी एनर्जी थी वो 23 हजार हिरोशिमा टाइप बम के बराबर थी.
किनारों तक पहुंचते-पहुंचते लहरे कई गुना ऊपर उठ जाती हैं
(फोटो: Giphy.com)  

दरअसल, भूकंप के दौरान समंदर की प्लेट खिसक जाती है, कुछ प्लेटें आपस में टकराती भी हैं. इसकी वजह से समंदर का पानी अलग-अलग दिशाओं में बहने लगता है. ऊंची-ऊंची पानी की लहरें भी उठने लगती हैं, किनारों की तरफ जाते वक्त इसकी गति और तेज हो जाती है, उस वक्त ये 30-50 मीटर की ऊंचाई हासिल करके सामने आने वाली किसी भी चीज को तहस-नहस कर सकती हैं. ऐसा ही हुआ साल 2004 में जब लहरों की ऊंचाई करीब 50 मीटर थी.

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