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शुजात बुखारी कौन थे? क्यों कहा था, घाटी में पत्रकारिता बड़ा जोखिम

शुजात बुखारी का पहले भी अपहरण हो चुका था

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भारत
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'राइजिंग कश्मीर' के एडिटर-इन-चीफ शुजात बुखारी की गुरुवार को कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. प्रेस कॉलोनी में जब उन्हें गोली मारी गई, तो वह अपने दफ्तर से एक इफ्तार पार्टी के लिए जा रहे थे. कार में उनके साथ बैठे पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर और उनके ड्राइवर को भी गोली लगी है. तीनों को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां बुखारी की मौत हो गई.

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पहले भी हो चुका था बुखारी का अपहरण

राइजिंग कश्‍मीर के एडिटर इन चीफ शुजात बुखारी श्रीनगर में रहते थे. वे इससे पहले द हिंदू के ब्यूरो चीफ थे. बुखारी ने एटेनियो डे मनीला यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री ली थी. वह सिंगापुर के एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्म के फेलो थे.

शुजात को वर्ल्ड फ्रेस इंस्टीट्यूट, अमेरिका की फेलोशिप मिल चुकी थी. वह कश्मीर के सबसे बड़े और पुराने सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठन अदबी मरकज कामराज के प्रेसिडेंट थे. freepresskashmir.com के मुताबिक, सरकार समर्थित आतंकी संगठन इख्वान ने 8 जुलाई 1996 को उनका अपहरण कर लिया था. उस दौरान शुजात के साथ 19 स्थानीय पत्रकारों का अपहरण कर लिया गया था. अनंतनाग में उन्हें सात घंटे तक बंधक बना कर रखा गया था. बंधक पत्रकारों में बुखारी भी शामिल थे.

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2006 में भी शुजात बुखारी को श्रीनगर में दो लोगों ने अगवा कर लिया था. उन्हें शहर से कई किलोमीटर दूर ले जाया गया. इनमें से एक ने उनकी हत्या करने की कोशिश की, लेकिन बंदूक जाम हो गई और बुखारी बच गए थे.

बुखारी ने उस वक्त कहा था, ''कश्मीर में पत्रकारों को अक्सर इस तरह के हालात का सामना करना पड़ सकता है. कश्मीर में जो लोग पत्रकारों पर हमला करते हैं, वे शायद ही पकड़े जाते हैं. कश्मीर में कौन आपका दुश्मन है और कौन दोस्त, यह जानना नामुमकिन है.''

बुखारी का अखबार द राइजिंग कश्मीर काफी संतुलित माना जाता था. हालांकि घाटी में मानवाधिकार हनन पर अखबार काफी मुखर है.

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