पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं उनके ओजस्वी भाषण सदियों तक /याद किए जाएंगे. वो जब मंच पर भाषण देते थे, तब उनके विरोधी भी खामोश होकर उनको सुनने लगते थे, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था अटल स्टेज पर अपना भाषण भूल गए और लोगों ने उनका खूब मजाक बनाया.
अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 सितंबर 1996 को नई दुनिया को दिए एक इंटरव्यू में अपनी बचपन की कई यादोंं को शेयर किया था. पत्रकार ने जब उनसे सवाल पूछा था कि क्या आप हमेशा से ही आत्मविश्वास से भाषण देते रहे हैं, या आपको कभी स्टेज पर जाते हुए डर लगा था?
अटल ने इस सवाल के जवाब में हंसते हुए कहा-
मैंने पहली बार बड़नर में भाषण दिया था, उस वक्त पांचवीं क्लास में था, मेरे पिता स्कूल के हेडमास्टर थे, स्कूल के वार्षिकोत्सव में मैं बिना तैयारी के स्टेज पर खड़ा हो गया. मैं बीच में ही लड़खड़ा गया और भाषण बीच में ही बंद करना पड़ा.
वहीं अटल बिहारी ने बचपन की एक और घटना का जिक्र करते हुए कहा था-
ग्वालियर में वाद-विवाद प्रतियोगिता में मेरी बहुत हंसाई हुई थी. मैं रटकर गया था और बीच में ही भूल गया. लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया रटकर आया है. मुझे अपना भाषण बंद करना पड़ा. तभी मैंने संकल्प लिया अब कभी रटकर भाषण नहीं दूंगा.
बचपन की एक छोटी सी घटना से सबक लेते हुए अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे वक्ता बने, जिनके भाषणों को आज की पीढ़ी भी सुनना चाहती है.. अटल भले ही इस दुनिया से चले गए, लेकिन उनके कहे एक-एक शब्द अमर हैं, जो आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे.
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